कार्पोरेट प्रभावित  मोदी सरकार ने भी जिसकी नक़ल जरुरी समझी

नईदिल्ली. तेलंगाना के जैसे नए राज्य को संसाधनों और शहरों की जो विरासत मिली है उसकी चुनौतियों को मुख्यमंत्री और टी आर एस नेता  के चंद्रशेखर राव ( के सी आर ) भली भांति समझते हैं ऐसे में उन्हें राज्य गठन के आन्दोलन के बाद से केंद्र की यू पी ए सरकार द्वारा नए राज्य की घोषणा के बाद से अपनी रणनीतियो में लगातार सफलता मिली है .के सी आर न केवल राज्य के तोहफे का क्रेडिट कांग्रेस से छीनने में सफल रहे थे , जिससे उन्होंने राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनने का अवसर भी प्राप्त किया साथ ही अपनी लोकलुभावनी योजनाओं के माध्यम से आम जनमानस का दिल जीतने में वे सफल रहे . 2018  की विधानसभा चुनावों में तेलगुदेशम , भाजपा और कांग्रेस की चुनौतियों का एक छोटे दल होने के बावजूद उन्होंने सामना किया और जीत हासिल की .

आइये देखते हैं की आखिर वे कौन सी योजनायें है जिन्होंने उन्हें राज्य में दुबारा जीत दिलाने में कामयाबी दिलाई  है .

  1. सारे तेलंगाना प्रदेश में चुनावों के पहले गुलाबी रंग के होर्डिंग , दीवार लेखन से सरकार की उपलब्धियों , योजनाओं का जिक्र करके माहौल पूरी तरह से अपने पक्ष में होने का भ्रम पैदा कर देना , जिससे आम मतदाता जीतने वाली पार्टी को वोट दे कर अपने वोट का सदुपयोग करना चाहे ( लोकतंत्र का यही अर्थ समझे हैं भारत में ज्यादातर वोटर्स ?)
  2. केवल हैदराबाद में 698 विशालकाय होर्डिंग लगाये गए थे .
  3. अपने पिछले चुनावों में किये वादे और उन्हें बीते 5 सालों में लागू करने में पाई सफलता के दावों के बल पर चुनाव प्रचार , यानी कहीं न कहीं केंद्र सरकार की इसमें असफलता के मुद्दे पर नाराज मतदाताओं को अपनी ओर करने में सफल रहे . नोटबंदी और जी एस टी से नाराज वोटर्स को कांग्रेस, तेलगुदेशम के गठजोड़ (जो बाद में टूट भी गया ) को तेलंगाना हितो के खिलाफ साबित करने में KCR सफल रहे .चूँकि वैसे तो राज्य निर्माण का क्रेडिट कांग्रेस UPA सरकार को जाता किन्तु राज्य विरोधी तेलगुदेशम के साथ जुड़ने के कारण वे भी आम वोटर्स की नज़रों में नाकारा रहे .
  4. तेलंगाना में कल्याण लक्ष्मी योजना में लडकियों को शादी में एक लाख रूपए ( मुस्लिम होने पर “ शादी मुबारक “ योजना ) दिए जा रहे हैं.
  5. गरीबों के लिए दो शयन कक्षों वाली 2 भक योजना है , जिसमें बीते 5 सालों में 5 लाख मकान बनाये जा रहे हैं , इसी योजना में प्रधानमंत्री आवास योजना के 1.50 मिला दिए गए हैं . 7.50 लाख की यह योजना है जिसमें सरकारी जमीन , रेत मुफ्त है , सीमेंट पर टैक्स माफ़ है , मुफ्त मिलने वाली फ्लाई एश से निर्मित सस्ती ईंटें हैं . कुल मिला कर ये घर मुंबई झुग्गी पुनर्वास के तहत बने घरों से बहुत बेहतर हैं.
  6. कई सरकारी मुफ्त सेवाओं वाले अस्पताल बनाये गए हैं जहाँ लाने ले जाने गर्भवती महिलाओं के लिए वाहन मुफ्त उपलब्ध है . शिशु के साथ घर लौटते वक्त KCR किट दिया जाता है जिसमें उनके बड़े चित्र के अलावा शिशु उपयोग की सामग्री होती है .
  7. किसान मित्र ( रैयत बंधू ) योजना बेहद कारगर योजना साबित हो रही है , इसमें किसी भी जोत के कृषक को प्रति फसल प्रति एकड़ सरकार 4000.00 दे रही है . विगत वर्ष सरकार ने 12000.00 करोड़ इस योजना में खर्च किये .

