भुवनेश्वर 19 नवम्बर 2019 ( इंडिया न्यूज ) देश में किसानो की आय बढ़ने के विविध प्रयासों में लगी राज्य सरकारों के लिए ओडिशा सरकार एक नई सोच ले कर आ रही है ये भविष्य में कितना हो पायेगा कितना नहीं ये बाद की बात है किन्तु इस नई पहल ने समाज हिट और आर्थिक विकास की एक नई बहस जरुर छेड़ दी है. अब तक हम देखते आये कि मध्य प्रदेश के मंदसौर इलाके में अफीम की खेती विशेष सरकारी अनुमति के आधार पर लाइसेंसिंग प्रणाली से किसान करते आये हैं. अफीम की फसल आबकारी विभाग की निगरानी में तैयार होती तथा खरीदी जाती है इससे किसानो को उच्च आय भी प्राप्त होती है और सरकार को राजस्व भी मिलता है. कुछ इसी तरह के प्रयोग करने की शुरुआत सम्भवतः ओडिशा सरकार करना चाहती है. देश में गांजे की खेती नारकोटिक्स एक्ट के तहत पूरी तरह से प्रतिबंधित है , इसके बावजूद गांजे की अवैध खेती और भारी मात्रा में तस्करी के कई मामले दशको से ओडिशा के सीमा वर्ती राज्यों में पकडे जाते है.


आज ओडिशा के आबकारी विभाग ने इस सम्बन्ध में एक बैठक बुलाई है, संयुक्त सचिव एस बी के प्रधान ने आबकारी आयुक्त ओडिशा को संबोधित 8 नवम्बर2019 को जारी के पत्र में 19 नवम्बर को बैठक आयोजन की सूचना दी है जिसमे सभी प्रमुख अधिकारियो को आवश्यक दस्तावेजो तथा सूचनाओं के साथ उपस्थित रहने कहा गया है .
भारत में भले ही गांजे की खेती पूरी तरह प्रतिबंधित हो अमेरिका सहित विश्व के कई देशो में इसको वैधानिक रूप से मंजूरी दी हुई है. दरअसल गांजे का फूल धुआ उड़ने वाले नशे के रूप में तथा उसके पत्ते भांग के नाम से खाए जाने वाले नशे के रूप में उपभोग किया जाता है. गांजे का नशा अपेक्षाकृत सस्ता नशा होने के कारण छत्तीसगढ़ और ओडिशा में एक समस्या के रूप में मौजूद है. वैसे अपराध के सरकारी आंकड़ो के अनुसार शराबियों द्वारा अधिक अपराध किये जाते है गांजे के शौकीन शांत तथा अपने में मस्त रहते है जिस कारण से चिकित्सको द्वारा भी गांजा तथा भांग को कम हानिप्रद माना जाता है मानसिक उत्तेजना के मरीजो को शांत रखने वाली विभिन्न दवाइयों में इसका उपयोग किया जाता है जिससे राष्ट्रीय अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में इसकी मांग भी बनी रहती है.
ओडिशा के अवैध उत्पादित गांजे की टनों मात्र पूर्व देश में चोरी छुपे सप्लाई होती है. सुकमा जिले से लगे ओडिशा के मलकानगिरी क्षेत्र का गंजा उत्कृष्ट क्वालिटी का बताया जाता है. जिसकी पंजाब , दिल्ली,पुणे , बैंगलोर , जयपुर , इन्दोर , भोपाल , रायपुर के बाजारों में अवैध सप्लाई की सुगबुगाहट कई बार पकडे गए गांजा तस्करों से पुलिस को मिलती रही है.

परम्परगत रूप से धार्मिक गतिविधियों में महाकाल शिव जी के प्रसाद के रूप में कतिपय भक्त इसका उपयोग करते रहे है. ओडिशा में त्रिनाथ मेला में इसे भोग के रूप में भगवान् को अर्पित करके प्रसाद के रूप में भक्त ग्रहण करते है .
शराब बंदी की चुनावी घोषणा को पूरा करने का जन दबाव झेल रही कांग्रेस सरकार के समक्ष ओडिशा सरकार की यह पहल चौकाने वाली है, यदि इस खेती कूदिषा में अनुमति मिल जाती है तो स्थितिया दोनों दिशा में करवट ले सकती है. किसानो के धान के दाम तथा खरीदी के लिए केंद्र से जूझ रही कांग्रेस सरकार के लिए इससे किसानो की आय बढाने और शराब को प्रतिबंधित करने का दूसरा रास्ता भी मिल सकता है.

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