अंचल के युवा कवियों की सजग उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाया

धमतरी,24 सितंबर 2023,   साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद एवं अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा 22 सितंबर से 24 सितंबर 2023 तक धमतरी में युवा कविता रचना शिविर का आयोजन किया गया। इसके अंतर्गत अंचल के साहित्यिक अभिरुचि के युवाओं को देश- प्रदेश के आमंत्रित विशेषज्ञ एवं चर्चित साहित्यकारो द्वारा रचना प्रक्रिया के बारे में सहभागिता आधारित प्रशिक्षण दिया गया।
इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के अशोकनगर से वरिष्ठ कवि हरिओम राजोरिया, प्रयागराज इलाहाबाद विवि से समीक्षक लक्ष्मण प्रसाद गुप्त, दुर्ग से वरिष्ठ समीक्षक सियाराम शर्मा, बागबाहरा से पीयूष कुमार, रायपुर से साहित्य अकादमी के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त, जया जादवानी, पी सी रथ, राजकुमार सोनी ,धमतरी से माझी अनंत और छुरा गरियाबंद से नरोत्तम यादव उपस्थित रहे। धमतरी के शंकरदाह में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के मुकेश कुमार ने कार्यशाला समन्वयन हेतु सेवाएं दी।
प्रथम दिवस के सत्र का शुभारंभ सुबह 11 बजे हुआ जिसमें उद्घाटन वक्तव्य वरिष्ठ समीक्षक सियाराम शर्मा ने दिया, कार्यक्रम की अध्यक्षता धमतरी के सुपरिचित वरिष्ठ रचनाकार सुरजीत नवदीप द्वारा की गई। आभार प्रदर्शन पी सी रथ ने किया।

दोपहर के सत्र में प्रतिभागियों के परिचय के बाद सृजन प्रक्रिया पर केंद्रित विभिन्न प्रश्नों को शिविरार्थियों द्वारा बोर्ड पर दर्ज कराया गया। इन सवालों पर विषय विशेषज्ञों द्वारा शाम तक समाधान का सिलसिला जारी रहा। सभी को कविताएं लिखने विषय दिए गए। कार्यशाला में कांकेर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, महासमुंद, रायपुर तथा धमतरी जिलों के 60 से अधिक साहित्य व अन्य विधाओं के छात्र तथा शिक्षकों ने हिस्सेदारी की। दूसरे दिन उपस्थित विषय विशेषज्ञों ने अपने वक्तव्य दिए, 6 समूहों में प्रतिभागियों ने अपनी कविताएं पढ़ी और उस पर चर्चा की।

दोपहर को कवि कथाकार जया जादवानी का वक्तव्य हुआ, उन्होंने रचना प्रक्रिया की सूक्ष्म तत्वों का जिक्र किया। भखारा कॉलेज से आये युवा आलोचक भुवाल सिंह ठाकुर ने अपना विस्तृत वक्तव्य कार्यशाला में प्रस्तुत किया। तीसरे दिन 24 सितंबर को सुबह की शुरुआत चर्चित कवियों की कविताओं की शानदार प्रस्तुति सत्यभामा और कबीर ने की। इसके बाद युवा कवियों ने अपनी नई पुरानी कविताओं का पाठ किया जिन पर वरिष्ठ समीक्षक सियाराम शर्मा, पीयूष कुमार, मांझी अनंत ने अपनी टिप्पणियां की। हरिओम राजोरिया ने युवा कवियों को ध्यान में रखने योग बातों को याद दिलाया। कबीर ने कविताओं के अलग अलग पक्षों के बारे में अपनी राय बताते हुए प्रस्तुति की प्रभावशीलता की चर्चा की। सत्यभामा ने कवियों के समक्ष उपस्थित चुनोतियों को याद दिलाया। रायपुर से आये राजकुमार सोनी ने जीवन संघर्षो में साथ चलने वाली कविता की चिंता का जिक्र किया।
दोपहर बाद समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए धमतरी के मांझी अनंत ने संबोधित किया।
सभी को प्रमाणपत्र वितरण के पश्चात अंत में  साहित्य अकादमी अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त तथा अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के मुकेश कुमार ने आभार प्रदर्शन किया।

संवाद : कविता की रचना प्रक्रिया

– अतुकांत कविताएँ समझ नहीं आतीं।
– कविता की लय कैसे बनती है।
– कविता की शुरुआत, विस्तार और अंत कैसे करें।
– कविता में शब्दों का चयन कैसे किया जाए।
– कविता का शीर्षक कैसे तय करें।
– कविता के लिए अनुभव और अवलोकन कैसे करें।
– दूसरे कवि की कविता का प्रभाव पड़े तो क्या करें।
– कोई कविता बड़ी कविता कैसे हो सकती है।

कल हुए संवाद में युवा प्रतिभागियों ने इस तरह की जिज्ञासा जाहिर की। सियाराम शर्मा सर (भिलाई), हरिओम राजोरिया (अशोकनगर) लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता (इलाहाबाद) और मैंने इन जिज्ञासाओं को समझने और समझाने का प्रयास किया। कविता और उसकी रचना प्रक्रिया को किसी एक बात में समझाना मुश्किल है पर इसी तरह परतें खोलने और बात करने से बहुत सी बातें निश्चित ही स्पष्ट होती हैं।

छत्तीसगढ़ के युवा प्रतिभागी जो कविता में रुचि रखते हैं या प्रेरित किये जाने पर यहां आए हैं, पहले दिन के समापन पर कहा कि उन्हें यहां आकर उम्मीद से अच्छा लगा। साहित्य अकादमी, छतीसगढ़ संस्कृति परिषद और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के बैनर तले धमतरी में चल रहे तीन दिवसीय युवा कविता रचना शिविर के पहले दिन की खास बात यह रही कि पूरा संवाद अनौपचारिक, सहज और स्वाभाविक था। कविता के लिए इसी तरह की सहजता होनी चाहिए।

दूसरा दिन : युवा कविता रचना शिविर

साहित्य अकादमी, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के इस वर्कशॉप में कल प्रतिभागियों ने दिये गए विषयों पर अपनी कविताएं पेश कीं। लगभग सबने पहली बार कविता लिखी थी सो अनगढ़ता थी पर ज्यादातर के भाव लगभग ठीक थे। इसलिए उन्हें बातचीत में भाव विस्तार, विषय को देखने का नजरिया, कहन का ढंग, कविता का फलक बड़ा कैसे हो, निजी सुख-दुःख कैसे सबका बनाया जा सकता है जैसे सुझाव संवादकर्ताओं द्वारा दिए गए। इसके अलावा कथाकार जया जादवानी और युवा आलोचक भुवाल सिंग ठाकुर ने कविता की रचना प्रक्रिया पर अपना अतिथि वक्तव्य दिया।
इस आयोजन में यह महत्वपूर्ण लग रहा कि कल को कोई कविता लिखे या न लिखे, पर कुछ युवाओं की दृष्टि बदलेगी, यह यकीन है। आज के बहुआयामी, बहुस्तरीय जीवन में जटिलता बढ़ती ही जा रही है ऐसे में कविता जो हमें मनुष्य बनाये रखती है, उसका होना जरूरी है। ऐसे आयोजनों से रचनात्मकता की बहुत परतें खुलती हैं और हम कुछ बेहतर सीख पाते हैं।

पीयूष कुमार की टिप्पणी

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