बाल विज्ञान मेले के समापन पर गोंडी भाषी बच्चों ने भी पूछे विज्ञान और अन्धविश्वास के सवाल

केशकाल. आमाबेड़ा इलाके के सुदूर स्थित सवालवाही मिडिल स्कूल में विगत 28,29 मार्च 2019 को बाल विज्ञान मेले का आयोजन छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा द्वारा किया गया.

आदिवासी  छात्र छात्राओं के लिये विज्ञान प्रसार , भारत सरकार के सहयोग से आयोजित इस बाल विज्ञान मेले को कोंडागांव जिले के आखरी छोर में स्थित सवालवाही माध्यमिक शाला में किया गया जिसमें समीपवर्ती कांकेर जिले के अर्रा ग्राम के माध्यमिक तथा हाई स्कूल के छात्र छात्राओं ने भी भागीदारी की. गोंडी भाषी छात्र छात्राओं के मध्य आयोजित यह बाल विज्ञान मेला कई मायनों से अभिनव रहा.

28 मार्च को उद्घाटन सत्र में छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के रिसोर्स पर्सन्स के अलावा केवल आसपास के शिक्षक साथी मौजूद रहे. सुदूर अंचल तथा प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहाँ बाहरी व्यक्तियों की उपस्थिति बेहद कम ही हो पाती है.

बच्चे पूरी तरह उत्साहित थे और आहार श्रृंखला में भागीदारी उन्होंने 5 वैज्ञानिकों के नाम के समूह में विभाजित हो कर की.

माध्यमिक  तथा हाई स्कूल के बच्चों का देश विदेश के महान वैज्ञानिकों सी वी रमन , अल्बर्ट आइंस्टीन , होमी जहांगीर भाभा, लुई पॉश्चर, ए पी जे अब्दुल कलाम के नाम से समूह तथा प्राथमिक शाला के बच्चों को शहीद भगतसिंह एवं चंद्र शेखर आज़ाद के नाम से ग्रुप बनाया गया था .

इस एकमात्र गतिविधि के बाद छात्र छात्राओं की हिचक खत्म हो गयी फिर उत्साह से लीफ प्रिंटिंग, ट्रंक प्रिंटिंग के प्रायोगिक कार्य को उत्साहपूर्वक किया. पौधों की श्वसन प्रणाली को समझने स्टोमेटा का प्रयोग किया गया.

“आओ दिन में तारे देखें ” कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षकों सहित सभी समूहों के छात्र छात्राओं ने विशेष चश्मे से दोपहर को सूर्य को देखा, नक्षत्र मंडल, हमारे सौर मंडल की जानकारी दी गयी तथा ग्रहण एवं उससे जुड़े अंधविश्वासों का भेद खोलते  हुए रोल प्ले के द्वारा इस खगोलीय घटना को स्पष्ट किया गया.

विज्ञान गीत गाया गया, पर्यावरण की चिंता की गई, सांपो को मानव सभ्यता के लिए जरूरी बताते हुए उनके  संबंध में जागरूकता  के लिए विषहीन तथा विषैले सांपो के रंगीन पोस्टर उनकी पहचान के लिये वितरित किया गया.

न्युटोनियन टेलिस्कोप से देर शाम कुछ बच्चों और ग्रामीणों ने स्वच्छ आकाश में मौजूद ग्रह नक्षत्रों का अवलोकन किया .

दूसरे दिन के निर्धारित प्रयोगों की शुरुआत रासायनिक प्रयोगों से की गई जिसमें हवन कुंड में बिना माचिस , लाइटर के अग्नि उत्पन्न किया गया.  गोमूत्र को भैस, बकरी और मानव मूत्र के समतुल्य रासायनिक संरचनाओं से युक्त बताया गया इस संबंध में प्रयोग किये गए.

अभिमंत्रित नारियल को केवल पानी छिड़क कर जलाया गया. रस्सी को काटने और बिना निशान के जोड़ने, सिक्का गायब करने जैसे हाथ की सफाई का प्रदर्शन किया गया. बताया गया कि रूढ़िवादिता अन्धविश्वास से कैसे बचना है, टोनही या भूत प्रेत कुछ नही होता, मन के भ्रम के संबंध में स्थानीय शिक्षकों के कुछ अनुभव भी सुनाए गए.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिये कुछ मनोरंजक कहानियां भी सुनाई गई. कर्णपिशाच के सहयोग से वैज्ञानिक एल आर सिन्हा ने बिना पर्ची खोले सबका लिखा सही सही बताया, सभी प्रकार के चमत्कारों  की वैज्ञानिक व्याख्या, हाथ की सफाई का कारण बाद में बताया गया. प्रकाश परावर्तन, संचरण के प्रयोग लेजर लाइट के माध्यम से और चुम्बक के प्रयोग भी बच्चों के साथ किये गए. विज्ञान सभा राज्य सचिव पी सी रथ के साथ ही उदेराम चंद्रवंशी,दिनेश कुमार नाग,श्रीमती ललिता मंडावी माध्यमिक शाला, सवालवाही, बजरु राम नाग, प्रधान अध्यापक , सवालवाही, सगउराम तेता , प्रभारी प्रधान अध्यापक, राधेश्याम कौशिक, माध्यमिक शाला अर्रा,दिनेश कुमार कचलाम शिक्षक इत्यादि प्रशिक्षण गतिविधियों में शामिल थे .

विज्ञान मेले के अंतिम चरण में प्रश्न पूछो प्रतियोगिता में बच्चों ने बढ़ चढ़ कर प्रश्न भी पूछे और पुरस्कार भी जीता. सांपो के काटने पर क्या करना चाहिए? क्या पुरुषों और स्त्रियों के लिए रिवाज अलग अलग होना सही है? जब दूर अँधेरे में जंगल पहाड़ी के बीच कभी कभी कुछ जलता, चमकता क्या दिखाई देता है? इस तरह के प्रश्नों के उत्तर कुछ बच्चों ने ही बच्चों को दिया .

सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित करके कार्यक्रम का समापन किया गया. ऐसे इलाके में जहाँ मोबाइल फोन और इंटरनेट की कोई पहुंच  नही हैं, मोबाईल पर बात करने कई किलोमीटर का सफ़र तय करना पड़ता है . विज्ञान शिक्षकों की उपलब्धता भी बेहद कम है, ऐसे हालातों में ये बाल विज्ञान मेला छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के लिए भी स्मरणीय रहा.

विज्ञान सभा द्वारा बताया गया है कि आगे आने वाले दिनों में संभाग स्तर पर इन प्रतिभागियों के लिये विभिन्न कार्यक्रम किये जायेंगे.

 

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