पप्पू जाट ने जीता मजीठिया का केस
सिर्फ इंदौर में जागरण प्रबंधन को देना है एक माह में लगभग 51,90,665 रु का बकाया
रायपुर, इंदौर नई दुनिया को मजीठिया वेतनमान के केस में लगातार 12वीं पराजय मिली है। 12वें विजेता मजीठिया क्रांतिकारी पप्पू जाट रहे हैं। अब तक के 12 मजीठिया प्रकरणों के परिणामों में जागरण प्रबंधन के खिलाफ 51,90,665 रूपए अवार्ड पारित हुए हैं। उक्त राशि एक माह में जमा कराने का कोर्ट का फरमान है। अगर एक माह में राशि जमा नहीं की तो प्रति प्रकरण प्रतिमाह 2000 रूपए के हिसाब से दंड स्वरूप देय होगा ।
वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आऱ . वाडिया ने बताया कि शुक्रवार को मजीठिया बकाया प्रकरण में नई दुनिया के पप्पू जाट के पक्ष में माननीय श्रम न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए आवर्ड पारित किया ।
माननीय न्यायालय ने पप्पू जाट को 2008 से 2011 तक का अंतरिम राहत राशि 35940/- एवं 2011से वेतन अंतर राशि 644,577/- कुल 6,80,517/- राशि एक माह मे देने के आदेश पारित किए है।
पप्पू जाट की विजय के साथ ही नई दुनिया (जागरण प्रबंधन) की यह 12 वीं मजीठिया केस में पराजय है। 12 प्रकरणों में अब जागरण प्रबंधन पर लगभग 5190665 लाख का बकाया वेतन के अवार्ड माननीय न्यायालय व्दारा पारित किए जा चुके है। सभी प्रकरणों में बकाया वेतनमान एक माह में जमा नहीं करने पर 2000 रूपए प्रति प्रकरण दंड भी शामिल है।
आपको बता दें जागरण प्रबंधन के खिलाफ अभी तक जितने भी मजीठिया क्रांतिकारियों ने फतह प्राप्त की उनका 1से 4 वर्ष का बकाया वेतन था। अभी तो बड़े बड़े प्रकरणों का फैसला आना बाकी है। आपको बता दे इंदौर नई दुनिया के ही करीब 100 अधिक मजीठिया बकाया वेतनमान के प्रकरण माननीय श्रम न्यायालय में चल रहे हैं। नईदुनिया के भोपाल ग्वालियर , रायपुर के 250 से अधिक प्रकरण और हैंं।
इंदौर के 12 विजेता पत्रकार कर्मचारी है –
इंदौर नई दुनिया से संजय हटकर, निशिकांत मंडलोई, विजय चौहान, दिव्या सेंगर , सुरेश चौधरी, सुरेंद्र सिंह, मुंशीलाल कायत, पदम शर्मा, दीपक पाठक, हामिद अली, सुभाष चोरमा और पप्पू जाट के पक्ष में अवार्ड पारित हुए है। यह अवार्ड मात्र 15 दिनों में माननीय कोर्ट ने पारित किए हैं।
इंदौर में मजीठिया की लड़ाई में यह बड़ी सफलता है।
सभी मजीठिया क्रांतिकारियों को बधाई देते हुए वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष पी सी रथ एवं महासचिव नसीम मोहम्मद ने इस सफलता को पत्रकारों और कर्मचारियों की एकजुटता और लंबे संघर्ष का सुखद परिणाम बताया है। छत्तीसगढ़ में भी नईदुनिया, पत्रिका, हितवाद , दैनिक भास्कर के कर्मचारियों, पत्रकारों के मामले श्रम न्यायालय में चल रहे हैं जिसमें कोरोना काल के बाद अब जनवरी महीने से सुनवाई प्रारंभ हो चुकी है।