नगरनार प्लांट खरीदने की घोषणा, भले 30 हजार करोड़ लगाना पड़े प्रदेश को 

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की सियासत का एक बड़ा दांव खेला है। राज्य विधानसभा में उन्होंने घोषणा की है कि अगर केंद्र सरकार नगरनार के स्टील प्लांट का निजीकरण करते हुए इसे बेचने का प्रयास करेगी तो छत्तीसगढ़ सरकार खुद यह प्लांट खरीदेगी। प्रेक्षकों के मुताबिक राज्य सरकार का यह अब तक का सबसे बड़ा सियासी दांव है। केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा डिसइनवेस्टमेंट सूची में नगरनार प्लांट को रखे जाने की खबरों के बीच राज्य सरकार का ये महत्वपूर्ण फैसला है।

नगरनार प्लांट को खरीदने के लिए राज्य सरकार को प्लांट की मूल कीमत 20 हजार करोड़ रुपए चुकानी होगी। प्लांट के संचालन के लिए प्रारंभिक राशि 10 हजार करोड़ समेत कुल 30 हजार करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।

भूपेश ने यह घोषणा दरअसल विपक्ष के प्रस्ताव पर पलटवार के रूप में की है। विधानसभा में एक शासकीय संकल्प लाया गया था कि केंद्र सरकार नगरनार के प्रस्तावित निजीकरण को रोके। इस प्रस्ताव पर चर्चा के दाैरान विपक्ष के सदस्य अजय चंद्राकर और शिवरतन शर्मा ने बीच का रास्ता निकालते हुए या पासा फेंका कि अगर प्लांट का निजीकरण होता है तो इसे राज्य सरकार को खरीदना चाहिए। इसी तरह का प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने उस समय दिया था जब अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने बाल्को संयत्र के निजीकरण के दाैरान दिया था। शायद विपक्ष को इस बात का आभास नहीं था कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह प्रस्ताव स्वीकार करेंगे। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घोषणा की कि विपक्ष अगर शासकीय संकल्प पर सर्वसम्मति दे तो ये प्रस्ताव स्वीकार करेंगे कि निजीकरण हुआ तो छत्तीसगढ़ सरकार नगरनार प्लांट खरीदेगी। एन एम ड़ी सी के नगरनार प्लांट से प्रदेश वासियों की बड़ी उम्मीदें जुड़ी हुई हैं, बस्तर संभाग के विकास के लिये वर्षो से उसके संचालन शुरू होने का  इंतजार किया जा रहा है।

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