न्यूयॉर्क:- घातक हथियारों और मजबूत अर्थव्यवस्था के दम पर पूरी दुनिया पर धौंस जमाने वाला अमेरिका भी कोविड-19 के सामने पस्त है। डोनाल्ड ट्रंप की सरकार तमाम कोशिशें कर रही है, लेकिन सूक्ष्म कोरोना कंट्रोल में नहीं आ रहा है, लगातार लोगों को अपना शिकार बना रहा है। आलम यह है कि अमेरिका कोरोना से दुनिया का सबसे अधिक संक्रमित देश बन चुका है। यहां एक लाख से अधिक पॉजिटिव केस की पुष्टि हुई है।

इस मेडिकल चुनौती के सामने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अभी तक बेबस नजर आ रहे हैं। इस बीच, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी ऐंड इन्फेक्शन डिजिज (एनआईएआईडी) के डायरेक्टर ने जो अनुमान जताया है उससे पता चलता है कि कोरोना वायरस ट्रंप सरकार की हालत और भी खराब करेगा।

न्यू यॉर्क को कब क्वॉरंटीन करेंगे ट्रंप?
एनआईएआईडी के निदेशक डॉ. एंथनी फौसी का अनुमान बेहद डराने वाला है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में अमेरिका में लाखों लोग कोविड19 की चपेट में आ जाएंगे। यह वायरस एक लाख से अधिक लोगों की मौत का कारण बन सकता है। उल्लेखनीय है कि न्यू यॉर्क में सबसे ज्यादा कोरोना का प्रकोप है। इस शहर में संक्रमण के हजारों मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने अब तक न्यू यॉर्क को क्वॉरंटीन करने का फैसला नहीं किया है।

दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश में कोरोना के रविवार तक 1.3 लाख केस की पुष्टि हो चुकी है और 2300 से अधिक लोगों की जान गई है। वहीं, अमेरिका के बाद इटली और स्पेन बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। दोनों देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ा संकट झेल रहे हैं और डॉक्टरों के पास सीमित संसाधनों के बीच अपने मरीजों के इलाज के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इटली और स्पेन यूरोपीय संघ से और मदद देने की अपील कर रहे हैं।

अमेरिका के गांवों तक कोरोना
दुनिया में अब तक कोरोना से 31 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अब यह वायरस अमेरिका के डेट्रायट, न्यू ऑरलींस और शिकागो में अपनी पकड़ जमा रहा है। यहां तक कि अमेरिका का ग्रामीण क्षेत्र भी वायरस से नहीं बचा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा कहीं ज्यादा है, क्योंकि कई देशों के राजनीतिक फैसले के कारण यह तय नहीं हो पाया है कि किस शव को गिना जाए और किसे नहीं। जैसे कि अमेरिका, फ्रांस और इटली नर्सिंग होम और घर में हुई मौत को नहीं जोड़ते।

ब्लड प्लाज्मा तरकीब से कोरोना ठीक करने की कोशिश में US
वैश्विक महामारी से निपटने के लिए हर देश अपने-अपने हिसाब से तरकीब अपना रहे हैं। इसी कड़ी में अमेरिकी डॉक्टर ब्लड प्लाज्मा तकनीक से कोरोना को ठीक करने की कोशिश में हैं। अमेरिका के ह्यूस्टन के एक प्रमुख अस्पताल ने कोविड-19 से ठीक हुए एक मरीज का रक्त इस बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित एक रोगी को चढ़ाया है और यह प्रायोगिक इलाज आजमाने वाला देश का ऐसा पहला चिकित्सालय बन गया है।

घातक कोरोना वायरस से पीड़ित होने के बाद दो सप्ताह से अधिक समय तक अच्छी सेहत में रहे एक व्यक्ति ने ब्लड प्लाज्मा दान दिया है। इस व्यक्ति ने यह ब्लड प्लाज्मा ह्यूस्टन मेथोडिस्ट हॉस्पीटल में ‘कोनवालेस्सेंट सीरम थेरेपी’ के लिए दिया है। इलाज का यह तरीका 1918 के ‘स्पैनिश फ्लू’ महामारी के समय का है।

मेथोडिस्ट्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक चिकित्सक वैज्ञानिक डॉक्टर एरिक सलाजार ने एक बयान में कहा, ‘कोनवालेस्सेंट सीरम थेरेपी एक महत्वपूर्ण उपचार का तरीका हो सकता है क्योंकि सहायक देखभाल के अलावा कई रोगियों को मुहैया कराने के लिए और कुछ बहुत कम है और चल रहे परीक्षणों में थोड़ा समय लगेगा।’

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