रायपुर:- पटरी हमारी, सिग्नल हमारे पैसे से बने और उस पर मुनाफे हड़पने निजी रेल चले यह हमे मंजूर नहीं उक्त बातें मोदी सरकार की जन विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों और सार्वजनिक सम्पत्ति के संपूर्ण निजीकरण का तीव्र विरोध करते हुए इस मुहिम रोकने और कोरोना संकट के दौर में आम जनता को राहत देने की मांग पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के देशव्यापी अभियान के तहत रायपुर रेलवे स्टेशन में कोवीड नियमों और शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए मानव श्रृंखला का निर्माण कर आयोजित विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए माकपा के राज्य सचिव मण्डल सदस्य कामरेड धर्मराज महापात्र ने कही । उल्लेखनीय है कि माकपा 20 अगस्त से 16 सूत्रीय मांगपत्र पर देशव्यापी अभियान चला रही है। इन मांगों में अंतर्राज्यीय प्रवासी मजदूर कानून 1979 को खत्म करने का प्रस्ताव वापस लेने तथा इसे और मजबूत बनाने, कोरोना आपदा से निपटने प्रधानमंत्री केयर्स फंड नामक निजी ट्रस्ट में जमा धनराशि को राज्यों को वितरित करने, कोरोना महामारी में मरने वालों के परिवारों को राष्ट्रीय आपदा कोष के प्रावधानों के अनुसार एकमुश्त आर्थिक मदद देने, आरक्षण के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने और सारे बैकलॉग पदों को भरने, जेलों में बंद सभी राजनैतिक बंदियों को रिहा करने और पर्यावरण प्रभाव आंकलन के मसौदे को वापस लिए जाने और सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण की मुहिम को तत्काल रोकने की मांग शामिल हैं।
कामरेड महापात्र ने कहा कि कोरोना संकट की आड़ में जिन सत्यानाशी नीतियों को देश की जनता पर लादा जा रहा है, उसका नतीजा यही है कि आम जनता के सामने अपनी आजीविका और जिंदा रहने की समस्या है, तो वही इस कोरोना काल में अंबानी एशिया का सबसे धनी व्यक्ति बन गया है और उसकी संपत्ति में 20 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है। इसके बावजूद आर्थिक पैकेज का पूरा मुंह कॉर्पोरेट घरानों के लिए रियायतों की ओर मोड़ दिया गया है, जबकि आम जनता को कहा जा रहा है कि बैंकों से कर्ज लेकर जिंदा रहे।
उन्होंने कहा कि सभी रेटिंग एजेंसियां देश की जीडीपी में 11% से ज्यादा की गिरावट और नकारात्मक वृद्धि होने का अनुमान लगा रही है। इससे स्पष्ट है कि एक लंबे समय के लिए देश गहरे आर्थिक मंदी में फंस गया है। इस मंदी से निकलने का एकमात्र रास्ता यही है कि आम जनता की जेब मे पैसे डालकर और मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध करवाकर उसकी क्रय शक्ति बढ़ाई जाए, ताकि बाजार में मांग पैदा हो और उद्योग-धंधों को गति मिले। इसके साथ ही सार्वजनिक कल्याण के कामों में सरकारी निवेश किया जाए और राष्ट्रीय संपदा को बेचने की नीति को पलटा जाए।
उन्होंने कहा कि यही कारण है कि इस देशव्यापी अभियान में आम जनता की रोजी-रोटी और उसकी आजीविका और उसके लोकतांत्रिक अधिकारों की हिफाजत की मांग उठाई जा रही है। पार्टी के जिला सचिव प्रदीप ग्भने ने कहा कि पार्टी आज के प्रदर्शन के जरिए मांग कर रही है कि देश के हर जरूरतमंद व्यक्ति को आगामी 6 माह तक 10 किलो चावल या गेंहूं व एक-एक किलो तेल, दाल व शक्कर मुफ्त दिया जाये और आयकर दायरे के बाहर के हर परिवार को हर माह 10000 रुपये नगद आर्थिक सहायता दी जाए। माकपा ने मनरेगा में 200 दिन काम व 600 रुपये रोजी की भी मांग की है।
माकपा ने आरोप लगाया कि लोगों के संगठित विरोध को तोड़ने के लिए अंग्रेज जमाने के काले कानूनों का उपयोग किया जा रहा है और आज आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा राजनैतिक कैदी जेलों में है। श्रम, कृषि, शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में मौजूदा कानूनों में जिस तरह कॉर्पोरेटपरस्त बदलाव किये जा रहे हैं और राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण किया जा रहा है, वह हमारे संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ हैं। देश में संविधान और जनतंत्र पर हो रहे इन हमलों के खिलाफ भी इन प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है।
आज के इस प्रदर्शन में प्रमुख रूप से धर्मराज महापात्र, प्रदीप गभने,एस सी भट्टाचार्य, मारुति डोंगरे, शीतल पटेल, रतन गोंडाने, सुरेन्द्र शर्मा, अलेक्जेंडर तिर्की, साजिद अली, नवीन गुप्ता, के के साहू, वासुदेव शुक्ला, मनोज देवांगन, जंघेल, मनोहर साहू पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ही विभिन्न ट्रेड यूनियन, एस एफ आई, रेल कर्मियों और नागरिकों के अन्य हिस्से शामिल रहे । पार्टी ने कहा कि माकपा का यह संघर्ष मोदी सरकार की देश बेचने की नीतियों में बदलाव के लिए निरन्तर जारी रहेगा ।