गांधी ही आज के विश्व के लिए नई आशा हैं

विश्व के 150 से अधिक देशों में गांधी जी पर डाक टिकिट जारी हो चुका है

रायपुर , 11 सितम्बर 2019( इण्डिया न्यूज रूम )  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के बताए सिद्धांतों पर चल रही है. उन्होंने कहा कि गांधी जी ने हमेशा देश हित को सर्वोपरि रखा, देश को भावनात्मक रूप से जोड़ने का अतुलनीय काम किया. उन्होंने कहा कि गांधी जी ने गांव, गरीब और समाज के कमजोर और वंचित तबकों को सबल बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में जीवन भर काम किया. गांधी जी के विचारों से समाज में परिवर्तन लाने का दायित्व युवाओं पर है. उनके सिद्धांतों को युवा अपना कर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं.

मुख्यमंत्री श्री बघेल आज पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के आडिटोरियम में गांधी और आधुनिक भारत विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के शुभारंभ सत्र को सम्बोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी के विचार और आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं, कल भी थे और आने वाले समय में भी प्रासंगिक रहेंगे. गांधी जी सदैव असहमति का सम्मान करते थे. लोगों के विचारों में परिवर्तन पर विश्वास रखते थे. लोगों को अपने विचारों से प्रभावित करने की कला उनमें थी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी के बताए मार्ग पर चलते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी को जमीन लौटायी, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार दिलाने की दिशा में कार्य शुरू किया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वनवासियों को वन अधिकार कानूनों के जरिए वर्षों से काबिज परिवारों को उनके अधिकार दिलाने के लिए काम कर रही है. उन्होंने कहा कि गांधी जी के ग्राम स्वराज के सिद्धांतों के अनुरूप ही राज्य में सुराजी गांव योजना शुरू की गई है. नरवा, गरवा, घुरवा, बारी के संरक्षण और संवर्धन का कार्य हाथ में लिया गया है. इस कार्यक्रम से पशुधन के संरक्षण से लेकर नदी नालों के रिचार्ज और पुनर्जीवन के लिए काम किए जा रहे है. इसके अलावा रोजगार और खेती किसानी की लागत कम करने के लिए जैविक खाद को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस योजना से छत्तीसगढ़ के गांव स्वावलंबी बनेंगें.

इस राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा कस्तूरबा गांधी  की 150 वीं जयंती के अवसर पर पंडित रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा किया गया है. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के व्यक्तित्व और कृतित्व तथा उनके छत्तीसगढ़ दौरे पर केंद्रित छाया चित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ भी किया.

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक तथा प्रमुख वक्ता अपूर्वानंद  ने कहा कि “गांधी जी ने आम आदमी के दुख  पीड़ा को उनके पास जाकर समझा , उन्होंने निहत्थे रहकर  बकरी जैसे निरीह प्राणी तथा  तकली, चरखा जैसे सामान्य वस्तुओं के इस्तेमाल से आम जनता को जोड़ा तथा विश्व के सबसे ताकतवर ब्रिटिश  साम्राज्य को गिरा दिया.”

अपूर्वानंद ने कहा कि गांधी ऐसे वीर पुरुष थे जिन्होंने अपनी गलती या जुर्म को हमेशा स्वीकार करने की बहादुरी दिखाई, वे सज़ा  कुबूल करने को भी तैयार रहते थे, जैसा की उन्होंने नमक सत्याग्रह के बाद किया ,विरोधियों के बीच भी  उनका अधिक सम्मान इसलिए था, क्योकि जब वे अंग्रेज सरकार के कोर्ट पहुंचे, तो जज सहित सभी लोगो ने उन्हें खड़े हो कर सम्मान भी दिया, अपने बचाव के लिए बिना किसी वकील की नियुक्ति  के उन्होंने सीधे जुर्म स्वीकार किया जिसकी तत्कालीन कानून के मुताबिक 6 साल की सजा निर्धारित थी, जब सजा सुना दी  गयी तो भी उन्होंने अच्छे व्यवहार के लिए जज और व्यवस्था को धन्यवाद दिया,  किन्तु सजा देने वाले जज ने इसके  बाद कहा कि  ब्रिटिश सरकार से इसमे छूट के लिए वे चाहे तो मांग कर सकते है और छूट मिलने पर इस जज को ही सर्वाधिक ख़ुशी होगी.

 इस तरह की बहादुरी के बदले हम देखते है कि वीर  सावरकर जैसे लोग, सजा से बचने के लिए ब्रिटिश सरकार से जाने कितनी तरह से , कितनी बार माफ़ी माँगते  है, रियायते माँगते  है और इस तरह कायरता का परिचय बार बार देते हैं . दूसरो को भड़का कर हत्या करवाते है और उसकी जिम्मेदरी लेने  के बजाय उस हत्या के अपराधी को चुपचाप फांसी  पर चढ़ाये जाते देखते है अपनी जान  बचाए रखने के लिए सारे जुगत भिड़ाते  रहते है. पता नहीं कैसे ऐसे लोगों को वीर किसके द्वारा कहना शुरू किया गया.

