दुर्ग/भिलाई (इंडिया न्यूज रूम). पिछले 8 महीने के  कोरोना लॉकडाउन में राजस्थान पत्रिका प्रबधन द्वारा नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों ने शुक्रवार को जमकर विरोध प्रदर्शन किया। पत्रिका प्रबंधन हाय हाय…, पत्रिका प्रबंधन शरम शरम करो … आदि नारे लगाए गए। इस दौरान छत्तीसगढ़ के दुर्ग संभाग के अंतर्गत आने विभिन्न संस्करणों के कर्मचारी उपस्थित थे।

सहायक श्रमायुक्त दुर्ग के समक्ष प्रबंधन द्वारा अधिकृत व्यक्ति मनीष शर्मा एएलसी के सवालों से निरुत्तर हो गए, वे कोई जवाब नहीं दे प रहे थे.

बता दें कि 22 अक्टबूर को नौकरी से निकाले गए पत्रिका के कर्मचारियों की सहायक श्रम आयुक्त (एएलसी स्टेट) दुर्ग के यहां पहली पेशी थी। सुनवाई के पूर्व सभी कर्मचारियों ने एएलसी कार्यालय के बाहर प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर विरोध दर्ज कराया। इसके बाद सुनवाई में उपस्थित हुए। लगभग एक घंटे चली बहस में प्रबंधन द्वारा अधिकृत व्यक्ति मनीष शर्मा एएलसी के सवालों से निरुत्तर हो गए। उन्होंने बिना कारण कोरोना काल में कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने का कारण पूछा। वे जवाब नहीं दे पाए। इसी तरह फर्स्ट कम लास्ट गो (प्राकृतिक न्याय) के सिद्धांत का पालन नहीं करने पर जमकर लताड़ा। उन्होंने कहा कि समाचार पत्र कार्यालय और प्रकाशन स्थल में भी श्रम कानून का पालन होना चाहिए। आपकी बातों से ऐसा लगता है कि प्रबंधन ने श्रम कानून का पालन नहीं किया है।

प्लेसमेंट एजेंसी फोर्ट फोलियो प्राइवेट लिमिटेड को बताया फर्जी

राजस्थान पत्रिका प्रबंधन द्वारा मजीठिया वेजबोर्ड वेतनमान देने से बचने के लिए फोर्ट फॉलिएज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बनाई गई। इसी कंपनी के तहत कर्मचारियों को अनुबंध कर काम पर रखा गया था। एएलसी ने पूछा कि कंपनी का पंजीयन कहां हुआ तो प्रबंधन के अधिकृत व्यक्ति मनीष शर्मा ने कहा कि रायपुर में हुआ। इसपर एएलसी ने कहा कि कार्यक्षेत्र दुर्ग-भिलाई है तो यहां पंजीयन होना चाहिए। यहां बिना पंजीकृत एजेंसी के तहत नौकरी पर नहीं रख सकते। उनका साफ कहना था कि यह कान्ट्रैक्ट लेबर एक्ट का खुला उल्लंघन  है।

मीडिया समूह होने का अनावश्यक फायदा उठाने वाले संस्थानों को इस घटना से सतर्क हो जाना चाहिए।

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