कोर्ट ने धार्मिक आस्था के बजाय ASI के सबूतों के आधार पर फैसले का दावा किया

1045 पृष्ठ के संतुलित फैसले में 1885 से केस लगने वाले निर्मोही अखाड़ा को रघुवर दास की विरासत को ध्यान रखते हुए भी प्रबंध कमेटी में शामिल किया जायेगा

फैसला क्या दिया गया

अयोध्या भूमि विवाद को लेकर पांच जजों की पीठ ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित ढांचे पर अपना एक्सक्लूसिव राइट साबित नहीं कर पाया. कोर्ट ने विवादित ढांचे की 2.77 एकड़ जमीन देवता श्रीरामलला विराजमान के नाम पर हिंदुओं को देने का फैसला सुनाया, तो मुसलमानों को दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन देने के लिए कहा है. कोर्ट ने साथ ही कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार तीन महीने में योजना बनाए. कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को इसके लिए पांच एकड़ जमीन मिलेगी. फिलहाल अधिकृत जगह का कब्जा रिसीवर के पास रहेगा. पांचों जजों की सहमति से फैसला सुनाया गया है. फैसला पढ़ने के दौरान पीठ ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) रिपोर्ट के मुताबिक नीचे मंदिर था. सर्वोच्च न्यायधीश ने कहा कि ASI ने भी पीठ के सामने विवादित जमीन पर पहले मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं. CJI ने कहा कि हिंदू अयोध्या को राम जन्मस्थल मानते हैं. हालांकि, ASI यह नहीं बता पाया कि क्या मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी. मुस्लिम गवाहों ने भी माना कि वहां दोनों ही पक्ष पूजा करते थे. कोर्ट ने सुबह 7 बजे से सुप्रीम कोर्ट परिसर में पत्रकार , अधिवक्ता एवं अन्य लोग आने शुरू हो गए थे सबको 10 बजे के बाद मुख्य कोर्ट रूम के खुलने का इंतजार था जहाँ सी जे आई इस मामले में फैसला रखने वाले थे .
जन्म स्थान कोई न्यायिक व्यक्ति नहीं
लेकिन रामलला को न्यायिक व्यक्ति मनाते हुए विवादित भूमि दिए जाने की घोषणा , वर्ष 1949 में जो मस्जिद परिसर में मूर्तिया रखी गयी थी तथा 1992 दिसंबर में जो मस्जिद का ढांचा गिराया गया था वो हरकतें गैरकानूनी और गलत थीं कोर्ट उनकी निंदा करती है,

कोर्ट के मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन देने को लेकर हिंदू महासभा के वकील का बयान
नई दिल्ली. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सूट क्रमांक 5 का निराकरण करते हुए जिसे वरिष्ठ अधिवक्ता देवकीशरण ने अपने पडोसी देवता बालक रूप में श्रीरामलला विराजमान की ओर से प्रस्तुत की थी, विवादित जमीन 2.77 एकड़ देवता श्रीराम लला को न्यायिक व्यक्ति मानते हुए दिए जाने का आदेश दिया, कहा कि 3 महीने के भीतर सेंट्रल गवर्नमेंट इसके ट्रस्ट की स्थापना करे तथा विकास एवं प्रबंधन के लिए योजना तैयार करे और विवादित स्थल को मंदिर के निर्माण के लिए सौंप दे. साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को दूसरे प्रामिनेंट स्थान पर 5 एकड़ जमीन दी जाए. कोर्ट के फैसले के बाद हिंदू महासभा के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अयोध्या में पांच एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए दिया जाए, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि मस्जिद के लिए यह जमीन उस 63 एकड़ के इलाके में देनी है जिसका सरकार ने विवादित स्थल के आस-पास अधिग्रहण किया है.

श्री जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन अयोध्या की किसी अहम जगह पर दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को इस बात का फैसला लेना होगा कि वह मस्जिद निर्माण के लिए कहां जमीन दी जानी है. लेकिन यह जगह अयोध्या की किसी अहम जगह पर होनी चाहिए. वहीं एक और वकील वरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है. इस फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने विविधता में एकता का संदेश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 2010 में दिए गए फैसले के खिलाफ दायर तमाम याचिकाओं पर सुनवाई की. बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में निर्मोही अखाड़ा, हिंदू पक्षकार, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और राम लला के पक्षकारों के बीच जमीन को बराबर हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था. जिसके बाद तमाम पक्षों ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीस जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने की थी.

दूसरी ओर
अयोध्या मुद्दे पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा, ‘इसके बदले हमें 100 एकड़ जमीन भी दे दो तो कोई फायदा नहीं है. हमारी 67 एकड़ जमीन पहले से ही अधिग्रहित की हुई है तो हमको दान में क्याह दे रहे हैं वो? हमारी 67 एकड़ जमीन लेने के बाद 5 एकड़ दे रहे हैं. ये कहां का इंसाफ है?’
गौरतलब है कि इससे पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असंतुष्टि जाहिर की है. उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन फैसले पर संतुष्ट नही हैं. वक्फ बोर्डो के पास सारे देश में कुल मिला कर रेलवे के बराबर की जमीने है. इस मामले में पांच एकड़ जमीन दिए जाने से क्या हो जायेगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में गलत तथ्य पेश किए गए हैं और इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर विचार करेंगे.
देश में आज के दिन की तैयारियां गृह मंत्रालय द्वारा प्रत्येक राज्य की कानून व्यवस्था को सतर्क करने के साथ साथ सोशल मिडिया , फेसबुक , वाट्स अप को विशेष चेतावनियाँ जारी करके की गयी थी , जिसके कारण संदेशों का आदान प्रदान सुबह से बेहद धीमा और सीमित था .

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