बाढ़ में फंसे लोगों के लिए ठहरने और भोजन की प्रशासन कर रही व्यवस्था

सुकमा:- जिले में पिछले चार दिनों से हो रही बारिश के कारण दक्षिण बस्तर में नदी नाले उफान पर हैं इससे क्षेत्र में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। इन हालातों में सुकमा जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ लोगों को इस आपदा के दौरान राहत पहुंचाने के प्रयास कर रहा है। सोमवार को एक पांच वर्षीय बालक के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उसे इलाज के लिए सुकमा भेजने की कवायद भी इन्ही मुश्किल भरे हालातों में की गई, जब राष्ट्रीय राजमार्ग 30 में फन्दीगुड़ा और इंजरम में पानी भर जाने से मार्ग पूरी तरह बंद हो गया था। बच्चे के इलाज की जरूरत को देखते हुए नाव से तीन नाले पार कर सुकमा तक पहुंचाया गया। इस कार्य में सीआरपीएफ के जवानों ने भी भरपूर मदद की। प्रभारी तहसीलदार श्री प्यारेलाल नाग ने बताया कि पहले तो फन्दीगुड़ा को नाव से पार किया गया और उसके बाद इंजरम में भी नाव की जरूरत पड़ी। मुश्किल हालातों के बीच बच्चे को कोविड अस्पताल पहुंचाकर ही राहत की सांस ली।
शबरी के जल स्तर में आ रही गिरावट
श्री नाग ने बताया कि आज सुबह से शबरी नदी के जल स्तर में गिरावट आ रही है। बाढ़ के कारण कोन्टा तहसील मुख्यालय सबसे अधिक प्रभावित हुआ है और इसके चार वार्डों के 97 परिवारों के लगभग 500 लोग प्रभावित हुए हैं। फिलहाल 79 परिवारों के 403 लोग कोन्टा में बनाये गए चार राहत शिविरों में रह रहे हैं, जिन्हें प्रशासन द्वारा भोजन और आवासीय सुविधाओं के साथ ही चिकित्सीय सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। बाढ़ के कारण अपने परिजनों के यहां रुकने वालों को भी सूखा राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा यहां 147 ट्रक और 16 यात्री बसों में फंसे 657 लोगों के रुकने और भोजन की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई है। कलेक्टर श्री चंदन कुमार द्वारा बाढ़ की स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखने के साथ ही त्वरित राहत पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं।

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