वर्तमान हालात में देश में अमन को बनाये रखने के लिए महिलाओं को अपने अपने घरों से निकलना ही पड़ेगा


“बातें अमन की “ यात्रा देश के ऐसे माहौल को बदलने में अहम् भूमिका अदा करेगी

रायपुर . देश के पांच अलग अलग स्थानों से शांति और एकता का नारा ले कर निकले महिलाओं के जत्थे में से तीसरा जत्था रायपुर पहुंचा था , सुदूर कन्याकुमारी से तमिलनाडु ,कर्नाटक , तेलंगाना , आंध्रप्रदेश और ओडिसा हो कर छत्तीसगढ़ में रायपुर पहुंचे जत्थे ने आठ अक्टूबर की सुबह प्रदेश की औद्योगिक नगरी भिलाई में कार्यक्रम रखा था . भिलाई में विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक , मजदूर संगठनों के बीच बातचीत के बाद 8 अक्टूबर शाम को रायपुर में कार्यक्रम रखा गया था . छत्तीसगढ़ में जत्थे के सहयोगी संगठन छत्तीसगढ़ नागरिक संयुक्त संघर्ष समिति (CNSSS) ,छत्तीसगढ़ साझा मंच ,ऑक्सफेम इंडिया (छत्तीसगढ़ ईकाई) ,इप्टा (रायपुर ग्रामीण) , छत्तीसगढ़ महिला अधिकार मंच , छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा,सामाजिक न्याय मंच छत्तीसगढ़ , आर. सी. डी. आर. सी. एवं क्रिश्चियन अलायन्स छत्तीसगढ़ रहे .
सुप्रसिद्ध संस्कृति कर्मी और शांति एवं एकजुटता के लिए लम्बे अरसे से कार्य कर रही शबनम हाशमी को इस yatra की परिकल्पना का श्रेय देते हुए स्थानीय संयोजन कर्ता अखिलेश एडगर ने बताया कि देश की मौजूदा परिस्थियों को महिलाओ के प्रति हिंसा की वृद्धि और सदभावना विरोधी वातावरण के निर्माण का सकारात्मक विरोध करने इस राष्ट्रव्यापी अभियान के अंतर्गत 22 सितम्बर को 5 महिला यात्रायें आरंभ हो चुकी है. इन सभी यात्राओं का समापन 13 अक्टूबर को दिल्ली में होगा. ये जत्थे केरल, तमिलनाडु, जम्मू – कश्मीर, आसाम तथा दिल्ली से एक साथ आरंभ हुयी हैं. प्रत्येक यात्रा में भिन्न – भिन्न पृष्टभूमि की 25 महिलाएं हैं. प्रत्येक राज्य में स्थानीय महिलाएं भी यात्राओं में शामिल हो रही हैं.रायपुर में शबनम हाशमी व तीन अन्य आयोजकों ने 20 दिन पूर्व इस सम्बन्ध में बैठक ले कर छत्तीसगढ़ में जत्थे के आगमन की सूचना दी थी .
कार्यक्रम की शुरुआत इप्टा रायपुर के शेखर नाग द्वारा अंचल के प्रसिद्ध कवि जीवन यदु के जनगीतों के गायन से किया गया .
आज़ादी के बाद बबा के महेनत मिल गे मट्टी मा ,
गंगाजल ला खोजत खोजत , देश खुसर गे भट्ठी मा .
एवं
राहों पर नीलाम हमारी भूख नहीं हो पायेगी
जैसे गीतों की लयबद्ध प्रस्तुति दी गयी . तमिल गीत की प्रस्तुति भी वहां से आई महिला साथी द्वारा किया गया .
कार्यक्रम में प्रगतिशील लेखक संघ के डॉ आलोक वर्मा , संजय शाम एवं जनवादी लेखक संघ से ऋचा रथ एवं काव्या द्वारा अपनी कवितायेँ प्रस्तुत की गयी . छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के नसीम मोहम्मद द्वारा पुस्तकों , पत्रिकाओं के स्टाल के माध्यम से वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं सामाजिक समानता सम्बन्धी पुस्तिकाओं को प्रदर्शित किया गया था .

महिलाओं के खिलाफ़ शोषण , अन्याय पहले भी होता रहा है किन्तु अब इसके लिए सामाजिक स्वीकार्यता बढाई जा रही है , ये खतरनाक है .

