क्या आर्थिक आपातकाल के आशंकाओं के मद्देनज़र या दबाव के चलते साथ छोड़ गए पटेल ?
धारा 7 के तहत सरकार के दबाव का क्या सामना नहीं करना चाहते थे उर्जित ?

नई दिल्ली . आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया है. पटेल ने अपने इस्तीफे के पीछे निजी वजह बताई है. हालांकि कहा जा रहा है कि गवर्नर उर्जित पटेल (Urjit Patel ) और केंद्र सरकार के बीच कई मुद्दों पर मतभेद और तनातनी की स्थिति थी. हालांकि पिछले दिनों आरबीआई बोर्ड की बैठक के बाद खबर आई थी कि सरकार और उर्जित पटेल (Urjit Patel ) के बीच चीजें ठीक हो गई हैं, लेकिन सोमवार को अचानक उन्होंने इस्तीफा दे दिया. उर्जित पटेल ने अपने बयान में कहा, ‘मैं व्यक्तिगत कारणों की वजह से तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं. बीते वर्षों में आरबीआई में काम करना मेरे लिए गर्व की बात रही. इस दौरान आरबीआई के अधिकारियों, प्रबंधन और स्टाफ का भरपूर सहयोग मिला. मैं आरबीआई बोर्ड के सभी निदेशकों और सहकर्मियों का शुक्रिया अदा करता हूं”.आर्थिक जगत में बड़े उलटफेर की आशंका के बीच श्री पटेल के इस्तीफे को लेकर उसी समय से चर्चा चल रही थी जबसे सरकार की ओर से रिजर्व बैंक कानून की धारा सात के इस्तेमाल की बात की जा रही थी. इस धारा के तहत सरकार रिजर्व बैंक गवर्नर को सीधे निर्देश दे सकती है.कुल मिला कर 5 राज्यों के चुनाव नतीजों के आने के ठीक पहले इस इस्तीफे के क्या निहितार्थ हैं ?

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने उर्जित पटेल के इस्तीफे पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा

उर्जित पटेल के इस्तीफे पर रघुराम राजन ने कहा- हर भारतीय को चिंतित होना चाहिए
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए संस्थानों की मजबूती जरूरी

विशेष बिंदु क्या हैं
1. कहा- यह जानने की कोशिश होनी चाहिए कि यह गतिरोध क्यों बना
2. कौन सी वजह रही जिससे पटेल को यह कदम उठाना पड़ा
3. रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की प्रकृति में बड़ा बदलाव आया
4. क्या आर्थिक हालात कुछ ज्यादा ख़राब होने वाले हैं ?

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने उर्जित पटेल के इस्तीफे पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि हर भारतीय को इससे चिंतित होना चाहिए क्योंकि आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए संस्थानों की मजबूती जरूरी है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने तुरंत प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सरकार के साथ कई मुद्दों को लेकर उनके मतभेद बने हुए थे और सरकार की ओर से अभूतपूर्व कदम उठाए जाने (धारा सात के तहत निर्देश) की आशंका बनी हुई थी.

रघु राजन ने एक समाचार चैनल से कहा मेरा मानना है कि डॉ पटेल ने अपना वक्तव्य दे दिया है और मैं समझता हूं कि कोई नियामक अथवा जन सेवक यही अंतिम वक्तव्य दे सकता है. मेरा मानना है कि वक्तव्य का सम्मान होना चाहिए. उन्होंने कहा हमें इसके विस्तार में जाना चाहिए कि यह गतिरोध क्यों बना. कौन सी वजह रही जिससे यह कदम उठाना पड़ा.

रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से सितंबर 2016 में सेवामुक्त हुए राजन ने कहा मैं समझता हूं कि यह ऐसी बात है जिसे सभी भारतीयों को समझना चाहिए क्योंकि हमारी सतत वृद्धि और अर्थव्यवस्था के साथ न्याय के लिए हमारे संस्थानों की मजबूती वास्तव में काफी महत्वपूर्ण है. रिजर्व बैंक की शक्तियों के बारे में राजन ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के संचालन के मामले में रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की प्रकृति में बड़ा बदलाव आया है. निदेशक मंडल एक परिचालन वाला बोर्ड बना परिचालन संबंधी निर्णय के लिए है.

