रायपुर 22 अक्टूबर 2019(इंडिया न्यूज रूम)
दूसरों की आजीविका के लिये विविध योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करनें का महत्वपूर्ण कार्य करने वाले संविदा पदस्थ छोटे अधिकारियों को खुद के वेतन के लिये परेशान होना पड़ रहा है. नाम न छापने की शर्त पर राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के कुुुछ कर्मचारियों ने क हा हैं कि त्योहारों के इन महीनों में उनके वेतन में कटौती करके संभवतः भाजपा परस्त अधिकारियों द्वारा स्थानीय निकाय के चुनावों में कांग्रेस सरकार को बदनाम करने की साज़िश की जा रही है. मुख्यमंत्री महोदय द्वारा सभी सरकारी कर्मचारियों को दिवाली के पहले ही अक्टूबर माह का वेतन देने की व्यवस्था की गई है और दूसरी ओर वेतन कटौती करके आजीविका मिशन में मैदानी कर्मचारियो को परेशान किया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ में अफसरशाही सरकार की लोकप्रिय कार्यों को भी बदनाम करने से बाज नहीं आ रही है. यह प्रायोजित तरीके से किया जा रहा है या फिर किसी पार्टी विशेष के हित में किया जा रहा है यह स्पष्ट नही है. ताजा उदाहरण छत्तीसगढ़ की नगरीय निकायों में संचालित पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना के अंतर्गत संचालित राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन का सामने आया है. इस मिशन के अंतर्गत प्रदेश के 168 निकायों में 70 मिशन प्रबंधक पदस्थ किए गए हैं. इन्हीं 70 मिशन प्रबंधकों से पूरे 168 निकायों में काम लिया जा रहा है. अक्टूबर माह में दीपावली का प्रमुख त्यौहार है. प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कर्मचारियों को खुश करने के लिए 24 और 25 अक्टूबर तक उनका वेतन भुगतान किए जाने का आदेश दे रखा है. बावजूद इसके भी मिशन के परियोजना अधिकारी आलोक सूर द्वारा कुल 70 मिशन प्रबंधकों में से 37 मिशन प्रबंधकों के मानदेय में ₹5000 की कटौती कर दी गई. इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि उनका परफारमेंस ठीक नहीं है. इसके पहले भी फरवरी माह में मानदेय में कटौती की गई थी और उस समय भी परफारमेंस में खराबी का ही हवाला दिया गया था. इस संबंध में परियोजना अधिकारी आलोक सूर का कहना है कि उन्होंने यह कटौती विभाग के डायरेक्टर के आदेश पर किया है. बड़ा सवाल ये है कि दीपावली के मौके पर जब प्रदेश और देश में सरकार के साथ ही प्राइवेट कंपनियों द्वारा भी कर्मचारियों को बोनस व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराया जा रहा है वहीं दीपावली वाले महीने में ही मिशन प्रबंधकों के मानदेय में पांच हजार रु (5000) की कटौती करके उन्हें परेशान करने की कोशिश की गई है. सूत्रों के मुताबिक मिशन प्रबंधकों के साथ विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाया जाता है. अधिकारियों द्वारा मनमर्जी से जिस मिशन प्रबंधक का चाहते हैं उसके मानदेय में कटौती कर देते हैं. इसका कोई प्रामाणिक तर्क भी नहीं दिया जाता है. इसे लेकर मिशन प्रबंधकों में रोष है. मिशन प्रबंधकों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मांग की है कि, प्रकरण पर ध्यान देते हुए उन्हें न्याय दिलाया जाए. इस प्रकार की कटौती से उनके परिवार को संकटों का सामना करना पड़ रहा है , उनकी खुद की आजीविका पर यह संकट है.