पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर
रायपुर , सरकार बदलने के बाद बड़ा ही रोचक मंजर है आम जनमानस के सामने ; पिछली सरकार के आँखों के तारे रहे लोगो के अत्याचारों की कहानियां रोज रोज सामने आने लगी हैं इसमे सबसे हैरत की बात तो खुद भाजपा सरकार के गृह मंत्री रहे ननकी राम कंवर की खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिल कर पुलिस के आला अफसर की शिकायत , बड़े प्रशासनिक अफसर की शिकायत रही जिसमें बाकायदा एस आई टी का गठन भी किया गया और ऊँची अदालत में मामला पहुंच गया , अफसरों के आपसी दबाव , खींचतान को सारा देश रोज देख ही रहा है . प्रदेश के लोकप्रिय पुलिस अधिकारी विनोद चौबे के नक्सल मुठभेड़ में असामयिक मृत्यु का कारण भी इन्हें ही माना जाता है . समझा जा सकता है कि इस शांत समझे जाने वाले प्रदेश में लोकतंत्र का क्या हाल बना कर रखा गया था , अब इन बाहुबली , दबंगों , माफिया गिरोहों की तरह प्रदेश में अराजकता फ़ैलाने वाले अफसरों के खिलाफ उनकी पुरानी कारगुजारियो को लोग सामने लाने लगे हैं.
आश्चर्य इसी बात का होता है की इस तरह की तआरुफ़,तरबियत और तस्वीर वाले तक़रीबन आपराधिक माफियाओं की प्रवृतियों वालों को प्रशासनिक सेवाओं में इतने साल तक बाकायदा पदोन्नतियां मिलती रही और आज भी मिल रही है . ऐसे में जंगलो में भटकने वाले लोग ही बेवजह संविधान को न मनाने के लिए बदनाम हैं.
देखिये 18 बरस से भी पुरानी कतरन
पिछले दिनों निलंबित और ढेर सारी धाराओं में दर्ज प्रकरणों में वांछित, वरिष्ठ आई पी एस अधिकारी मुकेश गुप्ता संयुक्त मध्यप्रदेश के ज़माने में जब उज्जेन पुलिस अधीक्षक थे और लगातार शिकायतों के कारण उनका तबादला मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक सुभाषचंद्र त्रिपाठी के लगातार शिकायतों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंग को तत्काल करवाना पड़ा . DG से नाराजगी को उनके इंजिनियर पुत्र से आफिसर्स मेस में दुर्व्यवहार करके निकालना , षड़यंत्र रचना और साथी अधीनस्थों से मारपीट की शिकायतों का जैसे अम्बार सा लगा हुआ था , 23 अगस्त वर्ष 2000 को दैनिक अग्निबाण (उज्जेन ), इन्दोर में प्रकाशित खबर की कतरन देखिये – होनहार बिरवान के होत- चीकने पात . कहावत का लब्बो लुआब समझ में आ जायेगा .
सवाल अब भी वही है कि छत्तीसगढ़ में किनका स्वार्थ साधने के लिए सिविल सेवाओं में, पुलिस सेवाओं में आखिर ऐसे लोग पदोन्नति भी लगातार कैसे पाते चले जाते है ? या कहे कि ऐसे ही लोग …………..
स्व. मिक्की मेहता ( बाजपेयी ) के परिजन भी उनकी हत्या के आरोपी को सजा दिलाने के लिए दशको तक क़ानूनी लड़ाई लड़ते रहे, कुछ खास उन्हें भी न्याय नहीं मिल सका इस व्यवस्था में कब्ज़ा जिन लोगों का रहा है उसमे संभव भी नहीं था .
इसी लिए छत्तीसगढ़ की जनता को वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बहुत सी आशाएं हैं , प्रशासनिक सुधार और कानून व्यवस्था में न्यायपूर्ण परिस्थितियों के निर्माण की बड़ी चुनौती भी उनके सामने है .