गौरी लंकेश, कलबुर्गी, दाभोलकर, पानसारे होना , कालजयी होना है।

नईदिल्ली .इस क्रूर बना दिये गए समय में गौरी लंकेश, कलबुर्गी, दाभोलकर, पानसारे होना , कालजयी होना है। रूढ़िवादी साम्प्रदायिक ताकतों के कारपोरेट गठजोड़ से आक्रांत देश लोकतंत्र की चिरस्थाई ऊष्मा से शीघ्र ही प्रकाशवान हो उट्ठेगा। शहीद गौरी लंकेश को सादर नमन

ये उदगार थे जनवादी लेखक संघ के छत्तीसगढ़ के साहित्यकार और संस्कृति कर्मियों के , दूसरी तरफ गुजरात के निर्दलीय  विधायक जिगनेश मेवाणी ने गौरी लंकेश को याद करते हुए उन्हें निडर और गरीबों के लिए संघर्ष करने वाला पत्रकार कहा. गौरी लंकेश की पहली बरसी पर जिगनेश ने गौरी को गरीबों के हक में लिखने वाला पत्रकार बताया.

जिगनेश ने कहा-“आज उन्हें गए हुए साल भर हो गए हैं, लेकिन अगर वे जीवित होतीं तो ये सरकार उन्हें भी दूसरे सक्रीय विचारकों की तरह शहरी नक्सली  घोषित कर चुकी होती. जो स्थिति डाक्टरदाभोलकर की महाराष्ट्र  में थी, वही स्थिति कर्नाटक के संदर्भ में गौरी लंकेश की थी. उनकी पहली बरसी पर हम विरोधियों की आवाज़ दबाने की मोदी सरकार की रणनीतियों के विरुद्ध एकजुट हैं और बताना चाहते हैं कि हम सभी गौरी लंकेश हैं.” जिगनेश  ने ये भी बताया कि वे बेंगलुरु में हैं और गौरी लंकेश के हत्या की बरसी पर ‘लंकेश पत्रिका’ को फिर से शुरु कर रहे हैं. ये पत्रिका गौरी की हत्या के बाद से बंद हो गई थी.

जिगनेश  मेवाणी ने आगे कहा-“उस वक्त हमने नहीं सोचा था कि दक्षिणपंथी सोच के लोग उन्हें सिर्फ आवाज़ उठाने के लिए खत्म ही कर देंगे. लेकिन आज के माहौल में जो लोग सरकार की सोच से इत्तेफाक नहीं रखते उनके लिए हकीकत में एक खतरा पैदा हो गया है. सनातन संस्था को बीजेपी का समर्थन है. ये संगठन उदारपंथी लोगों की हत्या में लिप्त हैं. इस मौके पर मैं कर्नाटक पुलिस को धन्यवाद दूंगा कि उसने पूरे मामले के रहस्य से पर्दा हटाया और दक्षिणपंथी अतिवादियों के एजेंडे को बेनकाब किया. गौरी लंकेश की हत्या की पहली बरसी पर हम लोग लोकतंत्र की हिफाजत के लिए दक्षिणपंथी बयार के एजेंडे से लड़ने का संकल्प लेते हैं.”

मेवाणी ने ये भी कहा कि जब भी वे कर्नाटक जाते थे गौरी के ही घर पर रुकते थे. वे उन्हें कहीं और नहीं ठहरने देती थीं. मेवाणी याद करते हैं-“वे मुझे अपना बेटा मानती थीं.” मेवाणी ये भी याद करते हैं कि हत्या से ठीक 14 दिन पहले वे गौरी के आवास पर उनसे मिले थे. मुलाकात के दौरान उन्होंने जिगनेश को बताया था कि दक्षिणपंथी लोग उनके लेखों की वजह से उनसे नाराज़ हैं.इसी प्रकार जे एन यु के भूतपूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी गौरी लंकेश को याद करते हुए उनसे मातृवत स्नेह प्राप्त करने का जिक्र करते हैं.

धार्मिक कट्टरता के खिलाफ लिखने वाली गौरी लंकेश की पांच सितंबर को ही पिछले साल हत्या कर दी गई थी. गौरी लंकेश ने हमेशा से ही हिंसा और हत्या की राजनीति का विरोध किया था. अपनी लेखनी में कर्नाटक में उभर रही ऐसी ताकतों के बारे में पता कर रही थी और लिख रही थी. जाहिर है इसी तबके से उनकी हत्या के बाद सोशल मीडिया पर जश्न मनाया गया. उस दिन सिर्फ गौरी लंकेश की हत्या नहीं हुई थी बल्कि यह भी मालूम चला है कि हमारे समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो हत्या को भी सही साबित करने में लग जाते हैं. माना जा रहा है कि पुलिस को मिले सूत्रों के अनुसार इन 3 हत्याओं में एक तरह के ही  हथियारों का इस्तेमाल किया गया है और उन्ही  शूटरों द्वारा हत्या के संदेह है. मामला कोर्ट में होने के कारण बाकी तथ्य कोर्ट में ही रखे जायेंगे .

 

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