कवर्धा , स्व.प्रभाकर चौबे स्मृति व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत  सर्किट हाउस कवर्धा के अशोक हॉल में ‘हमारा नागरिकता बोध और प्रभाकर चौबे की रचनात्मकता’ विषय पर छत्तीसगढ़ के नामवर साहित्य आलोचक जयप्रकाश एवं प्रसिद्ध व्यंग्यकार एवं लेखक विनोद साव ने व्याख्यान दिया।
आलोचक जयप्रकाश ने अपने व्यक्तव्य में कहा कि तकनीक की नई दुनिया एक ही प्रकार के मानस का निर्माण कर रही है और हम खास ढंग से लगातार हम पर प्रक्षेपित सूचनाओं के शिकार होते जा रहे है। एक किस्म का सामूहिक कामनसेंस निर्मित किया जा रहा और हम उपभोक्ता पशु में तब्दील हो गए है। प्रभाकर चौबे  के लेखन के संबंध में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वामपंथ के प्रति वैचारिक प्रतिबद्धता रखते हुए भी उनके व्यक्तित्व में समन्वयशीलता की वृत्ति थी।उन्होंने अपने लेखन से नागरिकों के नागरिकता बोध का विस्तार किया ।एक अर्थों में वे परसाई जी और मुक्तिबोध की तरह लोकशिक्षक थे।
विनोद साव  ने स्व.प्रभाकर चौबे के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।उन्होंने अपने व्यक्तव्य में कहा कि प्रभाकर चौबे  विचारों से मार्क्सवादी एवं प्रगतिशील रहे ,ट्रेड यूनियनिस्ट रहे ,इप्टा और रंगमंच से भी जुड़े रहे।वामपंथ के प्रति प्रतिबद्धता और निष्ठा उनके लेखन और जीवन मे ताउम्र रहा।विनोद साव जी ने दैनिक देशबंधु में लगातार 28 वर्षों तक छपने वाले उनके व्यंग्य स्तंभ “हंसते है रोते है” का भी जिक्र किया।
विनोद साव जी ने छत्तीसगढ़ के बौद्धिक नेतृत्व के संबंध सवाल उठाया कि क्या हमने जिस तरह बंगाल ने टैगोर और विवेकानंद, को महाराष्ट्र ने तिलक,अम्बेडकर एवं सावरकर आदि को अपना बौद्धिक आइकॉन बनाया , वैसा आइकॉन हम क्यों नहीं बना पाए।।

हमारे छत्तीसगढ़ का बौद्धिक नेतृत्व के आइकॉन तीजन बाई और देवदास बंजारे नहीं माधव राव सप्रे, पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी, गजानन माधव मुक्तिबोध, लतीफ़ घोंघी हो सकते है, लेकिन हमने इन्हें उस तरह से आइकॉन के रूप में स्थापित करने में अभी तक सफल नहीं हुए है।
सत्र का संचालन समीक्षक और कवि  अजय चंद्रवंशी ने किया। उन्होंने नागरिकता बोध के हो रहे क्षरण पर अपनी चिंता प्रकट की। कार्यक्रम की अध्यक्षता  नीरज मनजीत द्वारा किया गया। कार्यक्रम में स्व प्रभाकर चौबे के पुत्र जीवेश प्रभाकर चौबे भी उपस्थित रहे। इनके अलावा कार्यक्रम में रियाज अम्बर, उमाकांत ओझा , नरेंद्र कुलमित्र,  समयलाल विवेक , राजाराम हलवाई ,भागवत साहू ,तुकाराम तरुण आदि उपस्थित रहे।

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