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प्रदर्शनी का उद्देश्य बच्चों को सामाजिक समस्याओं के प्रति विज्ञान एवं गणित द्वारा समाधान के लिए प्रोत्साहित करना: डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम
स्कूल शिक्षा मंत्री ने गोवा से आए बच्चों से की मुलाकात

रायपुर, 12 अक्टूबर 2019 स्कूल शिक्षा विभाग और एन.सी.ई.आर.टी नई दिल्ली के सहयोग से राजधानी रायपुर के शंकर नगर स्थित बी.टी.आई. मैदान में स्कूली बच्चों के लिए 46वीं जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी 15 से 20 अक्टूबर तक आयोजित की जा रही है. प्रदर्शनी का उद्घाटन 15 अक्टूबर दोपहर 12 बजे प्रदेश के राज्यपाल सुश्री अनसुईया उइके करेंगी. राष्ट्रीय प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए गोवा राज्य का दल पहुंच गया है. स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय ंिसंह टेकाम ने दल के सदस्यों से मुलाकात की. मंत्री को अधिकारियों ने बताया कि अन्य राज्यों के दल कल से आना शुरू हो जाएंगे. डॉ. टेकाम ने अधिकारियों से प्रदर्शनी के संबंध में की गई व्यवस्थाओं की जानकारी भी ली. उन्होंने इस अवसर पर प्रदर्शनी मंे सहभागिता करने वाले बच्चों को प्रदाय की जाने वाली किट की जानकारी दी.
स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य कार्यकारणी मॉडल और विभिन्न क्रियाकलापों द्वारा 14-18 वर्ष के स्कूली बच्चों को उनकी विज्ञान एवं गणित की समझ, सृजनता, नवाचार और क्षेत्रीय एवं वैश्विक समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता के लिए मंच प्रदान करना है। प्रदर्शनी में प्रस्तुत प्रत्येक प्रादर्श के सृजन में जिज्ञासु बाल वैज्ञानिकों द्वारा एक या अनेक समस्याओं के समाधान का प्रयास किया जाता है. प्रदर्शनी का मुख्य महत्व बच्चों को सामाजिक समस्याओं के प्रति विज्ञान एवं गणित द्वारा समाधान के लिए प्रोत्साहित करना है. प्रदर्शनी मंे बच्चों को अपने कार्या के प्रदर्शन और उन्हें दर्शकों एवं साथियों के साथ आदान-प्रदान करने के अवसर मिलते है. राष्ट्रीय प्रदर्शनी में बच्चों द्वारा निर्मित प्रदर्शन एवं मॉडल स्कूलों से ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर तक पहुंचते है. यह प्रदर्शनी स्कूलों से बच्चों की राष्ट्रीय स्तर पर सहभागिता और गुणवत्तापूर्ण प्रादर्शा के प्रदर्शन का अवसर उपलब्ध कराती है. प्रदर्शनी मंे देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के विद्यालयों के विद्यार्थी और शिक्षक सहभागिता करते हैं.

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने आज यहां बताया कि राष्ट्रीय प्रदर्शनी का मुख्य विषय ‘जीवन की चुनौतियों के लिए वैज्ञानिक समाधान‘ रखा गया है. प्रदर्शाें एवं मॉडलों का प्रदर्शन छह भागों में बाटा गया है इनमें – कृषि एवं जैविक खेती, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, संसाधन प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन, परिवहन एवं संचार और गणितीय प्रतिरूपण शामिल है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय प्रदर्शनी मंे 16 से 19 अक्टूबर तक देश के विषय विशेषज्ञ वैज्ञानिकों के व्याख्यान प्रतिदिन प्रातः 9 से 10.30 बजे तक होंगे. 15 अक्टूबर को उद्घाटन के बाद 16 से 18 अक्टूबर तक प्रदर्शनी का अवलोकन प्रातः 11 बजे से 1.30 बजे तक और दोपहर 2.30 बजे से 5 बजे तक किया जा सकेगा. 19 अक्टूबर को प्रातः 11 बजे से 1.30 बजे तक अवलोकन किया जा सकेगा और दोपहर 2.30 बजे प्रदर्शनी का समापन होगा. प्रदर्शनी में 27 सहभागी राज्य और संघ राज्य क्षेत्र के कुल 147 मॉडल का प्रदर्शन किया जाएगा। इनमें छत्तीसगढ़ राज्य के 22 मॉडल भी शामिल है. इसके अलावा अन्य छह संस्थान, विज्ञान प्रसार, पेट्रोलियम संरक्षण, अनुसंधान संघ, एन.सी.ई.आर.टी. विभाग के केन्द्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रकाशन विभाग, शैक्षिक किट विभाग भी प्रदर्शनी में शामिल होंगे.
डॉ. टेकाम ने बताया कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर एवं लोककला का परिचय, जानने एवं सीखने के उद्देश्य से लर्निंग कैम्पस, पारम्परिक आवास (लघु स्वरूप) और लोकनृत्यों का प्रदर्शन किया जाएगा. इस अवसर पर छत्तीसगढ़ लोक कलाकारों द्वारा लगभग 25 लोकनृत्यों और 12 लोक कलाओं का प्रदर्शन तथा सीखने का अवसर प्रदान किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ लोक नृत्य विलुप्ति की कगार पर है जैसे- नारायणपुर का कोकोरेंग एवं कोरबा का बार नृत्य इत्यादि. लोक कलाओं के अंतर्गत चाक, चरखा, तुमा आर्ट, बांस कला, गोदना एवं भित्ती चित्र आदि का शामिल है.
डॉ. टेकाम ने बताया कि 15 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक शाम 5.30 बजे से 7.30 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जिसमें छत्तीसगढ़ की लोककला संस्कृति की प्रस्तुति होगी. शालेय विद्यार्थियों और प्रतिभागियों द्वारा 15 अक्टूबर को प्रस्तुति दी जाएगी. 16 अक्टूबर को आयोजन आवास स्थल पर क्विज का आयोजन किया जाएगा. प्रशिक्षण संस्था ने विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों द्वारा 17 अक्टूबर को और लोकरंग अर्जुंदा के द्वारा 18 अक्टूबर को प्रस्तुति दी जाएगी. उन्होंने बताया कि आवास स्थल पर प्रतिभागियों के लिए टेलीस्कोप द्वारा आकाश दर्शन की व्यवस्था की गई है. 20 अक्टूबर को प्रतिभागियों के लिए पर्यटन का आयोजन किया गया है. इसके अलावा विभागीय प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. जिसमें नरवा, गरवा, घुरवा और बारी, मल्टी मीडिया पाठ्यपुस्तकें, एस.सी.ई.आर.टी. के प्रकाशन, दीक्षा के पंडाल भी लगाये जाएंगे.
डॉ. टेकाम ने कहा कि इस महत्वपूर्ण प्रदर्शनी का आयोजन एन.सी.ई.आर.टी. नई दिल्ली द्वारा सन 1971 में प्रारंभ किया गया। सन 1978 तक दिल्ली में और उसके बाद इसका आयोजन देश के विभिन्न भागों में किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य में इसका आयोजन 2005 में किया गया था.

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