कोरबा। कटघोरा के एक मस्जिद में ठहरे किशोर जमाती के संपर्क में आने से आठ लोग कोरोना संक्रमण का शिकार हो गए। प्रशासन भले ही संक्रमित किशोर के संपर्क में आने वालों को समय पर होम चरंटाइन व सैंपलिंग से समय पर संक्रमितों की जानकारी सामने आने का दावा कर रहा हो, पर जिस तरह से जमातियों को ठहराने वाले मस्जिद प्रबंधनों पर मेहरबानी दिखाई गई, वह बेहद गैरजिम्मेदाराना है। आलम तो यह रहा कि पुरानी बस्ती में जहां से तबाही की खबर आई है, वहां होम चरंटाइन के बाद भी रवैया नरम रहा। अब जाकर प्रशासन लकीर पीट रहा है।

महाराष्ट्र के कामठी से दो मार्च को ही 16 जमाती कटघोरा के पुरानी बस्ती स्थित जामा मस्जिद में ठहरे थे। इस बीच वे लगातार धर्म के प्रचार-प्रसार के साथ दावतों में शामिल होने घर-घर जाकर लोगों के संपर्क में रहे। जब लॉकडाउन घोषित हुआए तो उन्हें मस्जिद में ही होम चरंटाइन किया गया। बीते चार अप्रैल को 16 जमातियों के साथ कामठी से ही आया 16 साल का किशोर कोरोना संक्रमित पाया गया। ताजा हाल यह कि उस संक्रमित किशोर के संपर्क में आने वाले से संक्रमित हुए आठ मरीज सामने आ गए। इनमें एक की टेस्ट रिपोर्ट बुधवार-गुरुवार की दरम्यानी रात आई तो शेष सात संक्रमित गुरुवार की शाम को सामने आई।

अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जानते-बूझते लापरवाही का परिचय देते हुए जमातियों को ठहराने व उनकी जानकारी छुपाने वालों पर प्रशासन की नजरें इनायत क्यों नहीं हुई।16 जमातियों में एक के पॉजिटिव आने से उन पर तो मामला दर्ज कर दिया गया, लेकिन कटघोरा के ही पूछापारा व कोरबा के राताखार मस्जिद प्रबंधनों को बिना कार्रवाई के क्यों छोड़ दिया गया, जिन 16 लोगों में एक किशोर कोरोना पॉजिटिव मिला, उस मस्जिद के प्रबंधकों को भी केवल समझाइश दी गई। भले ही प्रशासन पुरानी बस्ती को लॉकडाउन करने, सैंपलिंग कर चरंटाइन कर स्थिति नियंत्रित करने का दावा करता रहा हो, पर जानकारी छुपाकर मुसीबत बढाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मस्जिद प्रबंधकों पर कोई कार्रवाई नहीं होना प्रशासन की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here