कांवड़

रवि कान्त कौशल

रोजाना की तरह वह आज भी साइड पर टाइम से ही घर से निकला था.

एक तो जगह-जगह बारिश की वजह से पानी भरा है ,और फिर आजकल भोले की सेना ने, सड़कों को पानीपत का मैदान बना रखा है.

अरे अरे चीं चीं ईं ईं ईं

उसे बाइक के जोरदार ब्रेक लगाने पड़े वरना एक भोला टकरा ही जाता.

बम बम भोले ,, क्यों बे दिखाई नहीं देता , भोले का भक्त आंखें चढ़ाकर बोला ,,

सॉरी भाई , वह आप एकदम से ही आगे आ गए थे.

क्यों बे तुम कुछ दिन घर में नहीं रह सकते ? जरूरी है कि बाइक लेकर सड़क पर निकलना

दिखता नहीं हमें कांवड़िया चल रहे हैं .

तो क्या इतने दिन काम बंद करा दू  ?

और क्या एक सप्ताह इ रोड हमारा है.

बम बम भोले ,, जब तक एक कांवड़िया और पास आ गया  ,, क्या हुआ है बे कैलास ?

अरे यह अंधा अभी हमको ठोके दिया होता. क्यों भाई दिखता नहीं जल लेकर जा रहे हैं.

भाई साहब माफ कर दो , उसने हाथ जोड़ लिए थे. आप तो भोले के भक्त हो मुझसे गलती हो गई , आप भगवान के नाम कितना कष्ट सह रहे हैं , पैदल चल रहे हैं मोह माया त्याग कर और काम धंधा छोड़कर गंगाजल लेने जा रहे हैं ,

आपकी भक्ति और आस्था से ही तो भगवान खुश होकर हमारी और देश की रक्षा करेगा.

देख बाबू मोह को तो हम नहीं जानते हां माया हमारी साली का नाम है, लेकिन हम उसको क्यों छोड़ेगें बे. कांवरिया की लाल आंखें चौड़ी हो गई थीं.

और ससुरा काम धंधा होता तो यह सब करते ही क्यों ? घर में खाली बैठे थे तो सोचा कांवड़ ही ले आएं. कुछ दिन मौज मस्ती भी हो जाएगी ,  टाइम पास हो जाएगा और घरवालों के तानों से भी बच जाएंगे.

तो क्या धंधा पानी नहीं करते ??

अब क्या बताएंगे ससुरी बेरोजगारी चीज ही ऐसी है.

दूसरा कांवरिया थोड़ी कम उम्र का लग रहा था , उसके प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए वह बोला था.

अरे इतनी सी उम्र में तुम कांवड़  लेकर आ रहे हो स्कूल की छुट्टियां लेनी पड़ी होंगी.

अरे भाई कैसा स्कूल ?  पढ़ाई तो मैंने पाचवीं में ही छोड़ दी थी, छोले कुलचे की रेहढ़ी पर काम करता हूं.

बम बम भोले

फिर भी बेटा धर्म के नाम पर इतना पैदल चल लेते हो, हिम्मत की बात है ,,

अरे भाई हिम्मत तो गांजे और भांग से आ ही जाती है, अच्छा अच्छा नशा करके पैदल चलते हो ,,

देख भाई इसे नशा मत कह , यह तो भोले का प्रसाद है और फ्री का जितना चाहो पियो

शिवभक्त बहुत पिलाते हैं बम बम भोले ,,

खूब छक कर खाने को मिलता है लोग तो हमारे पैर भी दबाते हैं पैर ,

पुलिस और प्रशासन भी हमारा बहुत ख्याल रखता है यह समझो नेताओं की तो इस कावड़ यात्रा की वजह से थोड़ी बहुत चांदी हो जाती है. मतलब जनता के प्यारे बन जाते हैं.

मैं तो कहता हूं पूरे साल ही कावड़ यात्रा होनी चाहिए.

अरे वाह बेटा क्या विकास की बात करी है. अच्छा भोले , सुना है तुम्हें गुस्सा आ जाता है झगड़ा करते हो रास्ते में.

अबे कौन डीके बोस कहता है , जब सड़कों पर आजकल हमारा राज है तो तुम क्यों हम से टकराते हो ?

फिर गुस्सा नहीं आएगा , गांजा क्या ऐसे ही चढ़ा रखा है हमने?

जो धर्म के रास्ते में आएगा वह चूर चूर हो जाएगा हंगामा तो करेंगे ही वाहन तोड़ेंगे ही,

आखिर धर्म के कर्म से बढ़कर कुछ नहीं. भोले की सेना कभी धार्मिक कार्य पर आंच नहीं आने देगी चाहे कुछ भी करना पड़े.  आग लगा देंगे आग ,,,,,

गांजे की डोज़ अपना काम कर रही थी ,और धर्म की आढ़ लेकर राजनीति रूपी हुंगदड़ उसकी आंखों में चमक रहा था.

तभी एक और कांवड़िया प्रकट हुआ.

उसने अपने कावंड़ में शिव के साथ बाबा अंबेडकर की फोटो भी लगा रखी थी.

बम बम भोले ,, वो चित्कार कर उठा था. क्या हुआ भोले ?

कुछ नहीं भोले , भाई साहब को हम गंगाजल लाने की महिमा बता रहे थे.

उसने देखा अब वहां कांवरियों का जमावड़ा लगने लगा था.

अरे भाई इंगे के कर रहा है ?

एक पुलिस वाला डंडा लेकर उधर लपका , चल आगे यहां कित रुक गियो ?

चल चल आगे बढ़ले इब जल्दी.

उसने बाइक पर जल्दी से किक मारी और आगे बढ़ गया.

लेकिन अब भी उसकी निगाहें उस कावड़िया पर थीं जिसने अपनी कावंड़ पर बाबासाहेब अंबेडकर का फोटो लगाया हुआ था.

बस सोचता जा रहा था बाबासाहेब ने अपनी पूरी जिंदगी इन लोगों के अधिकार दिलवाने में लगा दी.

धर्म के पाखंड और अंधविश्वास को दूर हटाने के लिए कहा और यह लोग कुछ दिन की मौज-मस्ती के लिए उन्हें भुलाए बैठे हैं. क्या जय भीम सिर्फ फेसबुक व्हाट्सएप , सोशल मीडिया पर दिखावा मात्र है.

ये दो नावों पर सवार लोग तेज़ धार्मिक लहरों से अनजान हैं, यह सोचते हैं कि यह लहरें हमें किनारा देंगी.  यह सोचते हुए  अपनी बाइक तेजी से साइड की तरफ दौड़ा दी.

 रवि कान्त कौशल

 

 

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