रायपुर:- देश की आम जनता का पैसा देश के हित में उपयोग किया जाय कारपोरेट लूट के लिए नहीं ,आज देश भर में सेव इंडिया, सेव एल आई सी और आम बीमा के नारे को लेकर समूचे देश में अपने परिजनों के साथ बीमा कर्मियों के प्रदर्शन के मौके पर रायपुर में शारीरिक दूरी और कोवीड नियमों का पालन करते हुए आयोजित प्रदर्शन को संबोधित करते हुए संगठन के राष्ट्रीय सहसचिव व मध्य क्षेत्र के महासचिव कामरेड धर्मराज महापात्र ने उक्त बात कही । उन्होंने कहा कि वर्तमान केन्द्र सरकार देश के लिए सोने का अंडा देने वाली एल आई सी जैसे संस्थान पर भी निजी पूंजी की घुसपैठ के जरिए देश की आर्थिक आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता को ही दांव पर लगा रही है । मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एल आई सी के IPO की बोली जारी करने के पूर्व लेन देन सलाहकार के रूप में सरकार डिलायट टच तेह तेहमेट्सू और फाइनेंशियल सर्विसेस को इस कार्य के लिए नियुक्त करने जा रही है ।
इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए बीमा कर्मचारियों ने आज देश भर में अपने परिजनों के साथ विरोध दर्ज किया । मध्य क्षेत्र के रायपुर, भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, शहडोल, सतना, जबलपुर, बिलासपुर मंडलों सहित दोनों प्रदेश की 140 से अधिक शाखा इकाइयों में भी प्रदर्शन आयोजित किए गए ।
कामरेड महापात्र ने कहा कि एल आई सी ने देश के औद्योगिक विकास और राष्ट्र निर्माण में अतुलनीय भूमिका अदा की है जो आज भी जारी है । पलिसिधरको की संख्या के मामले में देश के सबसे बड़े बीमाकर्ताओं के रूप में उभरने और विकास करना पूरी तरह से आंतरिक संसाधनों को पैदा करने के माध्यम से किया गया है । एल आई सी ने आज 32 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति का निर्माण किया है ।यह विस्तार बीमा धारक के पैसे से हुए है अर्थात एल आई सी ने आपसी लाभ वाले समाज की तरह काम किया है जिसकी एल आई सी के एक हिस्से को बाजार में बेचने का निर्णय लेते समय अनदेखी की जा रही है । सबसे ख़तरनाक बात यह है कि भारत सरकार जो इसकी अल्पसंख्यक हिस्से की मालिक है असली मालिक आम बीमा धारक है और उन बीमा धारकों की अनुमति के बगैर इसके हिस्से को बाजार में बेचने का कदम उठा रही है। जीवन बीमा व्यवसाय का राष्ट्रीयकरण किया गया तो उसका उद्देश्य था जनता की छोटी बचत को एकत्र कर देश के विकास के लिए दीर्धकाल निवेश जुटाना और आम जनता के वंचित तबके तक बीमा का विस्तार कर बीमा धारक को जोखिम की सुरक्षा के साथ उनके निवेश पर एक अच्छा लाभांश उपलब्ध कराना ।एल आई सी ने इसे बखूबी निभाया । जनता का पैसा जनता के लिए की अवधारणा पर उसने काम किया । लेकिन सरकार द्वारा इसके हिस्से को बाजार में बेचने का निर्णय जो अंततः निजीकरण के रास्ते पर बढ़ने का कदम है, इससे यह उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा । उसका सामाजिक उद्देश्य बदलकर निजी शेयर धारकों को अधिकतम लाभ पहुंचाना हों जाएगा जो 40 करोड़ बीमा धारक या राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक होगा ।
उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में बड़े अर्थशास्त्रियों का यही मानना है कि विदेशी पूंजी घरेलू बचत का खराब विकल्प है । ऐसी स्थिति में जहां देश के विकास के लिए भारी संसाधन की आवश्यकता है यह और अधिक महत्वपूर्ण हों जाता है कि घरेलू बचत पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण हो । आत्मनिर्भर भारत की की परिकल्पना भी तभी सफल होगी जब हर साल अत्यधिक निवेश योग्य अधिशेष उत्पन करने वालीं संस्था पर सौ प्रतिशत सरकारी नियंत्रण हो । एल आई सी की इक्विटी को बेचने का कदम भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के कमजोर वर्गो के हितों को बुरी तरह से प्रभावित करेगा । कमजोर वर्गो तक बीमा की पहुंच का सामाजिक उद्देश्य पीछे चला जाएगा और लाभहीन ग्रामीण क्षेत्रों में बीमा का विस्तार का लक्ष्य बाधित होगा । एल आई सी के मूल स्वरूप को छेड़ने से देश की गरीब आबादी और गरीब तबके के हितों का अकल्पनीय नुकसान होगा ।
बीमा कर्मियों ने कोयला, रक्षा, बैंक सहित देश के सार्वजनिक उद्योग का निजीकरण का आत्मघाती फैसला वापस लेने, साधारण बीमा कंपनियों में विनिवेश रोकने, बीमा क्षेत्र में एफ डी आई वृद्धि वापस लेने,बीमा प्रीमियम पर जी एस टी समाप्त करने, पेंशन क्षेत्र में एफ डी आई रोकने,श्रम कानून में परिवर्तन वापस लेने की भी मांग की । उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बीमा उद्योग को मजबूत कर बीमा प्रीमियम पर जी एस टी समाप्त करने की मांग की मांग करते हुए यूनियन के रायपुर के महासचिव सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि संगठन की ओर से सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख को भी पत्र लिखकर इसमें सहयोग मांगा है और देश के सभी दलों के संसद से भी बीमा कर्मी मिलकर इसे रोकने सरकार से अपील का आग्रह कर समर्थन मांगेगे। सभा संचालन यूनियन के अध्यक्ष साथी अलेक्जेंडर तिर्की ने किया ।