रायपुर। आईसीएमआर याने कि इंडियन काउंसिल फ़ॉर मेडिकल रिसर्च ने रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट की मंज़ूरी मिलने पर स्वास्थ्य विभाग के सीजीएमएससी ने शॉर्ट टर्म निविदा जारी कर दी। निविदा को हासिल करने वाली संस्था ने अब दलील दी है कि, जो रेट डाला गया था, वह भूल से डाला गया था। इस निविदा में दूसरे स्थान पर रही कंपनी ने जानकारी दी कि,मूल सप्लायर कंपनी ने किट अमेरिका भेज दिया है। और तीसरी कंपनी ने न्यूनतम दर पर काम करने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही एक तकनीकि पेंच और फंसा, यह मसला था एक्साइज रेट कटौती का, जो टेंडर कॉल होने के बाद प्रभाव में आई।
स्वास्थ्य विभाग के सूत्र ने कहा
“निविदा हासिल करने वाली कंपनी ने तीस रुपए की दर भर दी.. और अब कह दिया कि गलती से भर दिया.. जबकि यह पता है कि इस दर पर काम नहीं हो सकता.. टेंडर के नियम है लोएस्ट दर वाले को जाना है.. उसे टेंडर मिल गया.. अब उसने कहा कि.. हमने गलती से रेट भर दिया”
अब ज़ाहिर है कि रिटेंडर के अलावा विकल्प नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा
“ अब रिटेंडर करने जा रहे हैं..पूर्व टेंडर काम करता तो..दस दिन लगते सप्लाई होने में.. अब पाँच सात दिन और लगेंगे”
आपको बता दें कि केंद्र समेत कई राज्यों ने किट के लिए ऑर्डर दिया था। यह आदेश चीन की कंपनी को मिला था, सप्लायर कंपनी ने भारत की जगह अमेरिका भेज दिया।
जिस किट को लेकर सरकार परेशान है वह किट केवल तीस मिनट में कोविड 19 की जाँच कर सकती है। दुर्भाग्य पूर्ण संयोग है कि किट को लेकर धोखा केंद्र समेत कई राज्यों के साथ हो गया है.. छत्तीसगढ़ के साथ भी धोखा हो गया है।

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