धमतरी 13 जनवरी 2020,     एनआरसी का मकसद गैर-मुस्लिम विदेशी घुसपैठियों को भारतीय नागरिक बनाना और देश के 130 करोड़ लोगों को घुसपैठिया मानकर उनसे नागरिकता का सबूत मांगना है। जो प्रधानमंत्री अपनी डिग्री दिखा नहीं पा रहा है, वह इस देश के असली मालिकों से उनके और माता-पिता के नागरिकता के कागज दिखाने को कह रहा है। देश के 80 करोड़ लोगों के पास ऐसे कागज नहीं है। संघी गिरोह उनसे नागरिकता छीनकर हिन्दू राष्ट्र का अपना महल बनाने का सपना देख रहा है। लेकिन देश की धर्मनिरपेक्ष जनता संविधान और अपने नागरिक अधिकारों की रक्षा करेगी और संघी गिरोह के मंसूबों को असफल करेगी।

यह विचार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव संजय पराते ने आज धमतरी में अंजुमन इस्लामिया कमेटी द्वारा आयोजित सीएए-एनआरसी-एनपीआर विरोधी *संविधान बचाओ* रैली को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात कहीं भी कही गई नहीं है, इसके बावजूद वे नागरिकता देने की शर्त गैर-मुस्लिम होना लगा रहे है और सभी भारतीयों की नागरिकता की छानबीन कर रहे हैं, तो स्पष्ट है कि वे मुस्लिम समुदाय को नागरिकता से वंचित करके उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहते हैं। लेकिन इसका शिकार बहुमत आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और गरीबों को भी होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यदि मोदी सरकार की नज़रों में देश के 130 करोड़ लोगों की नागरिकता संदिग्ध है, तो उनके वोटों से चुनी गई यह सरकार भी अवैध है और इसे सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है।

माकपा नेता ने कहा कि यह देश गांधी, फुले, अंबेडकर, भगतसिंह, सुभाष, अशफाकउल्ला और उधमसिंह का है, न कि अंग्रेजों की चापलूसी करने वाले संघी गिरोह का। हमारे देश के स्वाधीनता संग्रामियों ने धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद रखी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सावरकर ने ही दो-राष्ट्र सिद्धांत के जरिये देश के विभाजन की आधारशिला रखी थी। इसकी देश को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ी है। इसलिए अब गोडसे-सावरकर की नफरत की राजनीति नहीं चलेगी और चलने नहीं दी जाएंगीं। यदि संघ संचालित भाजपा सरकार अपने बहुमत के दम पर ऐसा कानून बनाया भी है, तो यह असंवैधानिक है और इसे मानने के लिए देश की जनता और राज्य सरकारें बाध्य नहीं है। उन्होंने बताया कि केरल में कम्युनिस्ट सरकार ने पहले ही एनपीआर और एनआरसी की प्रक्रिया न होने देने की घोषणा करके मोदी सरकार के इस असंवैधानिक कदम को खारिज कर दिया है।

पराते ने स्पष्ट किया कि जनगणना और एनपीआर दो अलग-अलग चीजें है। हम जनगणना के विरोधी नहीं है, लेकिन एनपीआर के हैं, क्योंकि यह नागरिकता रजिस्टर बनाने का पहला कदम है। एनपीआर में मांगी गई जानकारियों का ही सत्यापन एनआरसी में किया जाएगा और सत्यापित न होने पर इस देश के मूल नागरिकों को घुसपैठिया करार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नागरिकता के आधार पर मतदाता परिचय पत्र और आधार कार्ड के वितरण के बाद अब एनपीआर और एनआरसी का कोई औचित्य नहीं है।

माकपा नेता ने कहा कि मोदी सरकार देश की जनता को सांप्रदायिक आधार पर बांटने और भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की तैयारी कर रही है, जिसका विरोध बाबा साहेब अंबेडकर ने भी किया था और उन्होंने हिन्दू राष्ट्र को महाविपदा कहा था। आरएसएस आज भी भारत की जनता पर वर्णवादी मनु व्यवस्था और मनुस्मृति थोपना चाहती है। इसलिए अब यह लड़ाई संविधान के मूल धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बचाने की लड़ाई में बदल गई है। इस लड़ाई को देश की जनता जीतकर रहेगी।

इस रैली में शामिल माकपा के जत्थे का नेतृत्व धमतरी जिला सचिव समीर कुरैशी, मनीराम देवांगन, पुरुषोत्तम साहू, महेश निर्मलकर, तेजराम चक्रधारी, अमृता नागरची, राधादिली, रजनी निर्मलकर आदि ने किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here