प्रतीकात्मक चित्र

रायपुर ( 4 अगस्त 2020) राजधानी के सबसे बड़े सरकारी हस्पताल में बड़े बड़े दावों के साथ कोविड हॉस्पिटल भी चलाया जा रहा है और ढेर सारे स्टाफ के साथ संचालित स्वास्थ्य सेवाओं की पोल अक्सर खुलती ही रहती है। ये लापरवाही जब जानलेवा बन जाये तो किस पर इल्जाम लगाया जाए और किसे दोषी माना जाए क्योंकि कोरोना के चलते मुश्किल हालातों में काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को देवदूत  या  कोरोोना वारियर्स की तरह देखने की मानसिकता जनता बनाने लगती है।

उपरोक्त धारणाओं को खंडित करती हुई एक तस्वीर फिर आज दिखाई देती है आज शाम मेकाहारा के गेट नंबर 2 के पास जहां इस्तेमाल किया हुआ पी पी ई किट करीब 3 घंटे तक खुली जगह में पड़े रहे। किसी जरूरी काम से मेकाहारा  में    मरचुरी के पास गए नगर के सामाजिक कार्यकर्ता अमित सरकार को ये किट बेतरतीब फेंके गए दिखाई दिए, उन्होंने जब 104 को फोन लगा कर जानकारी दी तो उन्हें आपात ड्यूटी चिकित्सा अधिकारी को सूचना देने कहा गया, उन्हे भी जा कर प्रत्यक्ष जानकारी देने के एक घंटे बाद तक ये किट इसी तरह पड़े हुए थे, ऐसी स्थिति मे   कोई जानवर जैसे कुत्ते बिल्ली द्वारा उसे इधर उधर न फैला दिया जाए सोच कर जागरूकता से अमित   सरकार  शाम 5 से करीब 3 घंटे तक वहां खड़े रहे लेकिन न तो सुरक्षा गार्ड न ही किसी स्वास्थ्य या सफाई कर्मचारी द्वारा उसे हटाया गया। आसपास से गुजर रहे लोग नीली पट्टी वाले उस पी पी ई किट को मेकाहारा के स्टाफ द्वारा उपयोग किये जाने की पहचान भी कर रहे थे किंतु स्वास्थ्य अधिकारी इन सब संक्रमण की चिंताओं से बेपरवाह थे।
मेडिकल वेस्ट के निपटारे के लिये बहुत ही सख्त नियम कानून हैं तथा निजी चिकित्सालयों पर बहुत कड़ाई से इसे लागू किया जाता है
सरकारी हस्पतालों में इसे ले कर लापरवाही आम है किंतु कोरोना पेंडेमिक के दौर में भी ऐसा होना चिंतनीय है।

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