कार्यक्रम की शुरुआत में जत्थे की नेता मुख्य अतिथि एनी राजा (नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन वीमेन, नई दिल्ली)ने महिलाओं के नेतृत्व में निकलने वाली इन यात्राओं का उद्देश्य देश भर में प्रेम, सद्भाव, शांति और अहिंसा का सन्देश फैलाना तथा संवैधानिक मूल्यों की रक्षा का संकल्प लेना बताया , साथ ही बताया की महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों पर होने वाले लक्ष्यबद्ध हमलों के विरुद्ध संघर्ष हेतु जनसामान्य को तैयार करना भी है , देश में अब तक के बदलाव लाने में हमेशा महिलाओ की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही है अब तक की यात्रा में देश भर के एक हजार से अधिक संगठन और लाखों लोग जुड़ चुके हैं . देश में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की स्थिति पहले भी चिंतनीय थी किन्तु अब हालत अधिक ख़राब इस लिए दिखाई दे रहे हैं क्योकि रेपिस्ट के पक्ष में कुछ राज्यों के मंत्री तक राष्ट्र ध्वज ले कर रैली निकालने लगे हैं , स्पष्ट है की महिलाओं वर्तमान हालात में देश में अमन को बनाये रखने के लिए अपने अपने घरों से निकलना ही पड़ेगा . बेटी बचाओ का नारा लेन वालों के राज्यों में बोर्ड परीक्षाओं में मेरिट पर आने वाली बेटियों तक के साथ सामूहिक अपराध होने पर महिला मंत्री अपराधियों को कड़ी सजा देने की मांग के बजाय बेरोजगार युवाओं की कुंठा को इसका जिम्मेदार बताती है ,लड़कियां , महिलाये मंदिर , मस्जिद , गिरजाघर , मठ , आश्रम कही भी सुरक्षित नहीं है , कुल मिला कर स्त्रियों के विरुद्ध देश में युद्ध जैसे हालात हैं. रोहित वेमुला, संगीता ( तमिलनाडु ) जैसे जाने कितने युवा शिक्षण व्यवस्था में असमानता पूर्ण व्यव्हार के चलते मारे जा रहे हैं . मोबलिंचिंग देश में कही भी गाय पालने वालों , किसी भी पशु का मांस खाने वालों और समाज सेवा करने वालों के साथ हो जाता है , किसी प्रतिभाशाली इंजिनियर को बच्चा चुराने वाले के अफवाह में सड़क पर पीट पीट कर मार डाला जा रहा है . किसानो की सारे देश में बुरी हालत है वे कर्जो के बोझ टेल आत्महत्या करने को मजबूर हैं.उनकी जमीने 6 लेन सडकों , बुलेट ट्रेन , नई रोजगार विहीन विकास योजनाओ के लिए ली जा रही हैं . इन सब मुद्दों को उठाने वालों को देशद्रोही और शहरी नक्सल कह कर आलोचना और विरोध की हर आवाज को दबाया जा रहा है . जाति धर्म और लिंग के आधार पर समानता के मूलभूत संवैधानिक अधिकारों की जगह कम की जा रही है . अमन को कम या ख़त्म किया जा रहा है सामाजिक तनाव बढाया जा रहा है .

जत्था के साथ राजस्थान से चल रही निशा ने यात्रा संस्मरणके साथ ही अन्य यात्रियों का परिचय भी दिया , बताया की अब हम महिलाये देश को न बांटने देंगे न मिटने देंगे अब इस देश को यहाँ की जागरूक महिलाएं ही बचा लेंगी . आज देश में न बहुसंख्यक हिन्दू सुरक्षित है न अल्पसंख्यक मुस्लिम या इसाई ! गौरी लंकेश , डाक्टर कलबुर्गी , पनसारे इत्यादि हिन्दू होने के बाद भी मारे गए , रकबर, दादरी के मुस्लिम नागरिक यूँ ही मार दिए गए , फिर भला कौन है जो सुरक्षित होने का दावा कर सकता है जब खुद प्रधान मंत्री अपनी हत्या की आशंका जता रहे हों. विभिन्न क्षेत्रों की महिलाओं में बिस्मिल्ला बेगम, शेख अमर जहाँ ( गुजरात) माधुरी काले ( सेवानिवृत शिक्षिका दिल्ली ) रतनमणि नायक, संगीता दुग्गल ( कंधमाल , ओडिसा ) शीला भारती , मोना देवी मो. अबूज़र ( दिल्ली ) अफसाना शेख ( आसाम ) मो. इशफाक ( कश्मीर ) मोहंती ( नागपुर महाराष्ट्र ) सिमरन ( जयपुर , राजस्थान )तमिलनाडु से सेवती इत्यादि ने जत्थे में सक्रीय भागीदारी की है . कश्मीर के इशफाक ने वहां के हालत से बच्चों की पढाई , रोजगार पर सबसे अधिक हानि होने की स्थितियों को स्पष्ट किया . रायपुर से बिलासपुर एवं सक्ती में प्रदर्शन करने के बाद जत्था दिल्ली की ओर चला जायेगा . इन सभी यात्राओं का समापन 13 अक्टूबर को दिल्ली में होगा.

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