आखिर अरविन्द नेताम के कांग्रेस प्रवेश का फायदा मिला , रिटायर आदिवासी अफसरों ने एकजुटता दिखाई
आशंका: चौथी बार भाजपा आई तो प्रदेश में राजतंत्र हावी
भूमि अधिग्रहण बिल मनचाहा बदलाव के साथ लागू कर देगी भाजपा सरकार

जगदलपुर. आखिर अरविन्द नेताम के कांग्रेस प्रवेश का फायदा मिला , रिटायर आदिवासी अफसरों ने एकजुटता दिखाई , श्री नेताम के साथ कुछ वर्षों से आदिवासी समाज की एकता के लिए काम कर रहे भाजपा की तरफ से चार बार सांसद रहे वर्तमान में निष्काषित सोहन पोटाई ने सोमवार को प्रदेश के सर्व आदिवासी समाज की तरफ से ऐलान किया है कि प्रदेश में लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए आदिवासियों ने कांग्रेस का साथ देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को आशंका है कि प्रदेश में चौथी बार भाजपा की सत्ता आने के बाद यहां राजतंत्र का राज होगा। आदिवासियों के हितों को मारने वाले भू-अधिग्रहण बिल को भाजपा सरकार लागू कर सकती है। सोहन पोटाई के इस ऐलान के बाद भाजपा की मुश्किलें बढती दिख रही हैं क्योंकि अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर इसका व्यापक असर दिखाई दे सकता है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी नवल सिंह मण्डावी, वरिष्ठ आदिवासी नेता शंकर सिंह कोयावंशी और बीजापुर जिले के अजय सिंह चौहान के साथ यहां एक प्रेस-कांफ्रेंस में पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने कहा कि चूंकि कांग्रेस के रूप में आदिवासियों के पास विकल्प मौजूद है, लिहाजा प्रदेश में लोकतंत्र बचाने के लिए पूरे समाज ने कांग्रेस का साथ देने का फैसला किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पंद्रह साल के शासनकाल में भाजपा में प्रदेश के आदिवासियों को बहुत अहित किया है। इस मौके पर मौजूद भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी नवल सिंह मण्डावी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल के तहत आदिवासियों की जमीन कोई भी आपसी सहमति से खरीद सकता है। आदिवासियों के हित के विपरीत सरकार ने यह कानून विधानसभा में मंजूर कराया है। उन्होंने आशंका जताई कि यदि भाजपा की सरकार आएगी तो इस कानून को पूर्ण रूप से लागू करेगी इसलिए आदिवासी समाज ने बाजपा को वोट नहीं देने का फैसला किया है।
आशंका: चौथी बार भाजपा आई तो प्रदेश में राजतंत्र हावी इसलिए नहीं देंगे भाजपा को वोट
जनविरोधी नीतियों के कारण भाजपा सरकार पर हमला करते हुए नवल सिंह मंडावी ने कहा कि बस्तर के आदिवासी भारी संकट में हैं, वे पुलिस और नक्सली, दोनों तरफ से पिस रहे हैं, लगातार मारे जा रहे हैं , पिछले 15 सालों में भाजपा सरकार नक्सली समस्या का हल नहीं निकाल सकी है,भाजपा सरकार की गलत शिक्षा नीति, बेरोजगारी, अनुसूचित जाति के आरक्षण को घटाना , आदिवासी बच्चों का शारीरिक शोषण सहित अन्य मुद्दों पर सरकार की गलत नीति के कारण आदिवासियों ने भाजपा सरकार को वोट नहीं देने का फैसला किया है.

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