कांकेर (भानुप्रतापपुर). अंचल के दुर्गकोंदल ब्लाक के दूरस्थ ग्राम आमाकडा के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में बाल विज्ञान मेले का विगत 2 एवं 3 मार्च को  छात्र- छात्राओं ने भरपूर आनंद उठाया . खेल खेल में उन्होंने  विज्ञान के सिद्धांतो को प्रत्यक्ष प्रयोगों द्वारा समझा और उनका अपने स्कूल परिसर में विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में प्रयोग किया . छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा रायपुर द्वारा विज्ञान प्रसार तथा स्कूल शिक्षा विभाग के सहयोग से आयोजित बाल विज्ञान मेले की शुरुआत स्कूल परिसर में मौजूद महुआ के वृक्ष की प्रकृति पूजन से हुई . आदिवासी संस्कृति का पूरा जुडाव जंगलो और प्रकृति से है इसलिए वे समता और सामूहिकता की संस्कृति से हमेशा जुड़े रहते हैं . उदघाटन सत्र में छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के सचिव पी सी रथ ने कहा कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करना है, विकास के लिए दिशा तथा नीति निर्धारण एवं आत्मनिर्भरता के लिए भी सही दिशा के लिए ये महत्वपूर्ण है, यही वह धुरी है  जिससे धर्म , जाति , रंग रूप, क्षेत्र के नाम पर व्याप्त असमानता को दूर करने में वैज्ञानिक दृष्टिकोण सहायक है. इन सबके लिए उन्होंने ज्ञान विज्ञान को आम जन जीवन के लिए बहुत जरुरी बताया.
जनविज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक लालाराम सिन्हा ने बच्चों से कहा कि पढाई के साथ साथ प्रायोगिक विज्ञान पर भी ध्यान दें किसी भी बात को जाँच परख कर ही विश्वास करें , विद्यालय के प्राचार्य परमानन्द पांडे ने कहा कि गाँव में मन्त्र , तंत्र , जादू टोना , भूत- प्रेत , टोनही जैसे कई अन्धविश्वास आज भी व्यापक रूप से पाए जाते हैं , जबकि इन सबका कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं होता , ये चीजें बिलकुल भी नहीं होतीं . शिक्षक नेहरू राम मंडावी , ललित मंडावी , हीरेश जैन , अजय रावटे, साहू सर , श्रीमती शैल पांडे , संगीता केकती , कमलेश्वरी मंडावी , संजीता रावटे आदि भी दोनों दिन लगातार सभी गतिविधियों में शामिल रहे. बालविज्ञान मेले की शुरुआत में बच्चो को प्रसिद्ध वैज्ञानिकों जैसे डॉ हरगोविंद खुराना , चंद्रशेखर व्येंकट रमन , डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम , कल्पना चावला , होमी जहाँगीर भाभा के नाम से बने 6 समूहों में बांटा गया , फिर प्रत्येक समूह में 2 शिक्षको और विशेषज्ञों के साथ गतिविधियाँ प्रारंभ की गयीं.” एक जतन और अभी एक जतन और” गीत से शुरुआत हुई . मेले में जीवन का जाल , आहार श्रंखला, खेल के माध्यम से सभी जीवों , वनस्पतियों की प्रकृति में परस्पर निर्भरता को समझाया गया , पृथ्वी पर लुप्त होने वाली वनस्पतियों और जीवों की जानकारी दी गयी . खेल खेल में छात्र छात्राओं ने जाना कि किस तरह से हम सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. पत्तियों तथा तनों की प्रिंटिंग( printing) करके छात्र छात्राओं ने उनमें व्याप्त विविधता को भी समझा . वैज्ञानिक लालाराम सिन्हा ने NGGB यानि नरवा घुरवा गरवा बारी ‘ के विषय में नई सरकार की नई योजना के बारे में विस्तार से बताया कि किस प्रकार सरकार पशुओं के चारे के लिए कुछ चुनिन्दा गावों में पानी , चारा उगने की व्यवस्था , चरवाहे को वेतन , भूमि का प्रबंध करके गोधन को विकसित करना चाहती है , एनीकेट , छोटे स्टाप डेम बनवा कर पानी का अधिकतम उपयोग तथा भूजल बढ़ाने का प्रयास , खाद के लिए गोबर , केचुआ खाद , कम्पोस्ट जैसी स्थानीय विधियों का प्रयोग करके फसल बढ़ाना , रासायनिक खाद व कीटनाशक का उपयोग कम करना , अपने बाड़ी में सब्जिया , बकरी , गाय , मुर्गिया, बदक आदि पाल कर आय बढ़ाना सभी कृषक कर सकें इसके लिए नीतियाँ , योजनाये लायी गयी हैं.
