• हाईकोर्ट ने कहा था, डीएमई पद का दुरुपयोग किया गया, सुप्रीम कोर्ट ने पांच-पांच लाख जुर्माना भी किया था

रायपुर,एक बार फिर भूपेश सरकार ने जल्दबाजी में गलत फैसला अधिकारियों की नियुक्ति में किया.  राज्य सरकार ने ऐसे डाक्टर को डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन की कुर्सी पर बिठा दिया, जो अपनी बेटी और पूर्व मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह के पीए की भतीजी को एमबीबीएस में गलत दाखिला देकर सुर्खियों में रह चुका है.आदिले के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट के डबल बेंच ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा था कि आदिले ने दोनों को एमबीबीएस में एडमिशन देने के लिए अपने डीएमई पद का दुरुपयोग किया.
आदिले के खिलाफ राजधानी रायपुर के गोलबाजार थाने में धारा 420, 468, 4671 और 120 क के तहत अपराध पंजीबद्ध किए गए थे. अब कांग्रेस सरकार ने उन्हें फिर से उसी विभाग की कमान सौंप दी, जिसमें रहते आदिले पर गड़बड़झाला के आरोप लगे थे.
हाल ही में मेडिकल एजुकेशन के डीन, प्रोफेसरों के जो ट्रांफसर हुए, उसमें एक बड़ा नाम डा0 आदिले का है. वे स्व0 लखीराम अग्रवाल मेडिकल कॉलेज रायगढ़ के डीन थे. उन्हें डा0 अशोक चंद्राकर की जगह चिकित्सा शिक्षा का संचालक बनाया गया है. आदिले वहीं हैं, जिन पर अपनी बेटी आकांक्षा आदिले के साथ ही रमन सिंह के एक पीए की भतीजी प्रिया गुप्ता को गलत तरीके से मेडिकल में दाखिला देने के आरोप लगे थे.
यह मामला 2006 का है, जब आदिले डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन थे. और, आकांक्षा आदिले और प्रिया गुप्ता को सेंट्रल कोटे से जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दे दिया गया,जबकि, जगदलपुर कालेज को फर्स्ट बैच होने के कारण उस साल सेंट्रल कोटा मिला ही नहीं था,लेकिन, कागजों में कुटरचना करके सेंट्रल कोटे से दोनों को दाखिला दे दिया गया.रायपुर के डाक्टर अनिल खाखरिया ने इस गड़बड़झाले का खुलासा किया था. इसके बाद पूरा मामला फूटा था.
आकांक्षा और प्रिया के एमबीबीएस दाखिले को बिलासपुर हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था. यही नहीं, डीएमई आदिले पर कोर्ट ने गंभीर कमेंट किया था. बाद में, आकंक्षा और प्रिया ने फिर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चिकित्सा शिक्ष्आ विभाग का फ्रॉड स्वीकार किया लेकिन मानवीय         कि, तब तक दोनों छात्राएं फायनल ईयर में पहुंच गईं थीं.लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दोनों को पांच-पांच लाख रुपए जुर्माने के तौर पर जमा करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस राशि से जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किया जाए.
आदिले को डीएमई बनाए जाने पर डाक्टर खाखारिया ने 8 फरवरी शाम पुलिस अधीक्षक को लेटर देकर पूछा है कि आदिले के खिलाफ गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज होने के बाद भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है. खाखारिया ने कहा है कि राज्य के हित में लगातार कड़े फैसले ले रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हेल्थ को सुधारने के लिए विभिन्न योजनाएं बना रहे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को देखना चाहिए कि ऐसे दागी डाक्टर को डीएमई बनाने से चिकित्सा शिक्षा को कितना नुकसान होगा.

सवाल अब तक इन मामलों में हुई कानूनी कार्यवाहियों का भी है कि आखिरकार वे समय पर पूरी क्यों नही की गई और किनके दबाव से ये लगातार लंबित रखी गयी. इस मामले में फिर क्या SIT बिठा कर जांच कराई जाएगी. मेडिकल दाखिले में गड़बड़ी के खुलासे के मामले में पी एम टी घोटाले में रमन सरकार के दबाव में न आ कर स्वतंत्र फैसला देने वाले जज प्रभाकर ग्वाल वैसे भी लगातार सरकार की नजरों में चुभते रहे और अंततः बर्खास्त कर दिए गए थे.

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