भूपेश की गिरफ्तारी और विनोद को जमानत , कांग्रेस कार्यकर्ताओं की व्यापक गिरफ़्तारी

चर्चित सीडी मामले में बीजेपी ने अपने नेता कैलाश मुरारका को आखिरकार निष्कासित कर दिया.

रायपुर. तेजी से बदलते घटनाक्रम में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों की तारीख नजदीक आ रही है और इसी के साथ यहां राजनैतिक दलों में चाल-चलन और चरित्र की जंग भी शुरू हो गई है। पिछले साल जो अश्लील सीडी सामने आई थी, उसने अब राजनैतिक भूचाल का रूप ले लिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की गिरफ्तारी के बाद पूरे छत्तीसगढ़ का राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। आखिर ये सीडी कांड है क्या और पूरे घटनाक्रम में कब क्या हुआ, आइए जानें-  इस कहानी की शुरूआत पिछले साल 27 अक्टूबर को पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल के बंगले से हुई। उन्होंने सुबह करीब 6 बजे एक प्रेस कांफ्रेंस ली और मीडिया को एक सीडी बांटी। इस सीडी में एक आपत्तिजनक वीडियो था जिसे लेकर भूपेश ने दावा किया कि महिला के साथ बेहद आपत्तिजनक स्थिति में दिखने वाला व्यक्ति मंत्री राजेश मूणत हैं।

देखते देखते यह वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी। हालांकि इस सीडी के सामने आने के कुछ ही घण्टों के अंदर मंत्री मूणत ने इसका खण्डन करते हुए सीडी को फर्जी बताया और मुख्यमंत्री से इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की। भाजपा ने इसे कांग्रेस का षड्यंत्र बताते हुए इसे गंदी राजनीति कहा है।

मंत्री की सीडी सार्वजनिक होने के बाद रायपुर से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक हंगामा हुआ। इसके बाद पुलिस ने गाजियाबाद से वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को गिरफ्तार किया और यह दावा किया कि उनके निवास से इस वीडियो क्लिप की पांच सौ सीडी और दो लाख रुपए जब्त किए गए हैं। यह कार्रवाई प्रकाश बजाज नामक एक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर की गई थी। उसी शाम रायपुर पुलिस की टीम गाजियाबाद पहुंची और वहां से विनोद वर्मा को गिरफ्तार कर लिया। मूलरूप से रायपुर के रहने वाले विनोद वर्मा एक जाने माने पत्रकार हैं और इस पिछले कुछ समय से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के साथ रहकर उनके मीडिया का काम देख रहे थे।शिकायतकर्ता प्रकाश बजाज के अनुसार विनोद वर्मा ने उन्हें लैण्ड लाइन से फोन करके कहा….तुम्हारे आका की एक सीडी मेरे पास है। पैसा नहीं दोगे तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहो। प्रकाश बजाज की इस बात के आधार पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने विनोद वर्मा को गिरफ्तार कर लिया।
इस सीडी के सामने आने और विनोद वर्मा की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सरकार पर आरोप लगाए गए कि अपने मंत्री को बचाने के लिए सरकार निर्दोष व्यक्ति को फंसाने की कोशिश कर रही है। मामले में अब तक एसआईटी जांच कर रही थी।
17 नवंबर 2017 को कांग्रेस की मांग पर निष्पक्ष जांच के लिए मामले की कमान एसआईटी ने सीबीआई को सौंपी। सीबीआई ने मामले में एसआईटी की जांच के आधार पर आगे की प्रक्रिया शुरू की। करीब 1500 कॉल डिटेल खंगाले गए और फिर करीब 100 लोगों को मामले में गवाह बनाया गया।
सीबीआई ने जांच शुरू की और इसके साथ ही कई और नाम सामने आने लगे। विनोद वर्मा के साथ ही मामले में विजय पंड्या, वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश मुरारका, विनोद भाटिया, रिंकु खनुजा और पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल को भी आरोपी बनाया गया। इस संबंध में प्रकाश बजाज और मंत्री राजेश मूणत ने उनकी छवि को धूमिल करनेकाआरोपलगायाथा. 6 जून 2018 को मामले में एक नया मोड़ आया। सीबीआई की पूछताछ से दबाव में आकर मामले में आरोपी बनाए गए रिंकू खनूजा ने अपने घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इसके बाद एक बार फिर कांग्रेस ने सरकार को घेरे में लिया और आरोप लगाया गया कि गलत तरीके से मामले में फंसाए जाने से आहत होकर रिंकु ने फांसी लगा ली है। सी बी आई की जाँच खरामा खरामा चलती रही और फिर भूपेश की गिरफ्तारी और विनोद वर्मा को जमानत मिली.24 सितंबर को सीबीआई की अदालत में भूपेश सहित अन्य आरोपियों को पेश होने के आदेश दिए गए।

