विज्ञान माडल प्रदर्शनी तथा टेलिस्कोप असेंबलिंग वर्कशॉप रविशंकर विश्वविद्यालय में संपन्न

रायपुर .छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा तथा सेंटर फॉर बेसिक साइंस, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा  दिनांक 30 मार्च 2019 को प्रातः 10:30 बजे से इनोवेटिव साइंस मॉडल एग्जीबिशन तथा टेलिस्कोप असेंबलिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया. प्रेक्षागृह के पीछे सीबीएस भवन में आयोजित इस प्रदर्शनी में विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए मौलिक मॉडलों का प्रदर्शन किया गया जिसे अवलोकन के लिए शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रामनगर , मायाराम सुरजन कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चौबे कॉलोनी, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रविशंकर विश्वविद्यालय कैंपस, कांगेर वैली स्कूल तथा सावित्रीबाई फुले एजुकेशन अकैडमी डंगनिया के कुल 59 बच्चे शामिल थे. उनके द्वारा मॉडलों की कार्यप्रणाली , सिद्धांत तथा उनकी मौलिकता के बारे में मॉडल निर्माणकर्ता से प्रश्न पूछे गए . इसके साथ – साथ बच्चे  डा नंदकुमार चक्रधारी तथा विश्वास मेश्राम के निर्देशन में टेलिस्कोप असेंबलिंग कार्यशाला में 150 मिलीमीटर व्यास के परावर्तक टेलिस्कोप की असेंबलिंग करते हुए जिज्ञासाओं का समाधान करते रहे .

कार्यक्रम के अंतिम चरण में बच्चों द्वारा विज्ञान से संबंधित विषयों पर सवाल पूछे गए जिनका जवाब उपस्थित विज्ञान के वरिष्ठ छात्रों तथा विषय विशेषज्ञों द्वारा दिया गया .

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य योजना आयोग के सदस्य डॉक्टर के सुब्रमण्यम थे .

छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा रायपुर की संयोजिका अंजू मेश्राम ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य शालेय विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति जागरूकता ,अभिरुचि और  वैज्ञानिक  दृष्टिकोण  पैदा करना था .

छात्रों  के प्रश्न कुछ इस प्रकार के थे –

क्या हम टाईम मशीन बना सकते हैं ? विज्ञान और आध्यात्मिक विज्ञान में क्या अंतर है ? जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई ? चन्द्रमा पर वायुमंडल क्यों नहीं है ? सिद्धांत और नियम कब गलत हो जाते हैं ? आदि ढे़र सारे सवाल स्कूली विद्यार्थियों द्वारा उछाले जा रहे थे और उनका जवाब दे रहे थे मूल विज्ञान केंद्र पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के विद्यार्थी. जिन सवालों के उत्तर उनसे भी नहीं बन पा रहे थे उनका जवाब कार्यक्रम में उपस्थित प्रोफेसरों द्वारा दिया जा रहा था. अवसर था छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा और सेंटर फार बेसिक साइंस द्वारा आयोजित इनोवेटिव साइंस माडल एक्जीबिशन और टेलिस्कोप असेंबलिंग वर्कशॉप का जिसमें 5 स्कूलों के 59 विद्यार्थियों के साथ उनके शिक्षकों ने भाग लिया.

इस अवसर पर आयोजन की तारीफ करते हुए मुख्य अतिथि की आसंदी से राज्य योजना आयोग के सदस्य तथा छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. के सुब्रमण्यम ने कहा कि आज हर व्यक्ति में  वैज्ञानिक सोच विकसित होना बहुत जरूरी है. अंधविश्वास और कुरीतियों को खत्म करना आवश्यक है. भारत के संविधान में नागरिकों के राष्ट्रीय कर्तव्यों में से एक कर्तव्य यह भी है कि हमारे अंदर वैज्ञानिक सोच हो . संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक से यह अपेक्षा करता है . उन्होंने इसकी और आगे व्याख्या करते हुए कहा कि साक्षर होना शिक्षित होने की पहचान नहीं है . विज्ञान विषयों के डिग्री धारी तथा इन क्षेत्रों में व्यवसायिक सेवा देने वाले व्यक्ति भी कई बार वैज्ञानिक सोच के खिलाफ काम करते देखे जाते हैं उन्होंने उदाहरणों के साथ इसे स्पष्ट किया. मुख्य अतिथि  डॉक्टर के0 सुब्रमनियम ने कहा कि साइंस एक ऐसा टूल है जिससे आपकी सोच में जबरदस्त परिवर्तन आता है . चीजों को सिस्टेमेटिकली देखने, उसके कारणों को  तर्कसंगत रुप से देखने पर हम ज्यादा अच्छे नागरिक हो सकेंगे. विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि जितने भी सवाल आपके जहन में आते हैं जरूर पूछिए और जब तक उनका समाधान ना हो जाए पूछते रहिए . संदेह दूर होने पर ही स्पष्टता बनेगी जो आगे बढ़ने के लिए बहुत जरुरी है.

छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के अध्यक्ष और पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एस के पांडेय ने उपस्थित विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें न्यूटन जैसी धारणा विकसित करनी चाहिए जो कि कहा करते थे कि “यदि मैं कर सकता हूँ तो इसे कोई भी कर सकता है”. हमारे अंदर वैज्ञानिक सोच विकसित होना जरूरी है. चीजें कैसे काम करती है यह जानने की कोशिश करें. हमें प्रश्न पूछने और उनके उत्तर खोजने की आदत डालनी चाहिए. विद्यार्थियों को वैज्ञानिकों की जीवनी पढ़नी चाहिए.

विज्ञान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर एम एल नायक ने प्रयोगों के माध्यम से प्रदर्शन कर अंधविश्वास को दूर करने छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के कामों के बारे में विस्तार से रोशनी डाली और लोगों से विज्ञान सभा से जुड़ने की अपील की.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे  कुलसचिव गिरीशकांत पांडेय ने पेनिसिलिन के खोजकर्ता महान आयरिश वैज्ञानिक अलेक्जेंडर फ्लेमिंग की कहानी विस्तार से बताई और उनकी तरह आम लोगों के लिए विज्ञान के खोज करने हेतु विद्यार्थियों का आह्वान किया. इस अवसर पर सीबीएस के संचालक प्रोफेसर एच के पाठक ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया.

टेलिस्कोप असेंबलिंग वर्कशॉप के दौरान प्रो0 नंदकुमार चक्रधारी तथा विश्वास मेश्राम ने 10 इंच व्यास के परावर्तक टेलिस्कोप की असेंबलिंग की और उसका प्रदर्शन किया.

वैसे तो सभी विद्यार्थियों के विज्ञान माडल बहुत अच्छे पाए गये फिर भी विशेष माडलों को प्रोत्साहित करने प्रो0 एम एल नायक, इंजी0 उमाप्रकाश ओझा और इंजि0 रविकुमार के निर्णायक दल द्वारा मोशन डिटेक्टर के लिए मंदाकिनी, रोहन, अस्मिता, अदिति और जिनसेन के ग्रुप को प्रथम, इव्हीए के लिए स्वेताभ और दल को और बायोसेंसर आधारित सुपर मोलिक्यूलर असेंबली के लिए विद्या और भूपेश के ग्रुप को संयुक्त रूप से द्वितीय तथा बायोप्लास्टिक फुड पैकेजिंग मटेरियल के लिए याचिका और साक्षी के ग्रुप को तृतीय स्थान प्रदान किया गया.

बेहतरीन विज्ञान पोस्टर निर्माण हेतु रवि बौद्ध, टी मेश्राम तथा पावेल गोंडाने के निर्णायक दल द्वारा सीबीएस के विद्यारानी और पीके सिंह के ग्रुप को प्रथम, अमूल  तथा पुष्पकांत के ग्रुप को द्वितीय तथा आंचल और ग्रुप को तृतीय स्थान दिया गया.

कार्यक्रम के आयोजन में डा लक्ष्मीकांत चवरे, डा नंदकुमार चक्रधारी, प्रो0 एम एल नायक, प्रो0 अशोक प्रधान, अंजू मेश्राम, आदित्य चांडक, डा सैकेत बिशवास, श्री राकेश सिदार, डा गिरीश साहू, रतन गोंडाने तथा टी मेश्राम ने कड़ी मेहनत की. कार्यक्रम का संचालन श्रीमती डॉ. वीनू जोशी ने किया जबकि प्रश्नोत्तर सत्र का संचालन डॉ. गोविंद प्रसाद साहू  ने किया .समापन में  डॉ. गिरिजा शंकर गौतम ने आभार व्यक्त किया.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here