गुस्ताखी’व्यंग्य  ( अनिल मालवीय , लखनऊ )
होरी ने अपनी पैतीस साल की जिंदगी ताने और उलाहने में काट दी. दरअसल ,वह किराये का आटो रिक्शा चलाता था और रोज-रोज होने वाली किचकिच से तंग आ गया था. दो साल पहले उसने अपना ई रिक्शा खरीदा. थोड़ी तकलीफ कम हुई थी. परंतु, वह शांति नहीं मिली जो होरी चाहता था. वह भगवान से सुकून मिलने की प्रार्थना  जरूर करता. आखिरकार ईश्वर ने 1 सितंबर को उसकी कामनाये  पूरी कर दी. देश भर में नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू कर दिया गया.  इस एक्ट भले ही लाखों लोगों की नींद हराम कर दी हो, परंतु ,होरी की झोली खुशियों से भर गई. कहावत ही है कि आदमी दूसरों के दुख से ज्यादा ख़ुशी प्राप्त करता है, अपनी कामयाबी की तुलना में .  उसने दो किलो मिठाई ली मंदिर गया प्रसाद चढ़ाया और लौटते वक़्त दो शराब की बोतलें के अलावा केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री की एक फोटो खरीद कर घर ले आया. क्योंकि उसके नये भगवान के रूप में मंत्री जी थे जिन्होंने नया नियम लागू करके होरी और उसके जैसे तमाम ई रिक्शा चालकों को सुकून दिया था.  न सीट बेल्ट, न ओवरस्पीड़ ,न पाल्यूशन की झंझट.  हां दारू पीकर वह ई रिक्शा जरूर चलाता है,  परंतु उसे मालूम है कि पुलिस वालों के पास दो पहिया और चौपहिया के चालान से भला कहां फुर्सत. घर पहुंचने पर होरी ने मंत्री जी के चित्र को टांगा सिर झुकाया और आस-पास के लोगों में मिठाई बांटने निकला.
उसकी खुशी और दोगुनी हो गई जब उसने देखा कि उसके सामने वाले दस मंजिला फ्लैट में रहने वाले धनाड्य लोग पहली बार तनाव में थे. पांडेय जी, श्रीवास्तव जी, सिंह साहब, कॉम्प्लेक्स के ग्राउंड फ्लोर पर खड़े नये नियम को लेकर तनाव में थे. सभी मंत्री जी को लानत-मलानत दे रहे थे. तभी पांडेय जी के पंद्रह वर्षीय बेटे ने मोटर साइकिल पर किक मारी ही थी कि पांडेय जी का धैर्य जवाब दे गया और लगभग मारने वाली मुद्रा में वे चिल्ला कर बच्चे की तरफ दौड़े, रख मोटर साइकिल, नालायक मुझे भी जेल करवायेगा, पैदल जा, या आटो से.  तभी श्रीवास्तव जी पीछे से भागते हुए आये और पांडेय जी को समझाते हुए बोले गुस्सा मत कीजिये भाईसाहब बच्चों को समझा कर ही रास्ता निकालिए. वे बोले अब आपसे क्या छिपाना कल बड़े साहबजादे पार्टी में गये थे पीकर लौट रहे थे, पचास हजार का जुर्माना भर कर आयें हैं. नया फ्लैट गोमती नगर में लिया था उसकी किस्त भरनी थी. चला गया पैसा पानी में। क्या करें. तब तक सिंह साहब भी सबके पास पहुंचे और बोले साला कल पाल्यूशन का चालान हजरतगंज में कट गया बहुत समझाया पर पुलिस वाले नहीं माने.
ऐसे तनावपूर्ण वक्त में संयोग से  होरी वहां    मिठाई लेकर पहुंचा.  वहां खड़े अन्य महानुभाव लोगों ने पूछा होरी क्या बात किस खुशी में मिठाई बांट रहे हो. होरी वहां की परिस्थिति नहीं भांप सका और लगा मंत्री जी कशीदे पढ़ने.  अभी वह आधा ही यशगान कर पाया था कि सिंह साहब ने उसकी गर्दन पकड़ ली. कड़कती आवाज में बोले ला लाठी इसे सबक सिखाता हूं.  इस दृश्य को देख श्रीवास्तव जी तत्काल सक्रिय हुए ठाकुर साहब का हाथ होरी की गर्दन से हटावाते हुए बोले होरी अभी तुम घर जाओ, शाम को आना. होरी भी चुपचाप बाहर निकल गया.
उसके जाने के बाद श्रीवास्तव जी बोले क्या ठाकुर साहब आप भी इतनी जल्दी आपा खो देते हैं .  ससुरा थाने चला गया तो एससीएसटी केस लग जाएगा तो जमानत भी नहीं मिलेगी. धैर्य रखिये, हम सब लोग राष्टवादी हैं. ये तकलीफ तो झेलनी ही होगी. आखिर अपना देश भी तो अमेरिका बन रहा है. और फिर आप चिंता ही क्यों करते हैं गुजरात के रास्ते में बाकी देश भी चलेगा भाई , चल ही रहा है देखिये है कि नाही ?
अनिल मालवीय

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