जैव विविधता को बचाये रखना, पर्यावरण का ख्याल रखना क्यों जरूरी ?

भानुप्रतापपुर, कांकेर जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र दुर्गुकोंदल विकासखंड के ग्राम चिहरो में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस से दो दिनों तक विज्ञान मेले की धूम मची थी. अवसर था छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा रायपुर , कांकेर के जन वैज्ञानिकों के उपस्थिति में बाल विज्ञान मेले का. दो दिवसीय इस कार्यक्रम की शुरुआत क्षेत्र के जनपद सदस्य पीलम नरेटी, आर आर यादव खंड श्रोत समन्वयक, बी एन नरेटी मंडल संयोजक, सखाराम नेताम संकुल समन्वयक तरहुल, सहगुराम पटेल तथा जनविज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक लालाराम सिन्हा की उपस्थिति में हुई.

विज्ञान गीत, स्वच्छता पर नाटक, देशभक्ति गीत का सिलसिला चला , इसके बाद जनपद सदस्य पीलम नरेटी ने    पढ़ाई पर विशेष ध्यान देने के लिये ऐसे रोचक आयोजन की जरूरत बताई, विज्ञानक्लब के प्रभारी विज्ञान शिक्षक पुरुषोत्तम दास साहू ने सम्पूर्ण कार्यक्रम का विवरण रूपरेखा प्रस्तुत की. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकटरमन के किस आविष्कार 1928 तथा उस पर उन्हें 1930 में मिले नोबल पुरस्कार के विषय में विस्तार से छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा रायपुर के प्रदेश सचिव पी सी रथ ने बताया. विज्ञान मेले में आसपास के पूर्वमाध्यमिक विद्यालयों में इरागाव, पेडवारी, तरहुल, महेन्द्रपुर , राऊर वाही, कोटपारा, हल्बा पारा , भीरावाही, गोटूलमुण्डा, हिंगन झर के शिक्षक और कुछ कुछ छात्र छात्राएं शामिल हुए.
स्वच्छता का व्यक्तिगत और ग्राम समाज के स्वास्थ्य से निकट संबंध को स्पष्ट करने के बाद पर्यावरण के संबंध में जागरूकता की गतिविधियां ” जीवन के जाल” के अंतर्गत बच्चों को अलग अलग समूहों में बांट कर की गई. जिसमें आहार श्रृंखला, परस्पर निर्भरता और बायो सर्कल का सबक खेल खेल में बच्चों ने सीखा , विलुप्त होने वाले प्राणियों तथा वनस्पतियों के लिये चिंता से अवगत हुए.
ज्यादातर सांप जहरीले नही होते और हमारे पर्यावरण में जैव विविधता बचाये रखने के लिये , चूहों पर नियंत्रण के लिए सांपो को बचाये रखना जरूरी है का एक सत्र हुआ जिसमें विशेषज्ञों ने सांपो की पहचान ,उनके काटे जाने पर किये जाने वाले इलाज हस्पताल में ही किये जाने पर चर्चा की गई, इस संबंध में व्याप्त स्थानीय अंधविश्वासों से बचने की सलाह दी गयी.
स्कूली बच्चों के विभिन्न मॉडलों को अन्य अतिथियों ने निरीक्षण भी किया तथा उपयोगिता समझी.
ग्रीन हाउस , पौधों का संवहन तंत्र , सौर ऊर्जा के उपयोग, अंचल में पाए जाने वाले कीट भक्षी पौधे ड्रोसेरा , गोबरगैस प्लांट से मीथेन गैस , खाद के उत्पादन संबंधी मॉडल बच्चों ने प्रस्तुत किये.
कार्यक्रम छोटे बच्चों को पत्तियों और तनों की प्रिंटिंग की गतिविधियों के माध्यम से वनस्पतिविज्ञान के प्रारंभिक जानकारियों से प्रत्यक्ष प्रयोगों द्वारा अवगत कराया गया.
पत्तों के माध्यम से पेड़ों के श्वसन तंत्र स्टोमेटा की जानकारी के लिए सभी समूहों के बच्चों ने स्थानीय अलग अलग पेड़ों की पत्तियों पर पॉलीथिन कव्हर लगा कर दूसरे दिन दोपहर बाद उसमें एकत्र जल के आधार पर अलग अलग प्रजाति के पत्तों की प्रक्रिया जानी.
दूसरे दिन की शुरुआत रासायनिक क्रियाओं की जानकारी से हुई, गोमूत्र , स्वमूत्र और भैंस मूत्र सभी में एक तरह के केमिकल कम्पोज़िशन की जानकारी देते हुए विशेषज्ञों ने रंगीन पानी को इस गोमूत्र तथा अन्य मूत्र से एक तरह से साफ पानी में बदलने के प्रयोग किये.
हमारे सौर मंडल के तारे सूरज को देखने के विशेष चश्मे से छात्र छात्राओं ने सूर्य दर्शन किया. ग्रह नक्षत्रों, सूर्यग्रहण चंद्र ग्रहण की जानकारी के लिए रोल प्ले करके खगोलीय घटनाओं को समझा.
प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना NGGB नरवा, गरवा, घूरवा, बाड़ी के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए लालाराम सिन्हा ने केचुआ खाद, गोबरखाद, इकोफ्रेंडली खेती और स्थानीय संसाधनों से बनाये जाने वाले कीटनाशकों के बारे में बताया। पशुधन को बचाने के लिये की जाने वाली व्यवस्था के बारे में भी बताया.
ग्रीनहाउस गैसों के कारण ओजोन परत में होने वाले नुकसान से धरती को बचाने के लिए किये जाने वाले प्रयासों की जानकारी दी.

दोपहर के सत्र में विभिन्न चमत्कारों के माध्यम से अंधविश्वासों का पर्दाफाश जनविज्ञानी पी सी रथ द्वारा किया गया .
हवन कुंड में घी डालते ही  अग्नि प्रज्वलित होने लगी, इसी तरह से बिना पर्ची देखे किस तरह कर्णपिशाच सिद्धि किये हुए लालाराम सिन्हा ने  जानकारी को शब्दशः सही सही बताया.
कार्यक्रम में दुष्ट ब्रम्ह राक्षस और जिन्न को नारियल में कैद करने तथा अग्नि के माध्यम से भस्म करने के प्रदर्शन किए गए. चुम्बक के माध्यम से आकर्षण विकर्षण दिशा ज्ञान के प्रयोगों के साथ नक्शे के संबंध में जागरूकता की गई.
प्रकाश की यात्रा विभिन्न माध्यमो से किये जाने पर आने वाले विचलन या परिवर्तनों पर प्रयोग छात्र छात्राओं को लेज़र लाइट के माध्यम से कराया गया.

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