किसान मजदूरों की हड़ताल ने बैंकों से ले कर निगमों तक की धड़कन रोकी

नई दिल्ली . विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के पहले दिन मंगलवार को पश्चिम बंगाल में छिटपुट घटनाएं हुईं, जबकि मुंबई में सार्वजनिक परिवहन की बसें सड़कों से दूर रहीं. दूसरी तरफ बैंकों का कामकाज आंशिक रूप से प्रभावित हुआ. यूनियनों ने सरकार पर श्रमिकों विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया है. देश के ज्यादातर इलाकों में सामान्य जनजीवन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा. हालांकि, वामदल शासित केरल में यह आंदोलन पूरी तरह हड़ताल में तब्दील हो गया. वहां स्कूल, कॉलेज बंद रहे और बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुईं. मुंबई में सार्वजनिक परिवहन सेवा बेस्ट के 32,000 से अधिक कर्मचारी मंगलवार को वेतन वृद्धि की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए. उनकी यह हड़ताल ट्रेड यूनियनों की हड़ताल के दिन ही शुरू हुई. इससे करीब 25 लाख दैनिक यात्री प्रभावित हुए. इस बीच, केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि यदि वे हड़ताल पर जाते हैं और काम पर नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

हड़ताल के दूसरे दिन बुधवार को पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं. पुलिस ने बताया कि हावड़ा जिले में स्कूल बसों पर पथराव किया गया. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बाद में पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को वहां से खदेड़ दिया. अधिकारियों ने बताया कि दक्षिणी कोलकाता के जादवपुर में एक बस स्टैंड पर रैली निकालने के लिए बुधवार को एक बार फिर वरिष्ठ माकपा नेता सुजान चक्रवर्ती को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. मंगलवार को भी हड़ताल के समर्थन में रैली निकालने के लिए चक्रवर्ती को पुलिस ने हिरासत में लिया था और फिर शाम को रिहा कर दिया था.

बंगाल के कूचबेहार जिले में हड़ताल समर्थकों ने ऑटो पर पथराव किया, जिसके परिणामस्वरूप चालकों ने अपनी सेवाएं बंद कर दी. वरिष्ठ माकपा और वामपंथी नेताओं ने हड़ताल के समर्थन में राज्य के विभिन्न हिस्सों में जुलूस निकाले.

कोलकाता : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) नेता सुजन चक्रवर्ती सहित अन्य कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने उस वक्त हिरासत में ले लिया, जब वे न्यूनतम पारिश्रमिक, तथा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की मांग के अलावा सार्वजनिक तथा सरकारी सेक्टर के प्राइवेटाइज़ेशन के खिलाफ आहूत सेंट्रल ट्रेड यूनियनों की 48 घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में हिस्सा ले रहे थे.

छत्तीसगढ़ किसान सभा : पंचायतों पर किसानों और ग्रामीणों ने दिया जनधरना

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने प्रदेश के किसान समुदाय और ग्रामीणजनों को बड़े पैमाने पर देशव्यापी हड़ताल में शिरकत करने के लिए बधाई दी है. देशव्यापी मजदूर-किसान आंदोलन के पहले दिन आज प्रदेश के विभिन्न पंचायतों पर सैकड़ों की संख्या में किसान और ग्रामीणजन एकत्रित हुए और छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में अपनी मांगों को लेकर जनधरना दिया. इस आंदोलन के जरिये जहां केंद्र की मोदी सरकार से अपनी किसान विरोधी नीतियों को पलटने की मांग की जा रही है, वहीं प्रदेश की कांग्रेस सरकार से जल-जंगल-जमीन की संमस्याओं को हल करने की मांग की जा रही है.

छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते तथा महासचिव ऋषि गुप्ता ने बताया कि इस आंदोलन के जरिये स्वामीनाथन आयोग के सी-2 फार्मूले के अनुसार लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने, किसानों को सरकारी और निजी कर्ज़ों से पूर्ण रूप से मुक्त करने, 60 वर्ष से अधिक आयु के किसानों को प्रति माह 5000 रुपये पेंशन देने, देशव्यापी कृषि संकट पर विचार-विमर्श करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने, मनरेगा मजदूरों को 200 दिन काम और 600 रुपये रोजी देने, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी 18000 रुपये करने, विस्थापित किसानों को नौकरी-पुनर्वास देने, अधिग्रहित लेकिन अनुपयोगी भूमि को मूल भूस्वामी को वापस करने, भूराजस्व संहिता में किये गए आदिवासीविरोधी संशोधनों को वापस लेने, आदिवासी वनाधिकार कानून, पेसा एक्ट और 5वीं अनुसूची के प्रावधानों को लागू करने की मांग की जा रही है.

