एसएफआई ने आरोप लगाया है कि उनके दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डीयूएसयू) चुनाव के लिए अध्यक्ष पद के उम्मीदवार आकाशदीप त्रिपाठी के अपहरण करने का प्रयास हुआ और उन पर जानलेवा हमला किया गया ,छात्रसंघ चुनावों के लिए आज  4 सितंबर तक नामांकन पत्र दाखिल किए जायेंगे

नईदिल्ली . बीते शनिवार 1 सितम्बर 2018 को जब एसएफआई के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार   आकाशदीप त्रिपाठी अपना नामांकन  दाखिल करने के लिए जा रहे थे, तब उनपर कुछ लोगों ने हमला किया और उनको चुनावों से अपना नाम वापस लेने के लिए कहा गया| ये हमला कॉन्फ्रेंस हॉल के बाहर हुआ थाI इस हमले का नेतृत्व डीयूएसयू अध्यक्ष पद के उम्मीदवार आकाश चौधरी और पूर्व एनएसयूआई उम्मीदवार प्रदीप विजयन ने किया था।

एसएफ़आई दिल्ली राज्य कमेटी ने अपने बयान में कहा है कि “इस हमले को मौजूदा एनएसयूआई उम्मीदवार आकाश चौधरी ने प्रेरित किया था, जिन्होंने अपने गुंडों को अपहरण के लिए भेजा था। जब वे अपहरण करने के अपने प्रयास में असफल रहे तो, सौ से अधिक छात्रों की डंडो से लेस भीड़ ने कॉन्फ्रेंस हॉल में प्रवेश किया और क्रूरता से आकाशदीप पर शारीरिक हमला किया और अन्य एसएफआई कार्यकर्ताओं पर भी हमला कियाI आकाश के सिर और चेहरे पर गंभीर चोट लगी, हमले के बाद से ही वो मानसिक सदमे की स्थिति है”।

दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनावो में हिंसा

दिल्ली विश्वविद्यालय के लिए ये कोई नई घटना नहीं हैI पिछले कई वर्षों से देखा जा रहा है कि किसी तरह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), NSUI या फिर आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई CYSS, इन सबके द्वारा छात्र संघ के चुनाव में खुलकर के धन-बल और बाहुबल का प्रयोग होते है| किसी प्रकार से अपने विपक्षी उम्मीदवार को डरा-धमका कर चुनाव से बाहर करने की कोशिश रहती है| पिछले दिनों दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी की स्टूडेंट विंग ने एक बार फिर डीयू के छात्रसंघ चुनाव में उतरने का ऐलान किया है। आम आदमी पार्टी ने अपनी स्टूडेंट विंग छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) को इस साल फिर से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनावी मैदान में उतारने की घोषणा की है। इससे पहले 2015 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद सीवाईएसएस डूसू इलेक्शन में उतरी थी, लेकिन उसे किसी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी। उसके बाद दो साल तक सीवाईएसएस छात्रसंघ चुनावों से दूर रही, लेकिन अब पार्टी ने अपनी छात्र इकाई को नए सिरे से और पहले से ज्यादा मजबूती के साथ दोबारा खड़ा करके उसे डूसू के दंगल में उतारने का फैसला किया है। बता दें कि शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव का कार्यक्रम तय होने के बाद आचार संहिता भी लागू कर दी गई है।

इससे पहले भी 2015 के चुनावों में नई आई CYSS ने भी खूब उत्पात मचाया था| उस चुनाव में खुद आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री CYSS के चुनावी चेहरे  के रूप में सामने आए थे| पूरी दिल्ली में इन्होने पैसा पानी की तरह बहाया था और NSUI  ने आरोप लगाया था की उनके तत्कालीन डूसू के अध्यक्ष पद के उम्मिदवार पर पर CYSS के लोगों ने हमला  किया और इसकी तस्वीर भी खूब वायरल हुई थी| फिर भी ये चुनाव बुरी तरह से हारे थे|

