कोरबा:- मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भू-विस्थापित पीड़ितों की समस्याओं को हल न करने के कोयला प्रबंधन के तानाशाहीपूर्ण रवैये के खिलाफ एसईसीएल के गेवरा मुख्यालय पर 25 फरवरी को प्रदर्शन करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद आज एसईसीएल प्रबंधन ने माकपा और ग्रामीणों के साथ वार्ता की। वार्ता में एसईसीएल प्रबंधन की ओर से वरिष्ठ कार्मिक प्रबंधक अविनाश शुक्ला और माकपा जिला सचिव प्रशांत झा के साथ छत्तीसगढ़ किसान सभा के नंद लाल कंवर, जवाहर सिंह कंवर, संजय, दिलहरण और ग्रामीण देव कुंवर, गणेश कुंवर, जान कुंवर आदि ने वार्ता में हिस्सा लिया।

माकपा सचिव प्रशांत झा ने कोयला प्रबंधन को भू-विस्थापित पीड़ितों के साथ उनके विभाग द्वारा पूर्व में की गई कारगुजारियों की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष गंगानगर में कोयला प्रबंधन द्वारा की गई तोड़-फोड़ के बाद आंदोलनकारियों को नुकसान की भरपाई का जो आश्वासन दिया गया था, वह तो पूरा हुआ नहीं, उल्टे फिर से ग्रामीणों को डराना-धमकाना शुरू कर दिया गया है और ग्रामीणों को बगैर सूचना दिए जमीन की नाप-जोख की जा रही है। इन गांवों में पेयजल की समस्या आज भी बनी हुई है। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि प्रबंधन इस क्षेत्र से केवल मुनाफा कमाना जानता है, लेकिन यहां के निवासियों की मूलभूत समस्याओं के निराकरण की सार्वजनिक जवाबदेही से बचना चाहता है, जो माकपा और ग्रामीणों को मंजूर नहीं है।

माकपा प्रतिनिधिमंडल की शिकायतें सुनने के बाद एसईसीएल प्रबंधन ने तीन दिनों के भीतर पेयजल की समस्या को हल करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने तोड़-फोड़ से ग्रामीणों को पहुंचे नुकसान की भरपाई करने और मुआवजा निर्धारित करने हेतु शीघ्र ही सर्वे कराने का भी आश्वासन दिया है। एसईसीएल के अधिकारी इस बात पर सहमत हुए कि भविष्य में पुनर्वास ग्रामों में प्रबंधन द्वारा किसी भी प्रकार की तोड़-फोड़ नहीं की जाएगी और विस्थापित ग्रामीण जिस भूमि पर बसे हैं, एसडीएम की मदद से उसका सर्वे करवाकर कब्जाधारी किसानों को पट्टा दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर जिला प्रशासन के साथ त्रिपक्षीय वार्ता भी की जाएगी।

माकपा सचिव झा ने कोयला प्रबंधन के साथ आज हुई वार्ता को सकारात्मक बताया है। लेकिन साथ ही चेतावनी दी है कि बनी सहमति पर यदि अमल नहीं किया गया, तो इस क्षेत्र के पूरे भूविस्थापित सड़कों पर होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी कोयला प्रबंधन की होगी। उन्होंने कहा कि हमारी मांगों का दायरा प्रबंधन के अधिकार क्षेत्र में आता है और जिन समस्याओं से भूविस्थापित पीड़ित हैं, उनका निराकरण करना कोयला प्रबंधन का काम है। उन्होंने बताया कि प्रबंधन के साथ हुई इस वार्ता के मद्देनजर ग्रामीणों ने 25 फरवरी का आंदोलन स्थगित करने का निर्णय लिया है, लेकिन इन समस्याओं पर संघर्ष के लिए माकपा और किसान सभा का अभियान जारी रहेगा।

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