मजीठिया वेज बोर्ड को देश भर में संवैधानिक रूप से लागू किये जाने के कड़े फैसले से घबराए मिडिया मालिक ?

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए जाने के खिलाफ दायर एक याचिका पर बुधवार को सुनवाई  की जाएगी. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने वकील आर.पी. लूथरा से कोर्ट मास्टर के समक्ष मेंसनिंग मेमो दाखिल करने के लिए कहा. लूथरा ने इस मामले को पीठ के सामने जल्द सुनवाई के लिए पेश किया था.

प्रधान न्यायाधीश मिश्रा के खिलाफ इस वर्ष के प्रारंभ में बगावत कर चुके चार न्यायाधीशों में शामिल रहे न्यायमूर्ति गोगोई को 13 सितंबर को भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्ति किया गया.मौजूदा प्रधान न्यायाधीश मिश्रा दो अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

वकील आर पी लूथरा ने याचिकाकर्ता वकील सत्यवीर शर्मा के साथ मिलकर न्यायमूर्ति गोगोई की प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति रद्द करने की मांग की. गोगोई 3 अक्टूबर को कार्यभार संभालने वाले हैं.

याचिका में कानून के प्रश्न का निर्णय करने की मांग की गई है, जिसके लिए वे चार वरिष्ठ न्यायाधीशों की तरफ 12 जनवरी को बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन की सामग्री पर निर्भर हैं, जिसमें न्यायमूर्ति गोगोई भी शामिल थे.

याचिका में कहा गया है, “अदालत के सर्वाधिक वरिष्ठ चार न्यायाधीशों का यह कदम कथित तौर पर  देश की न्याय प्रणाली को नष्ट करने से कम नहीं था. उन्होंने इस अदालत में खास आंतरिक मतभेदों के नाम पर देश में सार्वजनिक हंगामा खड़ा करने की कोशिश की”

उन्होंने कहना  है कि न्यायमूर्ति गोगोई को उनके अवैध और संस्थान विरोधी कदम के लिए झिड़की दी जानी चाहिए थी. दूसरी ओर आम जनों में चर्चा है कि जिस तरह से अपने अब तक के कैरियर में न्यायमूर्ति गोगोई ने लैंडमार्क फैसलों से प्रतिष्ठा अर्जित की है उससे कोफ़्त खाने वाले बड़े वकीलों और मिडिया संस्थानों की भी ये संयुक्त शरारत हो सकती है क्योकि मजीठिया वेज बोर्ड को देश भर में संवैधानिक रूप से लागू किये जाने के कड़े फैसले से डरे हुए मिडिया मालिक कुछ भी कर सकते हैं.

 

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