इस दौरान विनोद वर्मा पर लगाए गए ब्लैकमेलिंग के आरोप को प्रकाश बजाज साबित नहीं कर पाए , जबकि उन्ही की शिकायत के आधार पर हुई त्वरित कार्यवाही में पुलिस ने सुपरमेन की तरह काम किया था और रायपुर से दिल्ली तक कुछ ही मिनटों में कार्यवाही कर दी थी . प्रकाश बजाज को ब्लेकमेल करने के आरोप से विनोद को मुक्त करते हुए उन्हें जमानत दे दी। उधर पीसीसी अध्यक्ष भूपेश ने जमानत लेने से इंकार कर दिया और जेल चले गए। कांग्रेस की ओर से मोर्चा खोल दियागया , सरकार पर आरोप लगाए गए कि अपने मंत्री को बचाने के लिए सरकार निर्दोष व्यक्ति को फंसाने की कोशिश कर रही है। मामले में अब तक एसआईटी जांच कर रही थी। सीबीआई के हाथ में आई जांच की कमान आई 17 नवंबर 2017 को कांग्रेस की मांग पर निष्पक्ष जांच के लिए मामले की कमान एसआईटी ने सीबीआई को सौंपी। सीबीआई ने मामले में एसआईटी की जांच के आधार पर आगे की प्रक्रिया शुरू की। करीब 1500 कॉल डिटेल खंगाले गए और फिर करीब 100 लोगों को मामले में गवाह बनाया गया। मामले में कई और नाम सामने आए जिनमें कई भाजपा नेताओं का नाम भी सुर्खियों में रहा .

सीबीआई ने जांच शुरू की और इसके साथ ही कई और नाम सामने आने लगे। विनोद वर्मा के साथ ही मामले में विजय पंड्या, भाजपा नेता कैलाश मुरारका, विनोद भाटिया, रिंकु खनुजा और पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल को भी आरोपी बनाया गया। इस संबंध में प्रकाश बजाज और मंत्री राजेश मूणत ने उनकी छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया था। मामले में आरोपी बनाए गए एक ने लगा ली फांसी 6 जून 2018 को मामले में एक नया मोड़ आया। सीबीआई की पूछताछ से दबाव में आकर मामले में आरोपी बनाए गए रिंकू खनूजा ने अपने घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इसके बाद एक बार फिर कांग्रेस ने सरकार को घेरे में लिया और आरोप लगाया गया कि गलत तरीके से मामले में फंसाए जाने से आहत होकर रिंकु ने फांसी लगा ली है। आखरी घटनाक्रम में फिर भूपेश की गिरफ्तारी और विनोद को जमानत , कांग्रेस कार्यकर्ताओं की व्यापक गिरफ़्तारी 24 सितंबर को सीबीआई की अदालत में भूपेश सहित अन्य आरोपियों को पेश होने के आदेश दिए गए। इस दौरान विनोद वर्मा पर लगाए गए ब्लैकमेलिंग के आरोप को प्रकाश बजाज साबित नहीं कर पाए। सीबीआई की अदालत ने ब्लैकमेलिंग के आरोप से विनोद को मुक्त करते हुए उन्हें जमानत दे दी। उधर पीसीसी अध्यक्ष भूपेश ने जमानत लेने से इंकार कर दिया और जेल चले गए। कांग्रेस ने भूपेश को जेल भेजे जाने को एक आन्दोलन के अवसर के रूप में लिया और प्रदेश भर में बड़े नेता कार्यकर्ताओ को जेल भरो आन्दोलन के लिये प्रेरित करने निकल गए .

बीजेपी ने अपने नेता कैलाश मुरारका को आखिरकार निष्कासित कर दिया.

भाजपा नेता कैलाश मुरारका से सीबीआई ने पिछले दिनों की पूछताछ के बाद कल चालान पेश किया था, जिसमें बतौर मुख्य आरोपी कैलाश मुरारका का नाम था. पुलिस को बीजेपी नेता कैलाश मुरारका के खिलाफ खिलाफ सबूत मिले थे. पत्रकार विनोद वर्मा के कॉल डिटेल में भी उनका नंबर मिला है. इसके अलावा उनसे लंबी बातचीत हुई है. इतना ही नहीं दिल्ली के होटल में भी उनका फुटेज मिला है. यह फुटेज उसी होटल का है, जिसमें फर्नीचर कारोबारी और पीसीसी चीफ के करीबी विजय भाठिया ठहरे थे.

सीबीआई ने जो चार्जशीट कोर्ट में पेश की है उसके बारे में सूत्रो से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी नेता कैलाश मोरारका को सीबीआई ने मुख्य आरोपी बनाया है. चार्जशीट के मुताबिक मुख्य आरोपी मोरारका ने 75 लाख 98 हज़ार में  हाई प्रोफाइल मंत्री राजेश मूणत की फ़र्ज़ी सेक्स सीडी बनवाई. इस खेल में कई लोग शामिल थे. लेकिन सीबीआई ने मुख्य रूप से तीन लोगों को इसका आरोपी माना है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दो लोगो को मुरारका ने 75 लाख 98 सीडी बनाने के लिए दिए थे. मुरारका ने मुख्य रूप से इस काम का ज़िम्मा विजय पंड्या को सौंपा. उसे 75 लाख रुपये मुरारका ने दिए, और पंड्या के सहपाठी मानस साहू को 98 हजार रुपया दिए थे.

 

 

 

 

 

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