मजदूरों ने कहा कि भूखों मर जाएंगे, लेकिन अब रोजगार के लिए गुजरात नहीं जाएंगे

मुजफ्फरपुर: गुजरात में 14 महीने की बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद वहां से उत्तर भारत के लोगों को भगाया जा रहा. इतना ही नहीं बल्कि कई लोगों की पिटाई भी की गई है. जो गुजराती नहीं बोल पाते, उनके साथ की मारपीट लगातार की गयी .
मजदूरों ने कहा कि भूखों मर जाएंगे, लेकिन अब रोजगार के लिए गुजरात नहीं जाएंगे। अपने ही देश में हमारे साथ बेगानों जैसा व्यवहार हुआ. हमसे गुजराती बोलने को कहा जाता। जो नहीं बोल पाते, उनके साथ मारपीट की जाती थी. इस मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और बिहार कांग्रेस के सह प्रभारी और विधायक अल्पेश ठाकोर पर मुजफ्फरपुर कोर्ट में केस दर्ज किया गया है.
वहीं, कोर्ट में केस दर्ज करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने कहा कि गुजरात के सीएम और अल्पेश ठाकोर की मिलीभगत से यह सब हो रहा है. वहां बिहारियों पर जुल्म हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि वो गुजरात में नहीं बल्कि पाकिस्तान में रह रहे हों. उनके साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है जैसे वो भारत के नागरिक ही नहीं हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने कहा कि वो इसी से आहत होकर मुजफ्फरपुर सीजेएम कोर्ट में केस करने पर मजबूर हुए हैं. उन्होंने कहा कि कोर्ट में केस दर्ज करने बाग उसे कोर्ट ने एक्सेप्ट भी कर लिया है. इसके लिए कोर्ट ने सुनवाई के लिए 2 नवंबर भी दिया है. उस दिन कोर्ट में सुनवाई होगी.
गुजरात से लौटे ज्योतिश राय, बृजेश कुमार, अजय कुमार, जितेंद्र, वीरेंद्र, धनेष और रमेश आदि ने बताया कि 28 सितंबर के बाद से घर वापसी पहाड़ सरीखा गुजरा। हम बाजार में निकलते थे तो लोग पैनी नजर से देखते थे। मोहल्ले वालों ने बात करना छोड़ दिया था।स्थानीय युवकों ने हमारी पिटाई भी की। रविवार को दिन में कई लोग राजपुर स्थित हमारी कॉलोनी में आ धमके। चेतावनी दी, यदि रात में गुजरात नहीं छोड़ा तो खैर नहीं। हम डर गए। हमारे पास किराए तक के रुपये नहीं थे। दिनभर की मेहनत के बाद इसका जुगाड़ हुआ। रविवार रात्रि करीब 11 बजे छुपते हुए ऑटो से निकटवर्ती किलोल रेलवे स्टेशन पहुंचे। ट्रेन पकड़ रात में एक बजे अहमदाबाद पहुंचे। वहां से कुछ मजदूरों ने दिल्ली तो कुछ ने गोरखपुर की ट्रेन पकड़ ली। सुनील, अमित, मोनू, संजय, दीनबंधु, तारकेश्वर व बिट्टू ने कहा कि घर वापसी के बाद ऐसा लग रहा है जैसे दोबारा जन्म हुआ हो। रोटी के लिए तरसे, की गई पिटाई, हर किसी के पास भयावह अनुभव है .28 सितंबर के बाद से हर दिन रोटी के लिए तरसना पड़ा। जिन फैक्ट्रियों में काम करते थे, वहां से भगा दिया गया। मजदूरी नहीं दी गई। जो रुपये थे, भोजन के जुगाड़ में समाप्त हो गए।
गुजराती बेरहमी से पीट रहे हैं, रहम की भीख मांगने पर भी वो नहीं मान रहे थे. गुजरातियों के नजर में गलती सिर्फ इतनी है कि ये लोग बिहारी थे.

गुजरात के अहमदाबाद में 14 महीने की बच्ची से रेप के बाद उत्तर भारतीयों के ऊपर हमले और वहां से पलायन का असर देखने को मिल रहा है. गुजरात से बिहार लौटे गरीब मजदूरों का परिवार बेरोजगारी की वजह से भुखमरी के कगार पर आ गया है. गुजरात में हुए इस हमले ने हर किसी को हैरान तो कर ही रखा था अब भुखमरी ने परेशान कर रखा है.
वैसे देखा जाए तो हमले के इतने दिनों बीत जाने और गुजरात से मजदूरों को भगाए जाने के बाद भी बिहार सरकार की ओर से राजनीतिक बयानबाजी के अलावा प्रबंधन की कोई पहल तक नहीं की गई है.
बिहार के भोजपुर जिले के कोईलवर प्रखंड की बिन्दगांवा बिंदटोली गांव के का रहने वाला रोहित इसी साल गुजरात गया था. 21 साल का रोहित वहां दस हजार के मेहनताने पर लेथ मशीन के कारखाने में मजदूरी करता था. गुजरात में हमले के बाद बिहार लौटे रोहित के घर में पिछले चार दिनों से चूल्हा नहीं जला है. जब रोहित की मां चूल्हे की ओर देखती है और फिर भूख से तड़पते अपने बच्चों की ओर तो उनका कलेजा फट जाता है.
रोहित गांव के ही 15 लोगों के साथ गुजरात गया था जिसमें से अभी भी कई लोग गुजरात फंसे हुए हैं. जब कभी गांव में मोबाइल की घंटी बज रही है तो भय से हर किसी का हाथ खुद ही जुड़ जाता है कि कहीं कोई बुरी खबर न मिले. बता दें कि इस गांव में दर्जनों घर ऐसे हैं जिनके घर के चिराग और सुहाग आज गुजरात में घिरे हुए हैं.
इस गांव के घरों में गुजरात में हुई अमानवीय हिंसा के बाद हर किसी के घर में मातम की स्थिति बनी हुई है. लोगों के चेहरे से खुशियां मिट गई हैं. नन्हें-नन्हें बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग भी आहत हैं कि ये सब क्यों हो रहा है. हमले का शिकार होकर गुजरात से लौटे मजदूरों ने अपनी आपबीती सुनाई कि किस प्रकार से उन बेगुनाहों के ऊपर कहर टूटा है. गुजराती बेरहमी से पीट रहे हैं, रहम की भीख मांगने पर भी वो नहीं मान रहे थे. गुजरातियों के नजर में गलती सिर्फ इतनी है कि ये लोग बिहारी थे.

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