एनजीटी कोर्ट के आदेश की अवहेलना जिला प्रशासन ने फिर से उन खदानों को पिट पास जारी कर दिया है जिनको NOC नहीं मिली थी

धमतरी . रेत को ले कर सारे देश में उठापटक और समीकरण जारी है ये गौण खनिज पिछले दो दशक से बहुत ही बहुमूल्य लाभ देने वाला खनिज साबित हुआ है .   छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने धमतरी में स्वीकृत सभी रेत खदानों को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का आदेश दिया है. ये आदेश जज संजय के अग्रवाल और चीफ जस्टिस पी आर रामचंद्र मेनन की युगल पीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. कुरुद के विनीत बाफना ने ये जनहित याचिका दायर की थी. दरअसल राज्य में नई सरकार आने के बाद एनजीटी द्वारा जिला स्तर पर अप्रैल 2018 में गठित समितियों को भंग कर दिया गया था. जिसके बाद इन समितियों द्वारा विभिन्न खदानों को जारी एनओसी भी शून्य हो गई थी. इसका मतलब ये भी होता है कि अब वो खदानें संचालित नहीं हो सकती जब तक कि फिर से सक्षम संस्था इन्हें एनओसी नहीं देती. लेकिन जिला प्रशासन ने फिर से उन खदानों को पिट पास जारी कर दिया. जो एनजीटी कोर्ट के आदेश की अवहेलना है. इसी को आधार बनाकर याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई. जिस पर उच्च न्यायालय ने एनजीटी के आदेश को यथावत रखते हुए इसके तत्काल पालन के निर्देश जारी किए हैं. हालांकि इसके बाद भी जिले के खनिज अधिकारी कोर्ट के आदेश का परीक्षण करने की बात कह रहे हैं. इधर इस मामले में सक्रीय हुए कुरुद के नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर अब भी कोर्ट का आदेश नहीं माना गया तो सड़क पर आंदोलन किया जाएगा.कुल मिला कर देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट के आदेश का पालन कब तक सुनिश्चित किया जाता है वैसे भी बारिश के मौसम के प्रारंभ होने के बाद रेत की डिमांड भी कुछ कम हो जाती है.

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