छत्तीसगढ़ में जाति आधारित शोषण से मुक्त समाज की स्थापना का सपना और संकल्प

रायपुर (इंडिया न्यूज रूम ):- “जाति आधारित शोषण से मुक्त समाज” की स्थापना का सपना और संकल्प लिये दलित शोषण मुक्ति मंच की रायपुर इकाई का गठन विगत दिनों किया गया । गठन पश्चात् दलित शोषण मुक्ति मंच की पहली मीटिंग ज़ूम एप्प (ऑनलाइन) पर विगत दिनों रखी गयी, जिसमे डी एस एम एम के साथी शामिल हुये ।

सभा की शुरुवात में संचालन करते हुए मंच के साथी शेखर नाग ने “का होथे पढ़ेले अईसे पोथी अउ पुराण गा …..जाने नहीं तंय ह रे रहिथे कामा भगवान गा…नामक जनगीत पेश किया । उन्होंने छत्तीसगढ़ में दलित अधिकार और संघर्ष विषय पर अपनी बात रखते हुये कहा कि छत्तीसगढ़ में “मनखे मनखे एके बरोबर” का संदेश देने वाले गुरु घासीदास और शहीद वीर नारायण सिंह के संघर्ष की महान परंपरा है । छत्तीसगढ़ का वंचित तबका सदा से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहा है और डटकर संघर्ष किया है ।

इसके पश्चात मंच के प्रबंध कारिणी के वरिष्ठ सदस्य अखिलेश एडगर ने सभा के एजेंडे को साथियों के समक्ष रखा । इसके अलावा छत्तीसगढ़ के दलित संघर्ष की दशा – दिशा पर उन्होंने विस्तार से अपनी बात रखी ।

सभा में इसके बाद दलित शोषण मुक्ति मंच, रायपुर (ईकाई) के संयोजक रतन गोंडाने ने अपने विचार रखे। उन्होने सर्वेश्वर दयाल सक्सेना रचित एक जनगीत ” क्या ग़ज़ब का देश है ये…. बिन अदालत और मुव्वकिल के मुक़दमा पेश है” पेश करते हुये अपने वक्तव्य की शुरुवात की। वर्तमान समय में प्रदेश में दलित उत्पीड़न में लगातार हो रही बढ़ोतरी को लेकर चिंता जाहिर की और कहा कि शोषण के ख़िलाफ़ संघर्ष के बग़ैर दलितों की मुक्ति संभव नहीं। उन्होंने संगठन के बौद्धिक प्रशिक्षण की बात पर विशेष ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि वंचितों को अपने अधिकार के प्रति सचेत रहने की बहुत आवश्यकता है और वह अधिकारों के प्रति तभी सचेत रहेगा जब वह शिक्षित होगा और उसकी बुद्धि का विकास होगा।
सभा में पवन सक्सेना ने अपने विचार रखते हुुुए शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि शिक्षा ही ऐसी चाबी है, जिससे शोषण के सारे बंधन खुल सकते हैं। उन्होने संगठन के लिए आर्थिक संसाधन जुटाने पर विशेष बल दिया।

सभा में रेखा गोंडाने, प्रदीप गभने सहित अन्य साथियों ने भी अपने विचार रखे ।

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