दिन के खगोलविज्ञान के सत्र में सभी ने विशेष किस्म के चश्मे से सूर्य को देखा , सौर मंडल तथा ग्रहण की स्थितियों को रोल प्ले के माध्यम से स्वयं खेल कर समझा . सूर्य तथा चन्द्र ग्रहण से जुड़े अंधविश्वासों को विस्तार से समझा तथा इन खगोलीय घटनाओ का आनंद उठाने का निश्चय किया . इनमे किसी तरह की अशुद्धि या छूत जैसा कुछ दुष्प्रभाव नहीं होता ये बताया गया . बाल विज्ञान मेले के दूसरे दिन रविवार को भी छात्र छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर भागीदारी की , अमन के हम रखवाले गीत से कार्यक्रम की शुरुआत हुई .एकता और भाई चारे का सन्देश दे कर जाति धर्म की असमानता को दूर करने का संकल्प लिया गया .
चमत्कार प्रदर्शन की श्रृंखला में दूसरे दिन की शुरुआत बच्चों को गोमूत्र के माध्यम से किये जाने वाले रंगीन जल को साफ़ करने  के प्रयोगों को अन्य प्राणियों जैसे भैस या मनुष्य के मूत्र से भी उसी तरह का चमत्कारिक परिवर्तन आने का प्रयोग करके सिद्ध किया गया . आग को खा कर दिखाने के प्रयोग को बेहद पसंद किया गया , करीब 8 छात्र छात्राओं ने इसे स्वयं करके देखा . प्रयोगों द्वारा जाना कि किस तरह आक्सीजन की अनुपस्थिति में आग नहीं जल सकती . पाखंडी बाबा किस तरह बिना माचिस के अग्निकुंड में अग्नि प्रज्वलित करता है ये चमत्कार देखा , रोमांचक प्रयोगों के बाद उनके वैज्ञानिक  कारण भी बताये गए , एक अन्य प्रयोग में नारियल में कथित बुरी बलाओं, शैतानी ताकतों को एकत्र करके केवल शुद्ध जल छिड़क कर उसमे अग्नि प्रज्वलित की जाती है ये बच्चो ने देखा तथा बाद में उसे विज्ञान के रसायनों के क्रियाओ से समझा . कर्ण पिशाच किस तरह विश्वसनीय ढंग से कागज में लिखे सवालों और जवाबो को बिना पढ़े बता देता है ये चमत्कार भी बच्चों ने देखा एवं सीखा , सांपो को बचाना क्यों जरुरी है किस तरह चूहे के एक जोड़े द्वारा एक वर्ष में 900 बच्चे पैदा किये जाते है जिनका नियंत्रण सांपो द्वारा ही हो सकता है , कौन से सांप जहरीले होए है उनके काटे का इलाज क्या होता है , साडी जानकारी डी गयी एवं रंगीन चित्रों के माध्यम से पहचान बताई गयी . चुम्बक के रोचक प्रयोग किये गए . लेज़र लाईट के माध्यम से प्रकाश की यात्रा को विभिन्न माध्यमो से गुजरने से आने वाले परिवर्तनों को समझाया गया . बिपाशा बसु की तस्वीर से भभूत का निकलना – अंतिम सत्र में मेले में शामिल प्रतिभागियों ने देखा की मंच पर रखे विपाशा बसु की तस्वीर से भभूत निकाल रहा है ठीक उसी तरह से जैसा सत्य साईं बाबा की तस्वीरों से उनके भक्तो के निवास या मंदिरों में निकला करता था , इसके भी वैज्ञानिक कारण बच्चो को बताया गया . सबसे रोचक अंतिम कार्यक्रम प्रश्न पूछो प्रतियोगिता का रहा जिसमे बच्चो ने ढेर सारे प्रश्न किये तथा विशेषज्ञों ने उनके जवाब दिए , विज्ञान सभा के पी सी रथ , वैज्ञानिक लालाराम सिन्हा , चिहरो स्कूल के विज्ञान शिक्षक पुरुषोत्तम दास साहू , रायपुर के जनविज्ञानी गनपत , प्राचार्य परमानन्द पांडे इस अवसर पर बच्चो के प्रश्नों का कुशलता से जवाब देते रहे , समुद्र का पानी नीला क्यों? बाल क्यों सफ़ेद होते हैं ? खदानों से खनिज निकालने के बाद उनको खोखला छोड़ा जाता है ? जैसे रोचक सवालो की बौछार के बाद प्रमाणपत्रो के वितरण के साथ बालविज्ञान मेले का समापन किया गया .

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