सौ करोड़ या इससे ज्यादा जमीन वाले बड़े किसानों ने भी इस योजना का लाभ उठाया है . 58.3 लाख लोगों को          इसका फायदा मिला जो की तेलंगाना की 3.5 करोड़ की आबादी में बहुत बड़ी संख्या है .

लाभार्थियों में सिर्फ 14900 के पास 50 एकड़ या इससे अधिक जमीन है यानि 1.15 लाख या अधिक का फायदा लेने वालों का 2%यानि 10 एकड़ से ज्यादा जमीन वाले किसान हैं.

8 . तेलंगाना को अपने प्राचीन पहचान , आन्दोलनों और आँध्रप्रदेश से इतर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी  छवि स्थापित  करने         के लिए जय तेलंगाना के नारे को मजबूती देने में टी आर एस को पहल हासिल है .

नतीजा ये कि नई पार्टी होने के बाद भी , मोदी जी और भाजपा के केंद्र सरकार के तगड़े विरोध के बाद भी , अनुभवी चतुर राजनेता तेलगुदेशम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू की पार्टी को अलग थलग करने और तेलंगाना राज्य निर्माण का वादा पूरा करने वाले यू पी ए की कांग्रेस पार्टी को बुरी तरह हराने में के सी आर ने टी आर एस को सफलता दिलाई . जबकि कांग्रेस को राज्य के मजबूत नेतृत्व के रूप में नेता का नाम स्थापित करने में असफल रहने के कारण भी असफलता हाथ लगी .

2018 के चुनाव में स्थिति आई थी –

कुल सीटें तेलंगाना में है – 119 ( बहुमत के लिए चाहिए 60 सीट )

कुल मतदान का प्रतिशत 67 %

टी आर एस को मिला वोट शेयर 47% (+13 )

टी आर एस को मिली सीटें 88  (+25 )

कांग्रेस को मिला वोट शेयर  28% ( +3 )

कांग्रेस को मिली सीटें  19 ( +3 )

आल इण्डिया मुसलमीन ओवेसी  ( AIM) को 3% वोट शेयर के साथ 7 सीटें मिली  जो उनकी पिछली उपलब्धि के बराबर ही है . अन्य छोटे दलों को 22 % वोट शेयर के साथ 5 सीटें ही मिल पाई जो विगत से 22 सीटें कम हैं साथ ही वोट शेयर भी 15 फीसदी कम रहा .

इस समूचे विश्लेषण से ये पता चलता है की अपनी कुशल लोक लुभावनी योजनाओं और आक्रामक चुनाव प्रचार शैली के कारण टी आर एस 5 वर्षों के शासन के दौरान आये jan असंतोष को केंद्र सरकार की असफलताओं के रूप में राज्य में स्थापित करने में सफल रहे जिससे उन्हें राज्य में और मजबूत जनादेश से सरकार बनाने का अवसर मिला .

लोकलुभावनी योजनाओं की  टेस्ट लेबोटरी तेलंगाना  साबित हुआ और मोदी जी को किसान सम्मान योजना बज़ट में घोषित करना पड़ा , बुरी आर्थिक विरासत प्राप्त करने का दावा करने वाली मध्यप्रदेश , राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों को भी कृषि ऋण माफ़ी , सामान्य व्यक्तियों के लिए भी सस्ता चावल गेहूं जैसी कई योजनाये राज्यों में लानी पड़ी जिससे आने वाले लोकसभा चुनाव में भी इस सफलता को दोहराया जा सके .

 

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