छत्तीसगढ़ में बेरोजगार युवाओं की संख्या 22 लाख 84 हजार 691 है. जबकि राज्य में कुल 1 करोड़ 81 लाख 435 मतदाता हैं. इनमें से 35 प्रतिशत युवा हैं.

 रायपुर .छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ वर्षों से बेकारी का आंकड़ा बढ़ भी रहा है . ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की वजह से पलायन की समस्या भी बढ़ रही है. वर्तमान में प्रदेश में बेरोजगार युवाओं की संख्या 22 लाख 84 हजार 691 तक पहुंच चुकी है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017-18 मार्च में 19 लाख 53 हजार 556 दर्ज की गई थी. यानि पिछले एक साल में छत्तीसगढ़ में रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या करीब साढ़े तीन लाख बढ़ी है. छत्तीसगढ़ में 15 साल से भारतीय जनता पार्टी सत्ता पर काबिज है. इस बीच बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है. अब बेरोजगार युवाओं को साधने के लिए सरकार की कौशल विकास, मुद्रा योजना जैसी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए सरकार ने प्रदेश में कौशल अधिकार कानून भी लागू कर दिया है. इस योजना में युवाओं को जोड़ने की जिम्मेदारी भाजपा ने संगठन के लोगों को दी है. इसके तहत पहिए पर कौशल योजना के तहत युवाओं को जोड़ा जा रहा है. छत्तीसगढ़ में पहिए पर कौशल योजना के प्रमुख व भाजपा के प्रदेश सचिव अनुराग सिंहदेव कहते हैं कि इसके तहत बेरोजगार युवाओं का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है. राज्य के आधे से अधिक जिलों में करीब 50 हजार बेरोजगारों का रजिस्ट्रेशन करा लिया गया है.छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. युवाओं के दम पर ही प्रदेश में इस बार सत्ता आने की प्रबल संभावना है. क्योंकि प्रदेश में कुल मतदाताओं में करीब 35 फीसदी युवा मतदाता हैं. 18 साल से 35 आयु वर्ग वाली यह जमात प्रदेश की राजनीति बदल सकती हैं. इसीलिए प्रदेश के सभी राजनीतिक दल युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए बेहतर रोजगार के हसीन सपने दिखाने में लगे हैं. चुनाव के दौरान तो राजनीतिक दलों को युवाओं की याद सताती है, लेकिन इतिहास देखें तो नतीजे घोषित होते ही सरकार के एजेंडे से युवा गायब होते नजर आते हैं.

चुनावी साल है, राज्य में कुल 1 करोड़ 81 लाख 435 मतदाता हैं. इनमें से 35 प्रतिशत युवा हैं. ऐसे में राजनीतिक दलों कोयुवाओं की चिंता  सताना लाजमी है. प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी हो या तीन बार से विपक्ष में बैठी कांग्रेस. या फिर तीसरे मोर्चे के तौर पर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हुई पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे). सभी राजनीतिक दल बेरोजगार युवओं को अपने पक्ष में करने के लिए रोजगार के वादे का चुनावी पासा फेंक रहे हैं.

चुनावी साल में बेरोजगार युवाओं का महत्व विपक्षी दल भी बखूबी समझते हैं. इसलिए कांग्रेस ने बेरोजगार युवाओं को साधने की जिम्मेदारी यूथ कांग्रेस को दी है. युवा कांग्रेस बेरोजगार युवाओं का रजिस्ट्रेशन करा रहा है. इसके तहत बेरोजगारों की शिक्षा व रोजगार क्षेत्र में उनकी रुचि की जानकारी ली जा रही है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल कहते हैं कि कांग्रेस शुरू से ही बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़ों का मुद्दा उठाती रही है. रजिस्ट्रेशन के बाद हमें बेरोजगार युवाओं का क्षेत्रवार आंकड़ा मिल जाएगा. प्रदेश में सरकार बनने के बाद हमारी प्राथमिकता इन बेरोजगार युवाओं को पहले रोजगार दिलाने की होगी.जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रमुख प्रवक्ता इकबाल रिजवी का कहना है कि उनकी पार्टी की रणनीति को कांग्रेस ने कॉपी किया है.

बेरोजगार युवाओं का रजिस्ट्रेशन कराने का काम उनकी पार्टी ने शुरू किया था. रिजवी कहते हैं कि हमारी सरकार बनने पर छत्तीसगढ़ के मूल निवासी विद्यार्थियों को प्राथमिकता से रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए हम यहां के बेरोजगार युवाओं से संपर्क बना रहे हैं.

राजनीतिक मामलों के जानकार और पेशे से चिकित्सक डॉ. विक्रम सिंघल बेरोजगार युवाओं को राजनीतिक महत्व में ‘सोया हुआ शेर’ कहते हैं. डॉ. विक्रम सिंघल का कहना है कि छत्तीसगढ़ में जाति, धर्म या वर्ग के किसी राजनीतिक समीकरण पर बेरोजगार युवा भारी पड़ सकते हैं क्योंकि इनका संख्या बल किसी भी जाति-वर्ग से कहीं ज्यादा है. बेरोजगार युवा सोये हुए शेर की तरह हैं, जिस दिन भी जागेंगे तख्ता पलट कर सकते हैं, लेकिन विडंबना है कि प्रदेश में बेरोजगार युवा संगठित नहीं हैं. इससे इनका सीधा प्रभाव राजनीति में कभी भी नहीं रहा है

शिक्षित बेरोजगारों का परिवार व समाज में दखल
डॉ. विक्रम सिंघल कहते हैं कि छत्तीसगढ़ सहित लगभग सभी पूर्वी राज्यों में शिक्षित बेरोजगार युवा दूसरे राज्यों से अलग हैं. इन राज्यों में कुल युवाओं में 40 से अधिक प्रतिशत युवा ऐसे हैं, जो अपने पूरे परिवार में पहली बार कॉलेज में पढ़ाई के लिए गए हों. इन युवाओं की अपने परिवार व समाज में अलग मान-सम्मान है. परिवार व समाज में इनकी बात मानी जाती है. ऐसे में स्वाभाविक है कि अगर वे जिसके पक्ष में कहेंगे, लोग उसी को वोट देंगे. इस तरह अगर देखा जाए तो एक बेरोजगार युवा के पास उसके अपने परिवार के औसतन तीन से पांच वोट हैं, जिसपर उसका सीधा दखल है. प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में बेरोजगार हैं, ऐसे में इनका संगठित होना प्रदेश की राजनीति पर सीधा असर डाल सकता है, लेकिन सवाल ये है कि राजनीति के ये युवा कब और किसके पक्ष में जागेंगे? जागरूकता क्या चौकाने वाले नतीजे .

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