पिछले साल भी इसी तरह की घटना हुई थी, जब स्वतंत्र उम्मीदवार राजा चौधरी  को नामांकन दाखिल करने के बाद ही उनका अपहरण हो गया थाI राजा चौधरी ने इसके लिए ABVP के तत्कालीन उम्मीदवार रजत चौधरी पर आरोप लगाया था| जिसके बाद उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा सुरक्षा दी गई थी| जिसके बाद उन्होंने अपना चुनाव अभियान पूरा किया था | वो हारे परन्तु उनके साहस की खूब तारीफ हुई थी|

सुरक्षा के पुख्ता इन्तेजाम नहीं

इन सब घटनाओं के बाद भी इस साल ऐसी घटना को रोकने के लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई थी। घटनास्थल पर मौजूद छात्रों ने बताया कि घटना के 15 मिनट बाद पुलिस पहुँची, जबकि पुलिस स्टेशन घटना के स्थान से केवल 100 मीटर दूर है।  एसएफआई के राज्य सचिव प्रशांत मुखर्जी ने बताया जब पुलिस पहुंची, तो विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इसे दो छात्रों के संगठन के बीच झड़प के रूप में दर्शाने का प्रयास किया ,आगे प्रशांत कहते है कि “विश्वविद्यालय के अधिकारियों और पुलिस की उपस्थिति में हमारे उम्मीदवार आकाशदीप त्रिपाठी  को अपहरण और जान से  मारने की धमकी दी गई। इससे साफ लग रहा था कि विश्वविद्यालय इन मामलों को लेकर कितना गंभीर है, वो साफतौर पर इन गुंडों को बचाने की कोशिश कर रहा है| हम अपने उम्मीदवारों को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने की भी माँग करते हैं क्योंकि उनकी जान को भी खतरा है और सभी हमलावर अभी भी खुले घूम रहे हैं”।

इस बार का डूसू चुनाव रोचक हुआ

इस बार के चुनाव में पहले की तरह ही ABVP और NSUI सभी पदों पर अपने उम्मीदवार उतरेंगेI लेकिन अभी उम्मीदवारों के नाम तय नहीं हुए है| एसफआई के नेतृत्व में एक लेफ्ट यूनाइटेड पैनल बन रहा है जिसमे AIDSO और AISF भी शामिल हैं| परन्तु इन सबमें सबसे बड़ी और सबसे चौंकाने वाली खबर है कि दिल्ली विश्विद्यालय में सबसे बड़ा लेफ्ट छात्र इकाई आइसा ने दिल्ली में सत्ताधरी आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई CYSS से हाथ मिला लिया |

बाकि लेफ्ट छात्र संगठनो ने आइसा पर लेफ्ट यूनिट को तोड़ने का आरोप लगाया और कहा कि आइसा का ये कदम भविष्य में उनके लिए घातक सिद्ध होगा, क्योंकि CYSS के साथ मिलकर आप ABVP और NSUI धन और बाहुबल से नहीं लड़ सकते| इस गठबंधन पर आइसा का कहना है कि यह एक चुनावी गठबंधन है और हमारी वैचरिक स्तर पर कई भिन्नता है|

दिल्ली विश्वविद्यालय  में इस साल 12 सितंबर को छात्रसंघ चुनावों का मतदान कराया जाएगा। इस बाबत विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से प्रारंभिक समय सारिणी की घोषणा कर दी गई है। तय कार्यक्रम के अनुसार 12 सितंबर को मॉर्निंग कॉलेजों में सुबह 8:30 से 1 बजे तक वोटिंग होगी। इसके अलावा ईवनिंग कॉलेजों में दोपहर 3 से 7.30 बजे तक वोटिंग होगी। छात्रसंघ चुनावों के लिए 4 सितंबर तक नामांकन पत्र दाखिल किए  नामांकन के बाद इसी दिन नॉमिनेशन पेपर्स की जांच की जाएगी, जिसके बाद प्रत्याशियों की सूची को जारी किया जाएगा। लिस्ट जारी होने के बाद 5 सितंबर को नाम वापस लिए जा सकेंगे और शाम को 5 बजे प्रत्याशियों की फाइनल लिस्ट जारी कर दी जोगी। नॉमिनेशन पेपर नॉर्थ कैंपस के कॉंफ्रेंस सेंटर में दाखिल किए जा सकेंगे। बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में इस साल होने वाले छात्रसंघ चुनावों को लोकसभा चुनाव के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है।

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