आज भी ऐसे  लोगो की भीड़ है ऐसे में गांधी जी की बहादुरी और वास्तविक वीरता को याद करने की जरुरत है जब वे दंगाग्रस्त इलाको. में , अपना घर द्वार  पाकिस्तान में छोड़ आये दुखी और आक्रोशित हिन्दू सिख शरणार्थियों  के समूहों के बीच बेखौफ चले जाते थे , जबकि उनकी गांधी जी के प्रति  बहुत  ज्यादा घृणा हुआ  करती थी क्योकि वे पीड़ित ऐसा मानते  थे कि, गांधी मुस्लिमो का पक्ष ले रहे है. गांधी जी का कहना था की भारत में  मै प्रताड़ित मुस्लिमों को निरीह मानूंगा और पाकिस्तान में प्रताड़ित हिन्दुओ को , क्योकि जहाँ जो कमजोर और पीड़ित है हमें उसके हितो की रक्षा के लिए प्रयत्न करना चाहिए . मोदी सरकार के स्वच्छता अभियान  के प्रतीक  चिन्हों में प्रयुक्त “गांधी जी के चश्मे” को गोडसे द्वारा गांधी जी पर चलाई गयी तीन गोलियों से जोड़ते हुए अपूर्वानंद ने कहा कि इसे हमेशा याद रखने की जरुरत है कि किस प्रकार आज शासन में बैठा संघ परिवार गांधी जी से जुड़े हर बिम्ब को नेस्तनाबूत करने में जुटा हुआ है.

विश्व के 150 से अधिक देशों में गांधी जी पर डाक टिकिट जारी किया गया है करीब 100 देशों में उनकी मूर्तियाँ स्थापित है, उनके आत्मीय दोस्तों में जो देश विदेश के अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व शामिल थे और आज भी गांधी जी और उनके विचारो का जो महत्त्व वैश्विक स्तर पर है उससे भारत का ही सम्मान बढ़ता है, गांधी पर सवाल उठाने या उनको लक्ष्य करने वालों की हरकतों से खुद उनकी  कमतरी का ही प्रदर्शन होता है.विरोधियो की बाते शांति से सुनना भी बहादुरी है किन्तु खेद का विषय है कि देश में पिछले 6 वर्षों में सत्ता से  असहमति या विरोध के विचारो को सीधे देशद्रोह से जोड़ दिया गया है . सत्ता के लिए असुविधाजनक विचारो के कारण ही आवाज उठाने वाले गौरी  लंकेश , कलबुर्गी और पानसरे  जैसो की हत्या करवा दीजाती है.

नक्सलवाद की समस्या का जिक्र करते हुए प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद ने कहा  छत्तीसगढ़ में भी  कुछ लोग आदिवासियों के  दमन शोषण के खिलाफ, उनकी ओर से  हिंसा के माध्यम से प्रतिरोध कर रहे है जिससे वास्तविक समस्याओ का हल निकालने के बजाय समस्या और जटिल होती जा रही है मै उन लोगो से पूछना चाहता हूँ कि उन्होंने शोषण के शिकार आदिवासियों को मजबूत , सुशिक्षित और जागरूक बनाने की पहल क्यों नहीं कि ताकि वे अपने सवालों का जवाब सत्ता से खुद मांग सकें. मै भी जानता हूँ और आप भी जानते है कि ये लम्बे समय तक समर्पण से काम करने पर ही हो सकता है इसीलिए आदिवासियों की तरफ ए हिंसक लड़ाई लड़ने का आसान रास्ता अपनाना शायद उन्हें सरल लगता है.

सर्वोदयी नेता अमरनाथ भाई ने आज के विकास को निर्मम तथा पर्यावरण विरोधी  बताते हुए उन्होंने कहा कि नै पीढ़ी को गांधी तथा गांधीवाद को समझना बेहद जरुरी है तभी नया और मजबूत आधुनिक भारत बनाया जा सकता है. गांधी जी कहते थे जबतक असमानता है शांति नहीं हो सकती , अहिंसा और अन्त्योदय का कोई विकल्प नहीं है.

कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव शरदचंद्र बेहार ने की. इस अवसर पर विधायक विकास उपाध्याय सहित देश भर आए गांधीवादी चिंतक, विचारक और बुद्धिजीवी उपस्थित थे. सेमिनार के मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद, सर्वोदय आंदोलन से जुड़े वयोवृद्ध अमरनाथ भाई, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता लीला ताई चितले, पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केशरीलाल वर्मा और अजीम प्रेम जी फाउंडेशन के राज्य प्रमुख सुनील कुमार शाह भी इस अवसर पर उपस्थित थे.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव शरदचन्द्र बेहार ने कहा कि गांधी जी के सपनों के अनुरूप समाज निर्माण के लिए हमें उनके विचारों और आदर्शो को अपनाने की जरूरत है. उद्देश्य के साथ-साथ उसे प्राप्त करने के साधन भी पवित्र होना चाहिए.

प्रोफेसर अपूर्वानंद, सर्वोदय आंदोलन से जुड़े वयोवृद्ध अमरनाथ भाई, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और 89 वर्ष की सामाजिक कार्यकर्ता लीला ताई चितले, पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केशरीलाल वर्मा और अजीम प्रेम जी फाउंडेशन के राज्य प्रमुख सुनील कुमार शाह ने भी सेमिनार को संबोधित किया. बाद के सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन ने की तथा इसके पश्चात फिल्म समीक्षक अनिल चौबे द्वारा गांधी जी पर संकलित शानदार दृश्य श्रव्य कार्यक्रम की प्रस्तुति की गयी.

सेमीनार तीन दिनों तक जारी रहेगा .कल 12 सितम्बर को गांधी  का शिक्षा दर्शन,  नई तालीम जैसे  विषय पर नन्द किशोर आचार्य , प्रो सुजीत सिन्हा विचार रखेंगे . 12  सितम्बर को ही  विचारक महेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में भारतीय समाज में बहुलता तथा समरसता पर अफलातून तथा सहकार और सहयोग आधारित समाज व्यवस्था पर प्रसिद्ध पत्रकार उर्मिलेश अपने विचार रखेंगे .13 सितम्बर को अहिंसक और टिकाऊ अर्थ व्यवस्था पर गांधीवादी चिन्तक आलोक बाजपेयी , ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में छत्तीसगढ़ के प्रयोग विषय पर कृषि विचारक प्रदीप शर्मा विचार रखेंगे .

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