यू पी के आठवें प्रांतीय सम्मेलन में जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष असगर वजाहत

मुनेश त्यागी
मेरठ , जनवादी लेखक संघ यू पी के आठवें प्रांतीय सम्मेलन में जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष असगर वजाहत ने कहा कि संवेदनशील समाज बनाना लेखकों का जरूरी काम है। आज समाज को असंवेदनशील बनाने का अभियान जारी है।
उन्होंने कहा कि आज हजारों साल से सृजित अर्जित मूल्यों को नष्ट किया जा रहा है, जनता की बात करने वालों का उपहास उडाया जा रहा है, झूठ को सच बनाकर पेश किया जा रहा है। पुराणपंथी विचारों को फैलाया जा रहा है। मीडिया की भुमिका नकारात्मक हो गई है। धर्मांध मुद्दों को उछाला जा रहा है और बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाया जा रहा है।
उन्होंने लेखकों, कवियों और साहित्यकारों का आह्वान किया कि वैज्ञानिक संस्कृति और ज्ञान विज्ञान संस्कृति को बढावा दिया जाय। भारतीय जनता और सरकार गरीब हो रही है और अरबपति पूंजीपतियों की संख्या बढ रही है। नफरत और हिंसा के आधार पर समाज का विकास नही किया जा रहा है
हमें जनता के दुख दर्दों को अपने रचनाकर्म में स्थान देने की जरुरत है। सांस्कृतिक जाग्रति के बिना राजनैतिक जाग्रति नही की जा सकती है।
राष्ट्रीय सचिव संजीव कुमार ने कहा है यह प्रतिक्रांति का समय है, जनता के अधिकारों पर जबरदस्त हमला जारी है।पूंजीपतियों द्वारा बाजार के लिए साहित्य तैयार किया जा रहा है। लोगों के साहित्यिक रुचि बदला जा रहा है।
आगरा से आये जन संस्कृति मंच के प्रदेश सचिव डा प्रेम शंकर ने कहा कि आज राजनैतिक चुनौतियों को समझने की जरुरत है। आज पूंजीवाद और साम्प्रदायिक ताकतों का कुरूप चेहरा हमारे सामने है जो, जहरीला, नफरती और हिंसक है, विकास कहने भर का नारा बनकर रह गया है। हमें अंधेरी सुरंग में ले जाया जा रहा है।
अध्यक्षता करते हुए डा नमिता सिंह ने कहा कि आज अमीरी और गरीबी के पहाड खडे कर दिए गये हैं। अज्ञानता और अंधविश्वास की नई पीढ़ी तैयार की जा रही है। मिथक को सच्चा इतिहास बताकर पेश किया जा रहा है। दिमागों को कुंद किया जा रहा है। क्रांतिकारी इतिहास को भुलाया जा रहा है। घृणा की राजनीति को स्थाई कर दिया गया है।
प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए जिला सचिव मुनेश त्यागी ने कहा कि आज अमीरी और गरीबी के पहाड खडे कर दिए गये हैं। संविधान, कानून के शासन और गंगा जमनी तहजीब पर हमलें जारी हैं। साहित्य को राजनीति के मातहत किया जा रहा है जो सच नही है। साहित्य राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है। आज पूंजी और साम्प्रदायिकता के गठजोड़ ने समाज के सामने बहुत बडी चुनौती खडी कर दी है। हमें जनवादी और समाजवादी मूल्यों को जनता की सोच का हिस्सा बनाना पडेगा।
सम्मेलन में अमरनाथ मधुर, नमिता सिंह, सुधीर सिंह, सोनी पांडे, केशव तिवारी, महेंद्र प्रताप सिंह, विमल चंदावर, धर्मराज, मुसर्रफ अली और विशाल श्रीवास्तव ने भाग लिया।
इस अवसर पर, आर बी शर्मा, ब्रजपाल सिंह ब्रज, डोरीलाल भाष्कर, मंगल सिंह मंगल, बलजोर सिंह चिंतक, धरमपाल मित्रा, महेंद्र सिंह ,अबोध ,ब्रजवीर सिंह, राजकुमार गुजर, घासी राम मलिक, तोसीफ अली खान, रामगोपाल भारतीय, पुष्पक शर्मा, असरफ अली अंसारी, आदि उपस्थित थे।
सम्मेलन में मुरादाबाद, बांदा, फैजाबाद, इलाहाबाद, लखनऊ, मुजफ्फरनगर, आजमगढ, कानपुर, अलीगढ और मथुरा के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अनिल कुमार सिंह, प्रदीप सक्सेना, मुनेश त्यागी, प्रमोद कुमार, महेंद्र प्रताप सिंह, केशव तिवारी और संध्या सिंह को प्रादेशिक उपाध्यक्ष चुना गया ।

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