कांकेर:- छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रदेश में आदिवासी नेताओं को प्रतिष्ठित पद देने की मांग तेजी से उठने लगी है। मोहन मरकाम को छत्तीसगढ़ कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किये जाने के बाद वर्षों ने पार्टी की निःस्वार्थ सेवा कर रहे वरिष्ठ आदिवासी नेताओं के समर्थक उन नेताओं को विशिष्ट पद देने की मांग कर रहे हैं।

कांकेर जिले में भी पिछले कई वर्षों से कांग्रेस पार्टी से जुड़े वरिष्ठ आदिवासी नेता नरेश ठाकुर को छत्तीसगढ़ सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा देने की मांग लगातार उठ रही है। उनके समर्थक पुरजोर तरीके से पार्टी में उच्च पदों पर आसानी लोगों तक अपने नेता नरेश ठाकुर की पार्टी के प्रति ईमानदारी और कर्त्तव्य निष्ठा को सम्मान प्रदान करने हेतु उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा देने के लिए एकजुट हो गए हैं।

कांकेर जिले में जन्मे नरेश ठाकुर एक सामान्य व मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। अपने सरल और मिलनसार व्यवहार से वे क्षेत्र में काफी लोकप्रिय है। अपनी इसी लोकप्रियता और कर्मठ नेतृत्व से ही वे पूर्व में कांकेर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्र संगठन (एनएसयूआई) के राष्ट्रीय सचिव एवं युवा कांग्रेस के अध्यक्ष व राष्ट्रीय सचिव समेत कई पदों पर रहते हुए पार्टी को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई है। आदिवासी परिवार में जन्मे नरेश ठाकुर पिछले पंद्रह वर्षों से कांग्रेस पार्टी में अपनी सेवा देते हुए जिले में पार्टी को मजबूत बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं।

उन्होंने पिछले पंद्रह वर्षों में कड़ा संघर्ष करते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाई है और क्षेत्र के गरीब, आदिवासी, दलित, पिछड़े, श्रमिक व माजदूर लोगों को उनका अधिकार दिलाने के लिए उनकी आवाज बनकर काम कर रहे हैं। जिस समय कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में नही थी उस समय नरेश ठाकुर ने उस समय की भाजपा सरकार के साथ कड़ा संघर्ष करते हुए जनता को उनका अधिकार दिलाने के लिए दिन-रात काम किया। यही नही उन्होंने कई प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए पुलिस की लाठियां, गालियां खाई और जेल तक गए। इन सबके बाद भी उनका आत्मविश्वास नही डगमगाया और वे निरंतर आदिवासियों को उनका अधिकार दिलाने के लिए भाजपा सरकार का मुखरता से विरोध किया और डटकर सामना किया।

लेकिन उनके इतने प्रयासों, संघर्षों और पार्टी के प्रति किये गए कार्यों को कांग्रेस पार्टी ने अनदेखा कर दिया। विधानसभा चुनाव के समय भी उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करते हुए शीर्ष नेतृत्व से लेकर प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के सामने अपनी इच्छा जताई पर उन्हें केवल निराश ही मिली। इसके बावजूद उन्होंने कांग्रेस पार्टी का साथ नही छोड़ा और पार्टी के एक जिम्मेदार कार्यकर्ता की तरह पार्टी के हित में काम किया। उन्होंने दिल में कोई निराश न रखते हुए सच्चे मन से क्षेत्र में पार्टी के विस्तार और उसे मजबूती प्रदान करने के लिए दिन-रात काम किया।

नरेश ठाकुर ने कांग्रेस पार्टी में रहते हुए कड़ा संघर्ष किया और कई कठिनाइयों का डटकर सामना किया। भाजपा सरकार का मुखरता से विरोध करने के लिए उन्हें पूर्व की भाजपा सरकार ने कई मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना भी दी गयी लेकिन उन्होंने मजबूती से उनका सामना किया और जिले में कांग्रेस पार्टी को नए शिखर पर ले गए। वास्तविकता में देखा जाए तो जब वे कांकेर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर थे तब जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने विजय प्राप्त की। यह उनके कुशल नेतृत्व और सबको साथ लेकर चलने की क्षमता से ही सिद्ध हो सका और कांग्रेस पार्टी ने कांकेर जिले में अपनी जड़ें मजबूत की।

नरेश ठाकुर जब राष्ट्रीय पदों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे उस वक्त भी उन्होंने छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में भी जमीनी स्तर पर कार्य करते हुए पार्टी को एकजुट करने व उसे मजबूत बनाने के लिए कई सार्थक कार्य किये जो काबिले तारीफ है। ऐसे में उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा देने की मांग उठना लाज़मी है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने में वे जिले में पार्टी को मज़बूत बनाने में उनकी भूमिका भी अहम रही है। जिसके लिए दलित, आदिवासी, मुस्लिम, पिछड़ा वर्ग, एसटी, एससी, ओबीसी, राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस, एनएसयूआई एवं युवा कांग्रेस समेत क्षेत्र के आदिवासी समाज के विशिष्टजन नरेश ठाकुर को छत्तीसगढ़ सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा देने के लिए अपना समर्थन प्रदान करते हुए मांग कर रहे हैं। अब यह देखना होगा कि कांग्रेस के शीर्ष नेता उनके समर्थकों व आदिवासियों संवेदना के प्रति अपनी क्या प्रतिक्रिया प्रकट करते हैं और क्या इतना जनसमर्थन मिलने व मांग उठने के बाद नरेश ठाकुर को राज्यमंत्री का दर्जा देते हैं कि नहीं?

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