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नई दिल्ली:- केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की तमाम कोशिशों के बावजूद वैश्विक महामारी कोरोना आहिस्ता-आहिस्ता भारत के अलग-अलग हिस्सों मे पांव पसार रही है। स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट के मुताबिक रविवार शाम तक देश में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 1120 तक पहुंच चुका है। इसमें 96 ऐसे लोग हैं जो या तो विदेशी हैं या वे कोरोना से ठीक हो चुके हैं। इसके अलावा इस महामारी से 27 लोग जान भी गंवा चुके हैं। इस आंकड़े में दो राज्यों महारष्ट्र और केरल की हालत सबसे ज्यादा चिंताजनक है। इन दोनों राज्यों को मिलाकर अकेले 400 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं।

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित
महाराष्ट्र में अब तक 217 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इसमें से 7 लोगों की मौत हो चुकी है और 25 लोग इस वायरस को हराकर पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। इसमें से अकेले मुंबई और ठाणे को मिलाकर 110 संक्रमित लोग हैं। पुणे से 37, नागपुर से 13, अहमदनगर से 3, रत्नागिरि से एक, औरंगाबाद से एक, यवतमाल से 3, मिराज से 25, सतारा से 2, सिंधुदुर्ग, कोल्हापुर, जलगांव, और बुलढाना से एक-एक मामला सामने आया है।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को कहा कि राज्य में कोरोना वायरस के सामुदायिक स्तर पर फैलने का कोई मामला अभी तक सामने नहीं आया है और यहां के सभी कोविड-19 मरीज ऐसे हैं जो विदेश से आए थे या जो संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए थे। पवार ने ट्वीट कर कहा कि प्रकोप का तीसरा चरण, जो कि सामुदायिक प्रसार है, अभी तक नहीं आया है। इसके अलावा पवार ने लोगों से सड़कों पर बाहर नहीं निकलने की अपील की।

केरल में कोरोना का प्रकोप
भारत में कोरोना का पहला केस केरल में ही दिखा था। अब यहां कोरोना प्रकोप काफी अधिक हो गया है। यह राज्य भले ही महाराष्ट्र से काफी छोटा है, लेकिन यहां भी कोरोना संक्रमितों की संख्या 200 से ज्यादा है। रविवार शाम तक केरल में 202 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इसमें से 16 लोग ठीक हो चुके हैं और एक की जान जा चुकी है। यूएई में जितने भारतीय प्रवासी हैं उनमें सबसे ज्यादा केरल के लोग हैं। यूएई की अर्थव्यवस्था में इन मलयालम भाषी लोगों की अहम भूमिका है। माना जा रहा है कि विदेश यात्रा करने और उनके संपर्क में आए लोगों में ही कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं।

कर्नाटक, यूपी, तेलंगाना का भी बुरा हाल
कोरोना संक्रमित लोगों की लिस्ट में कर्नाटक में 83, उत्तर प्रदेश में 76, तेलंगाना में 67, गुजरात 58, राजस्थान 56 और तमिलनाडु में 50 केस हैं। ये ऐसे राज्य हैं जहां 50 या इससे ज्यादा लोग संक्रमित हैं। वहीं दिल्ली में भी 73 संक्रमित लोग मिले हैं। गनीमत है कि कोरोना अभी तक ग्रामीण इलाकों में नहीं पहुंचा है। आईएसएमआर का मानना है कि भारत अभी संक्रमण के तीसरे फेज में नहीं पहुंचा है। उस फेज में अगर जाने से बचना है तो हर भारतीय को लॉकडाउन के नियम का सख्ती से पालन करना होगा।

सर्वाधिक संक्रमित इलाकों को चिन्हित कर रही सरकार
स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को बताया है कि महाराष्ट्र, राजस्थान, केरल, दिल्ली समेत देश के तमाम राज्यों में उन जगहों को चिन्हित किया जा रहा है जहां से संक्रमण के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग इस तैयारी में है कि इन इलाकों में संक्रमण रोकने के लिए और भी उपाय आजमाए जा सकते हैं।

लॉकडाउन से आगे के कदम की तैयारी
भारत ने कोविड-19 महामारी के विकराल रूप होने से पहले ही लॉकडाउन जैसा बड़ा कदम उठाया है। ऐसा दुनिया के किसी भी देश ने नहीं किया था, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन जैसे देश कोरोना को संभाल नहीं पा रहे हैं। चीन और दक्षिण कोरिया ने काफी हद तक कोरोना के प्रकोप को कम कर लिया है। चीन ने लॉकडाउन के सख्त नियम के अलावा कई और कदम उठाए थे। भारत में भी विशेषज्ञ मान रहे हैं कि लॉकडाउन से बात नहीं बनने वाली है। हमें आगे के कदम के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

जानकार मानते हैं कि केवल लॉकडाउन से भारत में कोरोना के संक्रमण को शून्य नहीं किया जा सकता है। इसके लिए संदिग्ध लोगों के संपर्क में आए प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचने के लिये जीपीएस जैसी तकनीकों का सहारा लेना होगा। जरूरी काम जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना होगा। जांच की क्षमता को मांग की तुलना में काफी अधिक रखना है।

चीन में संक्रमित मरीजों के संपर्क में आये लगभग 26 हजार लोगों की पहचान हुयी, उनमें से 2,58,00 तक जीपीएस की मदद से पहुंचा जा सका। वहीं दक्षिण कोरिया ने देश की अधिकतर जनता टेस्ट कर लिया, जिसके बाद संक्रमित लोगों को अलग कर दिया गया।

लॉकडाउन के नियम टूटने से खतरा
भारत में लॉकडाउन लागू होने के बावजूद कुछ लोग इसका उल्लंघन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बार-बार आग्रह करने के बाद भी लोग रोड पर निकलने से बाज नहीं आ रहे हैं। मजदूर वर्ग भोजन की आस में मजबूरी में रोड पर निकले। वे बस अड्डों पर जमा हुए। ऐसे में खतरा है कि शहरों से गांव गए लोग कहीं वहां भी संक्रमण ना फैला दें।

 

भारत कोरोना से हारेगा या जीतेगा, सब जनता के हाथ
आईसीएमआर के डॉक्टर आर. गंगा केतकर कहते हैं कि कोरोना महामारी से भारत जीतेगा या हारेगा ये सब भारत के लोगों पर निर्भर है। गंगा ने कहा कि सरकार नियम बना सकती है, सलाह दे सकती है, लेकिन उसका पालन करना जनता को करना है। जनता जब तक सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) के नियम का पालन नहीं करेगी तब तक हम इस जंग को नहीं जीत सकते हैं। ये हर भारतीय को समझना होगा कि अगर वह सच में देश से प्यार करते हैं तो घरों में रहें। पीएम नरेंद्र मोदी और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री कई बार देश की जनता से घरों में रहने की अपील कर चुके हैं। कुछ राज्यों में पुलिस बल की मदद से सख्ती भी बरती गई है।

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