- रायगढ़ स्वच्छ,सुंदर,ग्रीन( हरा भरा) प्रदूषण मुक्त जिला के विशेषण से विभूषित होगा ।
- प्रशासन का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार भी प्रदूषण का कारण
- जन अभियान व जीवन शैली का हिस्सा बनाना होगा
रायगढ़:- बहुत अच्छा लगा कि छत्तीसगढ़ के एक युवा मंत्री उमेश पटेल द्वारा ग्रीन चर्या अभियान की शुरूआत कर पर्यावरण संरंक्षण के प्रति अपनी अभिरुचि और जागरूकता का संदेश दिया गया ।जो काफी सराहनीय एवं अनुकरणीय है। ग्रीन चर्या अभियान को अधिकारी,नेता तथाकथित बड़े बड़े लोग अपने जीवन चर्या में शामिल कर रहे हैं। यह एक अच्छी पहल है।इसे जन अभियान का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।और यह कोशिश की जानी चाहिए कि यह आम जनता के जीवन शैली का अहम हिस्सा बन जाय।
इसअभियान से पर्यावरण विदों,पर्यावरण प्रेमियों,वैज्ञानिकों,चिकित्सको,पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं ,जनसंगठनों को एक आशा की किरण दिखाई दी है।विशेषकर रायगढ़ जिले के संदर्भ में काफी उम्मीद जगी है। क्योंकि मंत्री उमेश पटेल का गृह जिला रायगढ़ है।अब तो यह विश्वास किया जा सकता है कि रायगढ़ स्वच्छ,सुंदर,ग्रीन( हरा भरा) प्रदूषण मुक्त जिला के विशेषण से विभूषित होगा ।
पर्यावरण विदो और सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह स्पष्ट मानना है कि “स्वच्छ,सुंदर, ग्रीन,प्रदूषण मुक्त रायगढ़ जिले का सपना तभी संभव होगा जब यह ग्रीन चर्या का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण हो न कि कोई इवेंट का हिस्सा” । क्योंकि अभी देश में हर चीज को इवेंट बनाने और वाहवाही लूटने की एक संवेदनहीन परम्परा का दौर शुरू हुआ है।जो मानवता, आदर्श,सभ्यता ,नैतिकऔर सामाजिक मूल्यों के लिए काफी खतरनाक है। जब कोरोना महामारी इवेंट का हिस्सा बन जाय।भूख,पीड़ा ,तड़फ, मजदूरों का पैदल चलना,मौत और उस पर सरकार का राहत पैकेज इवेंट का हिस्सा बन जाय ।तब मानवता तड़फ उठती हैं।इंसानियत कराह उठती है। आदर्श,नैतिकता और सामाजिक ताने बाने बिखरने लगते हैं। अतः ग्रीन चर्या केवल एक इवेंट या क्षणिकअभियान ही न हो वरन पर्यावरण संरक्षण के लिए गंभीर पहल हो।जो रायगढ़ जिले सहित संपूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य को प्रदूषण मुक्त राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो। वृहद जनाभियान का हिस्सा बने। इसके लिए जनसहयोग के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण मंडल जिला प्रशासन और सरकार को भी अपनी जिम्मेदारी का गंभीरता एवं ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करना होगा।
रायगढ़ जिले में फ्लाई एश की मनमानी डंपिंग,उद्योगों के अपशिष्ट व जहरीले रसायन ,कोयले पर आधारित उद्योगों,कोल माइंस तथा खुला परिवहन,सडको की जर्जर हालत व,नगरीय आवासीय ठोस एवं तरल अपशिष्ट,वायु एवं जलप्रदूषण के मुख्य कारक है।जो प्रदूषण की खतरनाक सीमा को पार कर संपूर्ण जनजीवन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं।
चिकित्सकों का स्पष्ट मानना है कि “प्रदूषण के कारण स्वांस,फेफड़े, लिव्हर,हृदय एवं कैंसर जैसी जानलेवा खतरनाक बीमारियां तीव्र गति से बढ़ रही है जो काफी चिंता जनक है।”रायगढ़ जिले में इन बीमारियों से मृतकों की संख्या में काफी वृद्धि हो रही है। अब तो डेंगू,कोरोना एवं अन्य बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है।
पूरा विश्व प्रदूषण के खतरे से चिंतित था लेकिन कोरोना लॉक डाउन से काफी राहत मिला प्रकृति ने स्वयं अपना संतुलन बनाया। प्रदूषण में बहुत कुछ नियंत्रण हुआ।इसी दौरान रायगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल कार्यालय की घोर लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार चिंता का विषय बना।पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने नोटिस भी जारी किया। लॉक डाउन के दौरान समीक्षा बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य में सभी जिलों में से केवल रायगढ़ जिले में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ पाया गया।मंत्री ने पूछा कि जब संपूर्ण लॉक डाउन है तो प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ क्यों है? पर्यावरण अधिकारी ने स्पष्टीकरण दिया कि रायगढ़ जिले में दो स्थानों पर एक स्टेडियम के पास दूसरा पर्यावरण कार्यालय में उद्योगों के द्वारा दिया गया प्रदूषण मापक यंत्र स्थापित है जो बहुत दिनों से खराब पड़ा हुआ है। इसीलिए यह रिपोर्ट गड़बड़ आई है।इस समाचार ने काफी गंभीर सवाल खड़ा किए।जो जिला प्रदूषण के डेंजर ज़ोन में है वहां के अधिकारी को यह नहीं मालूम कि प्रदूषण मापक यंत्र ठीक है या नहीं।मंत्रालय की समीक्षा बैठक में जो रिपोर्ट भेजी जा रही है वह सही है या नहीं। तब आप सोचिए कि पर्यावरण संरक्षण के लिए कितनी जिम्मेदारी से कार्य किया जाता होगा? आम जनता के साथ क्या व्यवहार किया जाता होगा? क्या यह प्रशासन पर्यावरण संरक्षण मंडल का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार नहीं है?प्रदूषण का एक प्रमुख कारण यह भी है ।
जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा रायगढ़,सहित विभिन्न जनसंगठनों, सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं,पत्रकारों ,मीडिया कर्मियों, वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, एवं चिकित्सकों द्वारा विगत 25- 30 वर्षों से समय समय पर पत्रो,रिपोर्ट, ज्ञापनों, जनांदोलनों, रैलियों, प्रदर्शनों एवं सभाओं के माध्यम से बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ चिंता व्यक्त करते हुए सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया।लेकिन सरकार का रवैया बहुत ही गैरजिम्मेदाराना,उदासीन व असंवेदशील रहा।प्रदूषण मुक्त जिला बनाने की दिशा में कोई ठोस , सकारात्मक व गम्भीर प्रयास नहीं किए गए।
पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण मुक्त स्वच्छ सुंदर ग्रीन जिला बनाने हेतु सरकार को निम्नलिखित बिंदुओं पर प्राथमिकता के आधार पर कार्य करने की जरूरत है। संगठनों द्वारा जिसकी लगातार मांग की जाती रही है –
छोटे छोटे बच्चों के जीवन एवं भविष्य को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक स्कूलों एवं शहर के चारों दिशाओं में प्रदूषण मापक यंत्र की स्थापना अनिवार्य रूप से किया जाये।
*प्रशासन द्वारा प्रदूषण का डाटा प्रतिदिन अखबार, मीडिया,एवं रेडियो के माध्यम से प्रचारित व प्रसारित किया जाय।
*उद्योगों में ई एस पी अनिवार्य रूप से नियमित चालू रखा जाए ।इसकी निरन्तर उचित मोनिटरिंग सुनिश्चित की जाय। मॉनिटरिंग कमेटी में समाजिक कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया जाए।
*पर्यावरण विभाग के अनुसार रायगढ़ में उद्योगों को ऑनलाइन मोनिटरिंग सिस्टम से जोड़ा गया है।परन्तु उनका प्रदूषण डाटा इंटरनेट पर आम जनता को उपलब्ध नहीं हो रहा है।यह सवाल तेजी से उभर रहा है कि वे उद्योग इंटरनेट से जुड़े भी हैं या नहीं।उन उद्योगों की सूची हमारे संगठन को उपलब्ध कराई जाए तथा उनका डाटा इंटरनेट पर जनता के लिए अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
* उद्योगों के फ्लाई एस की यत्र तत्र मनमानी डम्पिंग पर सख्ती से रोक लगाई जाए।
*फ्लाई एस का रखरखाव पर्यावरण नियमों एवं शर्तों के अनुसार पूरी सख्ती से किया जाए।
*उद्योगों के अपशिष्ट एवं जहरीले रसायनों तथा नगर निकाय (रहवासी क्षेत्रों )की गंदगियों को नदी नालों ,जलाशयों एवं जलस्त्रोतों में न फेंका जाय।इसपर पूरी सख्ती से रोक लगाई जानी चाहिए।
*वृहद ड्रेनेज सिवरेज़ सिस्टम एवं वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की जाए।
* कोयला आधारित नए उद्योगों की स्थापना व विस्तार पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
* रायगढ़ में स्थित प्रमुख नदियाँ केलो,मांड, इब, मैनी और महानदी पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है।केलो डेम बनने के बावजूद केलो डेम शहर के मध्य में आते आते पूर्णतः प्रदूषित हो गई है और उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।जल स्त्रोतों की रक्षा की जाय।
*सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रोडक्शन एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाय।
सरकार बदली,रायगढ़ जिले के पांचों विधायक सत्तापक्ष की पार्टी से,एक सांसद भाजपा से। लगभग डेढ़ दो साल पूरे होने जा रहे हैं।पहली बार एक युवा मंत्री उमेश पटेल ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक पहल की है।रायगढ़ जिले के सभी विधायक, सांसद एवं अन्य जनप्रतिनिधि , सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाएं,जनसंगठन व प्रशासन सभी संकल्पबद्ध हो पूरी ईमानदारी के साथ ग्रीन चर्या को आत्मसात कर पूर्ण जवाबदेही व जिम्मेदारी के साथ कार्य करें तो रायगढ़ स्वच्छ,सुंदर,ग्रीन प्रदूषण मुक्त जिला बनकर एक आदर्श प्रस्तुत कर स्वर्णिम इतिहास रच सकता है।
गणेश कछवाहा,रायगढ़ छत्तीसगढ़।
9425572284