नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के तीन आरोपियों अमोल काले,राजेश बांगरा और अमित देगवेकर की जमानत मंजूर
पुणे कोर्ट द्वारा सीबीआई को चार्जशीट दाखिल करने के लिए और वक्त दिए जाने के बाद भी CBI चार्ज शीट नहीं पेश कर पाई

नई दिल्ली. प्रसिद्ध विज्ञान कार्यकर्त्ता , महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति संस्थापक, लेखक डाक्टर नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में पुणे सेशन्स कोर्ट ने तीन आरोपियों अमोल काले, राजेश बांगरा और अमित देगवेकर की जमानत मंजूर कर ली. सीबीआई के इन तीनों के खिलाफ 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल न कर पाने के बाद सेशन्स कोर्ट ने इनकी जमानत को मंजूरी दे दी. इन तीनों ने अपनी जमानत की अर्जी कोर्ट में दाखिल की थी.
नरेंद्र दाभोलकर महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (एमएएनएस) के संस्थापक थे , उन्होंने अंधविश्वास और रूढ़िवादिता के खिलाफ दशकों तक काम किया , कई किताबें लिखी , कट्टरपंथी ताकतें उन पर लगातार आक्षेप करती रहती थीं , महाराष्ट्र सरकार द्वारा विधानसभा में पास किये जाने वाले अंधविश्वास विरोधी कानून का ड्राफ्ट वे लम्बे समय से तैयार कर रहे थे और 20 अगस्त 2013 को पुणे में उनकी हत्या कर दी गई थी. इसमें दो आरोपी गौरी लंकेश मर्डर केस में कर्नाटक एसआईटी की न्यायिक हिरासत में हैं और अमोल काले गोविंद पनसारे मर्डर केस की जांच करने वाली एसआईटी टीम की कस्टडी में है.
इसका मतलब ये भी है कि इस मामले में जमानत होने के बाद भी तीनो आरोपियों को षडयंत्र पूर्वक हत्या के दूसरे मामलों में अभी जेल में ही रहना होगा .
अमोल काले को सीबीआई ने 6 सितंबर को हिरासत में लिया था.गौरी लंकेश मर्डर केस में काले की गिरफ्तारी हुई थी.सीबीआई ने शक के आधार पर काले को गिरफ्तार किया था. सीबीआई को शक था कि काले ने ही दाभोलकर की हत्या की साजिश रची थी, लेकिन पुणे कोर्ट द्वारा सीबीआई को चार्जशीट दाखिल करने के लिए और वक्त दिए जाने के बाद भी CBI ऐसा नहीं कर सकी और कोर्ट ने तीनों आरोपियों की जमानत मंजूर कर ली.
देशभर में बुद्धिवादी आन्दोलन और विज्ञान के प्रचार प्रसार का काम करने वाले लाखों कार्यकर्ताओं में इन बुजुर्ग विचारकों और लेखकों की हत्या से बेहद आक्रोश रहा है , इस वर्ष 2018 के अगस्त माह की 20 तारीख को हत्या वाले दिन को कट्टरपंथी विज्ञान विरोधी ताकतों के प्रति समाज को जागरूक करने के लिए देश भर में ‘ वैज्ञानिक दृष्टिकोण दिवस ‘ मनाया जाता है .

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