रायपुर  10सितंबर2019 (इंडिया न्यूज रूम) कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में छात्रों ने भाटागांव से विश्वविद्यालय तक के मार्ग के मध्य में स्थित दारू भट्टी को हटाने संबंधी ज्ञापन  विश्वविद्यालय के कुलसचिव  डॉ. आनंद शंकर बहादुर को सौंपा गया. छात्रनेता गुलशन रात्रे तथा अन्य दर्जन भर  छात्र- छात्राओं   द्वारा दारू भट्टी हटाने के लिए दिए गए, इस ज्ञापन के आधार पर कुलसचिव कितना प्रयास कर सकेंगे और भट्टी हट पाएगी या नही ये तो भविष्य में पता चलेगा . यह भी जानना महत्वपूर्ण होगा कि बेटी बचाओ का नारा देने वालों की सरकार ने पिछले 8-10  वर्षों में इस दिशा में ध्यान क्यों नहीं दिया था . इन छात्रों ने इस समस्या को पहचाना और इसके समाधान की दिशा में पहल शुरू की ये भी स्वागतयोग्य कदम है . जिला प्रशासन , पुलिस अधीक्षक को  भी इस सम्बन्ध में प्रतिलिपि दिया जाना चाहिए था जिससे कार्यवाही में तेजी आये .                                                                                        छात्रों की इस पहल ने दारू भट्टी  की वज़ह से होने वाली कठिनाइयों की ओर ध्यान दिलाया ही किन्तु साथ ही साथ डेढ़ दशक पुराने इस विश्वविद्यालय के शैक्षणिक स्तर की हकीकत इस ज्ञापन की भाषा और वाक्य संरचना ने उजागर कर दी.

विज्ञप्ति ने खोली  विश्वविद्यालय के उच्च कक्षाओ के छात्रों  के भाषाई कौशल की पोल

किसान नेता संजय पराते बताते हैं कि भाजपा सरकार ने अपने पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे के नाम से इस विश्वविद्यालय को पत्रकारिता के उत्कृष्ट प्रशिक्षण संस्थान बनाने के लिए शुरू बस किया था, स्तर पर कभी ध्यान नहीं दिया . संस्थान में उच्च शिक्षा संस्थान के अनुरूप स्तर की फैकल्टी और अतिथि प्राध्यापकों तक बुलाने पर कभी गंभीरता नहीं दिखाई गयी , नतीजा यहां के छात्रों का शानदार शैक्षणिक रिकार्ड इस ज्ञापनपत्र मे देखा जा सकता है.   शुरू से इस विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओ और स्वयंसेवकों की चारागाह बना कर रखा गया था, पूरे पंद्रह वर्षो तक सरकार कुलपति से ले कर व्याख्याता और अतिथि प्राध्यापकों को आमंत्रित करने में भी पुरातनपंथी संघ पृष्ठभूमि के आधार पर ध्यान रखती रही. पत्रकारिता , भाषा विज्ञान, विषय शिक्षा , समाजविज्ञान, साहित्य या वैज्ञानिक विकास परक पत्रकारिता को स्पर्श न करने के कारण ये संस्थान आज इस दुरावस्था को प्राप्त है. पत्रकारिता में भाषा का बेहद महत्त्व है उसके सरल, सहज और संप्रेषणीयता, न्यूनतम शुद्धता के स्तर  के अभाव में इन विद्यार्थियों  को भविष्य में रोजगार के लिए जो कठिनाई होगी उसका केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है.   श्री पराते कहते हैं कि वर्तमान सरकार चाहे तो इस विश्वविद्यालय की दशा सुधारने कुछ पहल कर सकती है .

 

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