रायपुर। राज्यसभा सांसद और छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पी.एल. पुनिया ने शनिवार को संसद में महामारी (संशोधन) विधेयक, 2020 पर चर्चा करते हुए कहा कि विषम परिस्थितियों में 24 घंटे काम करने वाले लोगों को मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हें अतिरिक्त वेतन तथा ओवर-टाइम दिया जाना चाहिए था लेकिन उल्टे उनके वेतन से महंगाई भत्ते की कटौती कर ली गई, हर महीने एक दिन का वेतन काटने के आदेश दिए गए। दिल्ली में अनेक अस्पतालों में तीन महीने तक वेतन ही नहीं मिला।

पुनिया ने कहा कि आईएएम की रिपोर्ट के अनुसार 382 डॉक्टरों की कोरोना से मौत हुई है। सरकार का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है इसलिए उन्हें कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई। इस तरह की उपेक्षा करने से कैसे मनोबल बढ़ाने का काम करेंगे? बिल में कोरोना वॉरियर्स को हानि पहुंचाने पर जेल की सजा के अलावा जुर्माने का तथा सम्पत्ति के नुकसान के लिए दोगुना मुआवजा देने का भी प्रावधान किया गया है तो कोरोना वरियर्स की मृत्यु पर आर्थिक सहायता क्यों नहीं दी जा रही? बिना सोंचे-समझे लॉकडाउन लागू कर दिया गया। लॉकडाउन में उद्योग-व्यवसाय बंद होने पर मजदूर कहां इस पर भी विचार नहीं किया। चिकित्सा मंत्री ने कहा था कि सीएमएस से 15 बार विडियो कांफ्रेसिंग की। हम पूछ रहे हैं कि लॉकडाउन लागू करने से पहले क्यों नहीं चर्चा की? सभी राजनैतिक दलों से क्यों नहीं चर्चा की?

पुनिया ने कहा कि सरकार को संकट का सामना करने के लिए पूर्व चेतावनी नहीं मिली थी। लेकिन उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की। 30 जनवरी को पहला केस सामने आया, कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 12 फरवरी को सरकार को चेताया कि स्थिति भयावह होने जा रही है, अर्थव्यवसथा पर भी गम्भीर संकट है, लेकिन सरकार ने कहा कोई चिंता की बात नहीं है।
श्री पुनिया ने कहा कि कोरोना से सीधी लड़ाई राज्य सरकारों के माध्यम से लड़ी जा रही है। राज्यों का जीएसटी का बकाया है, लेकिन केन्द्र सरकार राज्यों को पैसा नहीं दे रही है। कोरोना संकट के लिए राज्यों की मांग को पूरा किया जाना चाहिए।

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