किसान सभा नेताओं ने बताया कि सूरजपुर, बलरामपुर, सरगुजा, बिलासपुर और कोरबा जिले में जहां किसान सभा के नेतृत्व में किसानों और ग्रामीणजनों ने धरना दिया, वहीं रायगढ़ में ट्रेड यूनियन कौंसिल और धमतरी में सीटू और राज्य सरकार कर्मचारियों के साथ मिलकर धरना दिया गया.

देशव्यापी हड़ताल : किसान सभा के ग्रामीण जन धरने दूसरे दिन भी.

देशव्यापी मजदूर-किसान हड़ताल के दूसरे दिन प्रदेश की कई पंचायतों पर छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में ग्रामीणजनों ने धरने दिए और केंद्र की मोदी सरकार से किसान और कृषि विरोधी नीतियों को वापस लेने या फिर अपना रास्ता नापने की मांग की. ग्राम पंचायतों के सरपंच और सचिवों के जरिये प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपे गए. ज्ञापन में मनरेगा की बकाया मजदूरी देने, बकाया वृद्धावस्था पेंशन देने और मासिक राशि बढ़ाने, शौचालय निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की जांच करने, भूमि के बंटवारे-नामांतरण की प्रक्रिया को सरल बनाने जैसी स्थानीय समस्याओं को हल करने की भी मांग की गई है.

छत्तीसगढ़ में विभिन्न स्थानों पर हड़ताल को मिली सफलता

छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते तथा महासचिव ऋषि गुप्ता ने बताया कि इस आंदोलन के जरिये राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर स्वामीनाथन आयोग के सी-2 फार्मूले के अनुसार लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने, किसानों को सरकारी और निजी कर्ज़ों से पूर्ण रूप से मुक्त करने, 60 वर्ष से अधिक आयु के किसानों को प्रति माह 5000 रुपये पेंशन देने, देशव्यापी कृषि संकट पर विचार-विमर्श करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने, मनरेगा मजदूरों को 200 दिन काम और 600 रुपये रोजी देने, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी 18000 रुपये करने, विस्थापित किसानों को नौकरी-पुनर्वास देने, अधिग्रहित लेकिन अनुपयोगी भूमि को मूल भूस्वामी को वापस करने, भूराजस्व संहिता में किये गए आदिवासीविरोधी संशोधनों को वापस लेने, आदिवासी वनाधिकार कानून, पेसा एक्ट और 5वीं अनुसूची के प्रावधानों को लागू करने की मांग की जा रही है.

किसान सभा नेताओं ने बताया कि दो-दिवसीय हड़ताल के दौरान  सूरजपुर, बलरामपुर, सरगुजा, बिलासपुर,धमतरी, रायगढ़, चांपा-जांजगीर और कोरबा जिलों में ग्रामीण जनधरने आयोजित किये गए. धरनों के दौरान किसान सभा नेताओं ने प्रदेश में व्याप्त कृषि संकट को रेखांकित किया, जिसके चलते 2000 किसान हर साल आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नई सरकार को किसानों पर चढ़े निजी व्यक्तियों, संस्थाओं और बैंकों के कर्ज़े माफ करने की भी पहलकदमी करनी चाहिए और इसके लिए राज्य सरकार को केंद्र सहायता दें. धान को 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर ख़रीदी करने के निर्णय का स्वागत करते हुए उन्होंने मांग की कि चना और गन्ना सहित सभी फसलों की सी-2 लागत के डेढ़ गुना पर खरीदी सुनिश्चित की जाए. वक्ताओं ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के कारण खेती-किसानी की समस्या आज कृषि संकट का रूप ले चुकी है और नवउदारवादी नीतियों से पलटना ही एकमात्र समाधान है.

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