छत्तीसगढ़ जलेस सम्मेलन में राष्ट्रीय सचिव संजीव कुमार ने की घोषणा

रायपुर, प्रदेश की न्यायधानी बिलासपुर में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य जनवादी लेखक संघ के दो दिवसीय राज्य सम्मेलन में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. परदेशीराम वर्मा को प्रदेशाध्यक्ष चुना गया । वे देश के जनवादी लेखक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं । दिल्ली से पधारे राष्ट्रीय सचिव संजीव कुमार ने जनवादी लेखक संघ की चयनित नई राज्य समिति की घोषणा की । डॉ. परदेशीराम वर्मा (दुर्ग)अध्यक्ष एवं पी.सी. रथ (रायपुर) सचिव बनाये गए। सम्मेलन के अंत मे मुदित मिश्र के संचालन में काव्य गोष्ठी का आयोजन था जिसमे प्रदेश भर से आये कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।

मौजूदा समय में साहित्यकारों को सजग हो कर अपनी भूमिका निभाने की जरूरत
संजीव कुमार
प्रदेश जनवादी लेखक संघ का सम्मेलन दिल्ली से आये लेखक, समीक्षक तथा जलेस के राष्ट्रीय महासचिव संजीव कुमार के मुख्य आतिथ्य में विगत 15 अक्टूबर को बिलासपुर में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता भोपाल से आये विचारक तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामप्रकाश त्रिपाठी ने की। सम्मेलन में भारतीय जनतंत्र और साहित्य संकट और चुनोतियाँ विषय पर चर्चा की शुरुआत करते हुए संजीवकुमार ने देश के हालात के बारे में विस्तार से परिस्थितियों का विवरण दिया।
संगठन में शामिल रचनाकारों से देशकाल परिस्थितियों के मुद्दे पर सजग रहने की अपेक्षाओं भी उन्होंने रेखांकित की।
निवर्तमान अध्यक्ष कपूर वासनिक ने अपने संबोधन में एकजुटता को महत्वपूर्ण बताया। बिरादराना संगठनों में प्रगतिशील लेखक संघ के रफ़ीक खान ने प्रगतिशील ताकतों को मजबूत करने साहित्यकारों को सामने आने का आग्रह किया, जन संस्कृति मंच की ओर से उपस्थित सुरेश वाहने ने मौजूदा चुनोतियो में ऐसे आयोजनों को महत्वपूर्ण बताया। सत्र के अंत में बिलासपुर के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता नंद कश्यप ने आभार प्रदर्शन किया।
संगठनात्मक सत्र में नई कार्यकारिणी चुनी गई जिसमें अध्यक्ष उपाध्यक्ष के अलावा डॉ. सुखनंदन सिंह धुर्वे नंदन (रायपुर) कोषाध्यक्ष, नासिर अहमद सिकंदर (भिलाई) एवं विजय सिंह ( जगदलपुर) उपाध्यक्ष चुने गए । प्रदेश भर से आए जनवादी साहित्याकारों के दो दिवसीय इस जलसे में कपूर वासनिक( बिलासपुर) एवं नंद कश्यप( बिलासपुर) संरक्षक बनाये गए। कवर्धा के अजय चंद्रवंशी, कोरबा के भास्कर चौधरी, बागबाहरा के रजत कृष्ण को संयुक्त सचिव तथा जांजगीर के सतीश सिंह बिलासपुर के सी.के. खर्ण्डे भिलाई के राकेश बम्बार्डे सचिव चुने गए । प्रदेश कार्यकारिणी में रमेश शर्मा ( रायगढ़) अशोक आकाश( बालोद), दिनेश गौतम( बेमेतरा) समयलाल विवेक विवेक(कबीरधाम) लक्ष्मी नारायण कुंभकार(दुर्ग)चोवाराम बादल ( भाटापारा बलौदाबाजार) शिज्जु शकूर ( रायपुर) सदस्य चुने गए । दो दिवसीय राज्य सम्मेलन की शुरुआत समीक्षक तथा कवि शाकिर अली पर केन्द्रित विषय आलोचना का लोकधर्म पर 14 अक्टूबर को हुई। जिसमें व्यापक भागीदारी बिलासपुर के अलावा देश भर से आये प्रतिभागियों ने की।
दूसरे दिन भारतीय जनतंत्र और साहित्य का संकट और चुनौतियाँ विषय पर महत्वपूर्ण व्याख्यान हुए जिसमें संजीवकुमार, रामप्रकाश त्रिपाठी एवं कपूर वासनिक ने व्याख्यान दिया । पत्रकार तथा लेखक पी.सी. रथ ने उद्घाटन सत्र का संचालन करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति का संकट इसलिए भी बढ़ा है क्योंकि मीडिया घरानों की कारपोरेट भक्ति के कारण सरकार से जुगलबंदी से जनता की आवाज को दबाया जा रहा है संस्कृति कर्मियों साहित्यकारों की भूमिका अब लेखन तक सीमित नही रहनी चाहिए, वो महत्वपूर्ण है किंतु अब सड़क के प्रतिरोध में भी हिस्सेदारी जरूरी है। छोटे छोटे रंगारंग कार्यक्रमो से आम जनता से संपर्क बढ़ाना जरूरी है।
इस अवसर पर कुम्हारी इकाई के महेश वर्मा, राजेन्द्र साहू, प्रगतिशील लेखक संघ बिलासपुर के रफ़ीक खान,इप्टा के अरुण दाभडकर, मोहम्मद रफ़ीक,मुरली मनोहर सिंह, असीम तिवारी, जनसंस्कृति मंच के राजकुमार सोनी,सुरेश वाहने जैसे मित्र लेखक संगठनों के साथीगण, हथबंद के वरिष्ठ साहित्यकार मुबारक हुसैन, जयकुमार साहू, श्रीकांत वर्मा पीठ अध्यक्ष रामकुमार तिवारी, संजय पराते, गजेन्द्र झा, बालोद के देवजोशी सहित बड़ी संख्या में साहित्यकारों ने भाग लेकर सम्मेलन को सफल बनाया ।


सांगठनिक सत्र में डॉ. परदेशीराम वर्मा ने कहा कि विगत चालीस वर्षों से जनवादी लेखक संघ में हम सब मिलकर आगे बढ़े। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद यह तीसरा राज्य सम्मेलन सम्पन्न हुआ। राज्य में जनवादी लेखक संघ की विभिन्न जिलों में इकाईयाँ बन गई हैं। जिनमें बालोद, कवर्धा, बेमेतरा, भाटापारा, धमतरी, गरियाबंद, चांपा, रायगढ़, कोरबा के साथी इस सम्मेलन में आए । धीरे-धीरे प्रदेश के सभी जिलों में जनवादी लेखक संघ की इकाइयाँ बन रही हैं। साथियों की एकजुटता के कारण हमारा यह संगठन अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए आगे बढ़ रहा है । आने वाले समय में हर चुनौती का सामना करते हुए हम लेखकगण अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करेंगे ।

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