चार लाख से अधिक श्रमिकों को मिलेगा लाभ मानना है शासन का

रायपुर, 10 दिसम्बर 2019. राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के निजी क्षेत्र के कारखानों और संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों-कर्मकारों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष अर्थात दो वर्ष बढ़ाने से चार लाख से अधिक श्रमिकों को इसका लाभ मिल रहा है. छत्तीसगढ़ औद्योगिक नियोजन (नियोजन आदेश) अधिनियम 1961 के प्रावधान के तहत मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और श्रम मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया के निर्देश पर 5 अगस्त 2019 को असाधारण राजपत्र में इस आशय की अधिसूचना जारी की गई थी.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ औद्योगिक नियोजन (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1961 एवं छत्तीसगढ़ औद्योगिक नियोजन (स्थायी आदेश) नियम, 1963 ऐसे उपक्रमों (कारखाना, स्थापना, संस्थान या अन्य औद्योगिक इकाई) पर लागू है, जिनमें पूर्ववर्ती 12 माह के दौरान 30 या अधिक श्रमिक नियोजित होते हैं. इस अधिनियम के अनुसार वर्तमान में कर्मचारियों एवं श्रमिकों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष निर्धारित है. विभिन्न संगठनों द्वारा सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की मांग की जाती रही थी.
इस निर्णय के परिप्रेक्ष्य में श्रम विभाग द्वारा किए गए संशोधन के परिणामस्वरूप प्रदेश के विभिन्न उपक्रमों, कारखानों, उद्योगों, संस्थानों में कार्यरत कर्मचारी अब 58 वर्ष के स्थान पर 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति होंगे. 60 वर्ष की सेवानिवृत्ति के पश्चात संबंधित उपक्रम के नियोजक उपक्रम के हित में संबंधित कर्मचारी की सेवाएं आवश्यक होने पर 62 वर्ष तक भी बढ़ा सकते है. ऐसा राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर घोषणा की गयी है.

नहीं मिल रहा है राज्य के निजि कर्मचारियों, मजदूरों को इसका लाभ
बावजूद इस सरकारी आदेश के प्रदेश में कई मिडिया संस्थानों में इस बीच कर्मचारियों को 58 वर्ष की आयु पूरा करने पर सेवा निवृति दे दी गयी. एक तरफ जहाँ राज्य सरकार बहुत से श्रमिक उपयोगी फैसले ले रही है, किन्तु बुनियादी रूप से उसे लागू कराने की संरचना नहीं होने के कारण उसका कोई लाभ वास्तविक श्रमिकों को नहीं मिल पाता है, स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के सचिव नसीम मोहम्मद का कहना है कि राज्य में श्रम न्यायधीशो की बेहद कमी है आई डी एक्ट के मामलों की सुनवाई कर सके ऐसे न्यायधीश प्रदेश के 14 श्रम न्यायालयों में केवल 2 हैं ऐसी स्थिति में प्रबंधनो द्वारा सताए गए कर्मचारियों की कोई सुनवाई जब राजधानी रायपुर में ही नहीं है तो दूर दराज के जिलों में स्थिति समझी जा सकती है.200 से अधिक मजीठिया क्लेम तथा 6000 से अधिक श्रमिक प्रतारणा के मामले विगत 2 से 3 वर्षों से श्रम न्यायालयों में इसी वजह से आगे ही नहीं बढ़ पा रहे हैं.
रायपुर औद्योगिक क्षेत्र की एक फैकटरी में पिछले दिनों अचानक तालाबंदी करके मजदूरों को बेरोजगार कर दिया गया, इलाके के चोवा राम साहू बताते हैं कि किसी किस्म की शिकायत ऊपर हो जाए इसके पहले ही बंद फैकट्री में एक सप्ताह के अन्दर ही तेज धुएं के साथ आग लगा हुआ देखा गया यानी मजदूर अब किसी तरह की राहत की उम्मीद क़ानूनी तौर पर या व्यवस्था से कर ही नहीं सकते .

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