रिजर्व बैंक के गवर्नर रहते हुए रघुराम राजन के भी सरकार के साथ मतभेद थे यही वजह रही कि उन्होंने पहला कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें दूसरा कार्यकाल नहीं दिया गया. राजन ने कहा कि पहले रिजर्व बैंक का निदेशक मंडल सलाहकार की भूमिका निभाता था जिस पर केन्द्रीय बैंक के पेशेवर फैसला लेते थे. राजन का संकेत संभवत: आरबीआई निदेशक मंडल में आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति और सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ एसके मराठे की हाल में नियुक्ति की ओर था.
उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘डॉ. उर्जित पटेल मैक्रो-इकोनॉमिक मुद्दों की गहरी और अंतर्दृष्टि समझ रखने के साथ ही एक बहुत ही उच्च क्षमता वाले अर्थशास्त्री हैं. उन्हों ने बैंकिंग प्रणाली को अराजकता से बाहर निकाला. वह अपने पीछे महान विरासत छोड़ रहे हैं. वह बहुत याद आएंगे.’ दूसरी तरफ, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार उर्जित पटेल की सेवाओं की पूरी गंभीरता के साथ सराहना करती है.
आरबीआई के श्री पटेल के इस्तीफे पर कांग्रेस ने कहा, ‘मोदी राज में एक और संस्थान की सुचिता नष्ट हुयी. आरबीआई गवर्नर को जिस तरीके से हटने के लिए बाध्य किया गया है वह भारत की मौद्रिक और बैंकिंग प्रणाली पर एक धब्बा है.’
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने भी रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से श्री उर्जित के इस्तीफे की पृष्ठभूमि में नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इस सरकार में सीबीआई से लेकर आरबीआई तक सभी संस्थाएं संकट में हैं. ममता ने पटेल के इस्तीफे का हवाला दिया और कहा, ‘‘ देश में राजनीतिक आपात की स्थिति तो थी ही अब आर्थिक आपात भी उत्पन्न हो गया है. CBI से लेकर RBI तक सभी संस्थाएं संकट में है. ऐसे हालत पहले कभी नहीं रहे’. वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक और रिजर्व बैंक के स्वतंत्र निदेशक एस गुरुमूर्ति ने उर्जित पटेल के इस्तीफे पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि यह एक झटका है.
श्री पटेल लंदन स्कूल इकोनॉमिक्स से स्नातक हैं और फिर उन्होंने प्रतिष्ठित येल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की. पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के करीबी सहयोगी माने जाने वाले पटेल को महंगाई के खिलाफ मोर्चा संभालने वाले राजन के मजबूत सिपाही के तौर पर जाना जाता है. वह समिति के अध्यक्ष भी रहे जिसने थोक मूल्यों की जगह खुदरा मूल्यों को महंगाई का नया मानक बनाए जाने सहित कई अहम बदलाव लाए.आपको बता दें कि और केंद्र सरकार के बीच पिछले दिनों केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता के मसले पर टकराव की स्थिति पैदा हो गई. खबर आई कि वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक कानून की धारा सात को लागू करने पर विचार विमर्श शुरू कर दिया है. यह धारा सरकार को जनहित के मुद्दों पर रिजर्व बैंक गवर्नर को निर्देश देने का अधिकार देती है. दूसरी तरफ, यह भी कहा गया कि सरकार रिजर्व बैंक से 3.60 लाख करोड़ रुपये की मांग कर रही है, जिसका आरबीआई ने विरोध किया है. इन सब मुद्दों पर सरकार और उर्जित पटेल के बीच लगातार खटास की खबरें आती रहीं. इस खींचतान के बीच गवर्नर ने पी एम मोदी से 9 नवम्बर २०१८ को मुलाकात की थी इसके कुछ दिनों बाद ही आरबीआई की बोर्ड बैठक हुई और कहा गया कि उर्जित पटेल और सरकार के बीच जारी तनातनी खत्म हो गई है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here