राज्य स्तरीय आंकलन कार्यशाला में सिखाया गया प्रश्नों का निर्माण  करना

रायपुर 03.09.19(इंडिया न्यूज रूम) राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा आज यहां आयोजित अपने कार्यालय परिसर में राज्य स्तरीय आंकलन और प्रश्न पत्र निर्माण की प्रारंभिक कार्यशाला आयोजित की गई. यह कार्यशाला 7 सितम्बर तक चलेगी. कार्यशाला में प्रश्नों के स्वरूप, प्रकार, रूब्रिक्स, ब्लूप्रिंट आदि के रचनात्मक और योगात्मक आंकलन का स्वरूप निर्धारित कर उसे अंतिम रूप देने की प्रक्रिया को समझाया गया. कार्यशाला में सभी प्राचार्य शिक्षा महाविद्यालय रायपुर और सभी डाइट के प्राचार्य, विषय विशेषज्ञ उपस्थित थे.

कार्यशाला में बताया गया कि प्रश्न पत्रों का निर्माण करते समय शैक्षणिक कैलेण्डर, पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में विद्यार्थियों के कक्षावार और विषयवार सीखने के स्तर को निर्धारित करने के लिए किया जाए. प्रश्नों के स्वरूप और स्तर में एकरूपता होनी चाहिए. जिससे विद्यार्थियों का राज्य स्तर पर एकसमान आंकलन हो सके. प्रश्न पत्रों के माध्यम से विद्यार्थियों की तथ्यात्मक जानकारी और विश्लेषणात्मक परीक्षण की क्षमता का आंकलन होना चाहिए. प्रश्न पत्रों का निर्माण मासिक, छमाही और वार्षिक परीक्षा के अनुसार निर्धारित पाठ्यक्रम अनुरूप किया जाए.

कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने कहा कि कमजोर क्षेत्रों का चिन्हांकन कर शिक्षार्थी केन्द्रित (स्मंतदमत ब्मदजतपब) शिक्षण का विकास भी करना है. शिक्षण के कमजोर क्षेत्रों का चिन्हांकन तैयारियों का कार्यक्रम का विकास करना और सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने के लिए शिक्षकों में दक्षता केन्द्रित समझ का विकास करना ही कार्यशाला का उद्देश्य है.शिक्षकों में सहभागिता आधारित अवधारणात्मक समझ को सशक्त बनाने के साथ ही सतत् आंकलन की प्रक्रिया का विकास भी करना होगा. कार्यशाला में बताया गया कि कक्षा शिक्षण को बेहतर बनाने एवं शिक्षकों को सक्षम बनाने के लिए प्रशिक्षण के क्षेत्रों की पहचान और प्रशिक्षण कार्यक्रम का विकास करना होगा. इसी के साथ ही शिक्षकों एवं शिक्षक प्रशिक्षकों को समुचित आंकलन के लिए प्रश्नों के विकास में सक्षम बनाना होगा.

राज्य स्तरीय आंकलन में कक्षागत प्रक्रियाओं में सुधार करते हुए शिक्षकों का सतत् क्षमता विकास और शिक्षण में सरल और सुरूचिपूर्ण ढंग से अवधारणाओं को स्पष्ट करने आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराना भी शामिल है. इसकी विशेषताएं – संपूर्ण राज्य में कक्षा पहलीं से आठवीं तक आंकलन की सामान्य समय-सारणी, प्रश्नों को सीखने का परिणाम (लर्निंग आउटकम) के साथ मैपिंग, उत्तरपुस्तिकाओं की जांच संकुल केन्द्रों पर और परिणामों के विश्लेषण के आधार पर सुझावात्मक कार्रवाईयां सुनिश्चित करना आदि हैं.

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